मरियम्मा लॉकअप डेथ मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट गंभीर, बोली- “क्या प्राण चले जाने तक मारते है?”

[यह खबर बुधवार की है। कुछ कारणों के चलते इसे देरी से प्रकाशित कर रहे है। तेलंगाना हाईकोर्ट गंभीर है। लॉकअप डेथ मरियम्मा लौटकर तो नहीं आएगी। मगर उसके साथ न्याय जरूर होगा। इस पर पाठक अपने विचार (Telanganasamachar1@gmail.com) भेज सकते हैं।]

हैदराबाद : यादाद्री जिले के अड्डगुडुर थाने में मरियम्मा की लॉकअप मौत मामले को लेकर नागरिक अधिकार संघ (पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी) की ओर से दायर याचिक पर तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायाधीश ए राजशेखर रेड्डी की खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई की। दायर याचिका में नागरिक अधिकार संघ ने कोर्ट से आग्रह किया कि मरियम्मा की लॉकअप डेथ की न्यायिक जांच, लॉकअप डेथ के लिए जिम्मेदार पुलिस के खिलाफ कार्रवाई और मरियम्मा के परिवार को पांच करोड़ रुपये मुआवजा देने का सरकार को आदेश दिया जाये।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “क्या एक व्यक्ति को उसकी जान चली जाने तक मारते है? क्या यह इन्सानियत है? अब बड़े गर्व से कह रहे है कि मृतक के परिवार को मुआवजा दिया गया है। पैसा और नौकरी देने से क्या खोई हुई जिंदगी वापस लौट आएगी?” साथ ही हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान अनेक मुद्दों पर तेलंगाना सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अड्डगुडुर थाने में मरियम्मा लॉकअप डेथ मामले में सरकार की दलील और दोबारा पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में जमीन आसमान का अंतर है।

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हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला जरूर सीबीआई जैसे स्वतंत्र एजेंसी के जरिए जांच कराने योग्य है। इसलिए हम याचिकाकर्ता को सीबीआई को प्रतिवादी बनाने और केंद्र सरकार के साथ सीबीआई को नोटिस देने का निर्देश दे रहे हैं। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस महीने की 22 तारीख को होने वाली सुनवाई के दौरान सीबीआई के एसपी को हाजिर होने के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नामाराव राव आवश्यक कदम उठाये। मामले से संबंधित सभी अभिलेख अतिरिकत सॉलिसिटर जनरल को अपर महाधिवक्ता सौंप दें।

हाईकोर्ट ने आलेरु मजस्ट्रेट की ओर से दी गई रिपोर्ट की कॉपी को दोबारा सीलबंद लिफाफे में रखने का रजिस्ट्री को निर्देश दिया। सरकार की ओर से एजी बीएस प्रसाद ने रिपोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रति देने का आग्रह किया। मगर कोर्ट ने इसके लिए इनकार कर दिया। कोर्ट ने कर्मचारियों को सीलबंद लिफाफे को सुरक्षित रखने का आदेश दिया।

एजी ने हाई कोर्ट को बताया कि मरियम्मा की मौत की घटना के लिए जिम्मेदार एसआई और कांस्टेबल को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। एजी के इस दलील पर हाईकोर्ट ने कहा, “एसआई और कांस्टेबल को बर्खास्त कर देने के बाद फिर आरोप क्या होगा? आपराधिक कार्रवाई करने के लिए कानूनी प्रावधानों को लागू क्यों नहीं किया जा रहा है? मरियम्मा परिवार के सदस्यों के लिए 15 लाख रुपये, बेटे को सरकारी नौकरी देने से क्या उसकी खोई हुई जिंदगी वापस लौट आएगी? मरियम्मा की मौत के लिए जिम्मेदार और उसके शरीर पर लगे जख्म के लिए जिम्मेदार वालों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं करने का क्या मतलब है? सरकारी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मरियम्मा के शरीर पर लगे जख्मों के निशानों को क्यों नहीं बताया गया है? मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि उसे कैसे पीट-पीटकर मार डाला गया है। आप (एजी) भी इन तस्वीरें देख सकते हैं कि मरियम्मा को कैसे और कितना भंयकर यातनाएं देकर मारा गया है।”

एजी ने दलिल दी कि मरियम्मा को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थी। दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई है। पुलिस के मारने से उसकी मौत नहीं हुई है। एजी के दलील पर हाईकोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने कहा, “अगर हम रिपोस्टमॉर्टम के आदेश नहीं दिये होते तो मरियम्मा की मौत बीमार या दिल का दौरा पड़ने से हो जाने की बात को मान ले लेते। आप ही देखिए, पुलिस ने हिरासत में कितना भंयकर मरियम्मा को पीटा है। क्या थाने में प्राण चले जाने तक मारा जाता है? इतना मारने पर तो दिल की धड़कन तो बंद हो जाती है।”

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