केंद्रीय हिंदी संस्थान : हिंदी प्रौद्योगिकी कार्यशाला के अंतर्गत ‘वर्ड प्रोसेसिंग की नवीन सुविधाएँ’ पर प्रो. राजेश कुमार की शानदार प्रस्तुति

हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद तथा विश्व हिंदी सचिवालय के तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार की ओर से साप्ताहिक ई–आभासी संगोष्ठी आयोजित हुई। इस संगोष्ठी में विश्व भर से अनेक जिज्ञासुओं ने सहभागिता की। हिंदी प्रौद्योगिकी कार्यशाला के अंतर्गत “वर्ड प्रोसेसिंग की नवीन सुविधाएँ (संदर्भ- एमएस वर्ड)” विषय पर प्रो. राजेश कुमार जी ने प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का आरंभ डॉ सुरेश मिश्र “उरतृप्त” जी ने किया और कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की। भुवनेश्वर केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. रंजन दास ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री ओ. पी. अग्रवाल, प्रो. राजेश, अनिल जोशी एवं अन्य सभी उपस्थिति महानुभावों का स्वागत किया।

कार्यक्रम के आरंभ में डॉ. राजीव कुमार रावत ने प्रस्तावना देते हुए कहा कि माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड जैसे वर्ड प्रोसेसर का इस्तेमाल संभवतः सबसे अधिक लोग अपने रोज़ाना के काम-काज में सबसे ज़्यादा करते हैं। इसमें बहुत सुविधाएँ हैं, जिनके द्वारा हम अपने दस्तावेज़, कार्ड, तालिकाएँ, चार्ट, बायोडेटा, न्यूज़लेटर आदि बहुत सी चीज़ें बना सकते हैं। वर्ड प्रोसेसर हमें बहुत सारी सुविधाएँ देता है, जिनसे हमारा काम न केवल आसान होता है, जल्दी होता है, बल्कि अधिक गुणवत्तापूर्ण भी होता है। आज के कार्यक्रम में प्रो. राजेश कुमार हमें इस की गहन एवं नवीनतम जानकारियाँ देंगे कि वर्ड प्रोसेसर हमारे काम में किस प्रकार सुविधाएँ देते हैं, और इनके नए-नए विकास किन दिशाओं में हो रहे हैं।

कार्यशाला प्रारंभ करते हुए प्रो.राजेश कुमार ने कहा कि एमएस वर्ड सदैव ही सबसे सुलभ एवं सबके लिए उपयोगी रहा है और इसके साथ ही ओपन ऑफिस राइटर एवं वर्ड स्टार भी अन्य वर्ड प्रोसेसर हैं। आपने उपलब्ध मेनू, रिबन, त्वरित पहुँच टूल बार (QAT), संदर्भ, पिन खोज, दस्तावेज बनाने के विभिन्न पहलुओं जैसे कि टाइपिंग, डिक्टेशन, पठन, हैडर, फुटर, पृष्ठ संख्या डालना, टेम्पलेट, दृश्य, व्याकरणिक सुधार, अभिव्यक्ति सुधार, संपादन में खोजें-बदलें, ट्रैक परिवर्तन, क्लिप बोर्ड, पूर्ववत और पुनः करें, सुरक्षा, पासवर्ड सरंक्षण, साझाकरण, टिप्पणी जोड़ना, हाइपर लिंक, मेल मर्ज, स्टाइल, फारमेटिंग के अंतर्गत रुलर, तालिका, चार्ट, ड्राइंग, चित्र रंग, डिजाइन, नंबरिंग, लाइन का गैप, अनुच्छेद, संरेखण, विषय सूची बनाना, वर्तनी जाँचक, फुटनोट बनाना, ओसीआर, अनुवाद, ध्वनि कमांड, स्वतः सहेज,क्लाउड पर कार्य आदि विषयों की संक्षिप्त जानकारी दी। आपने बताया कि कोई भी अब अच्छी सी पुस्तक भी लिख सकता है, स्वयं डिजाइनिंग कर सकता है।

प्रो. राजेश कुमार ने व्यवहारिक रुप से वर्ड दस्तावेज में बहुत सी सुविधाओं का उपयोग व्यवहारिक उपयोग करके भी दिखाया जैसे कि पिन, अनपिन, कैलकुलेटर, फार्मूला, जोड़, फुटनोट आदि। आपने वर्ड डॉक्यूमेंट में अनुवाद, वायस टाइपिंग का भी प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में सहभागिता कर रहे अनेक विद्वानों जैसे कि श्री के सी तिवारी, अंजनी ओझा, कैप्टन डॉ मोहसिन खान, अनिल कुमार, विश्वजीत मुजूमदार, अनूप भार्गव, विजय नगरकर, डॉ. शबनम, हरिराम पंसारी, शिव शिशोदिया, शैलजा जी ने भी अपनी शंकाएं प्रो. राजेश कुमार के समक्ष रखीं जिनका समुचित समाधान किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री ओम प्रकाश अग्रवाल ने अपने वक्तव्य में एम एस वर्ड की और विशिष्ट जानकारियाँ दी और चुटकी लेते हुए कहा कि आजकल तो हम जीवन के हर पहलू में कंप्यूटरमय हो गए हैं और हम ईट, ड्रिंक, स्लीप कंप्यूटर हैं। उन्होंने सन 1980 के आस-पास से प्रारंभ अपनी कमंप्यूटर यात्रा का भी जिक्र किया कि पहले कैसे कंप्यूटर होते थे और उन्होंने टास वर्ड, जैड एक्स पैट्रन, नासा के उपग्रह में गए कंप्यूटर, 128 बाइट की मैमोरी, वीडियो शूटिंग, एडिटिंग, जैड सेफ्टी चिप आदि की संक्षिप्त ऐतहासिक जानकारी दी। उन्होंने स्टाइल एवं नार्मल टैम्पलेट को वर्ड की सबसे महत्वपूर्ण सुविधा बताया। उन्होंने कहा कि बाई डिफाल्ट सबसे पहले हम एक सैक्शन में काम करते हैं जिसमें अनेक पेज हो सकते हैं और पेज में भी अनेक सैक्शन हो सकते है जिससे पैराग्राफ फारमेटिंग बदल सकते हैं, टेक्स्ट के ऊपर इमेज भी डाल सकते हैं। हम एक कालम में काम करते हैं और अखबारों की तरह कॉलम बदल भी सकते हैं अथवा अधिक कॉलमों में भी काम कर सकते हैं। वर्ड में 17 लेयर, 35 गैलरी होती हैं और हमें टूल बार, मीनू बार रिबन में अनेक विकल्पों के साथ उपलब्ध होती है। हम टूल बार को इन लाइन अथवा फ्लोटिंग भी रख सकते हैं। आपने लीगल, ए 4 पेपर आकारों के विषय, नार्मल टैम्पलेट आदि के विषय में भी बताया और डिफॉल्ट सैट करने की जानकारी दी।

माइक्रोसॉफ्ट 365 की कुछ विशेष सुविधाओं के विषय में उन्होंने बताया कि नई तकनीक में नई संवंर्धित सुविधाओं का उपयोग किया जा सकता है लेकिन पुराने संस्करण भी बहुत उपयोगी रहे हैं। वाइल्ड कार्ड, ऑनलाइन कोलेब्रेशन, अनडू, फीफो (FIFO), एक्टिव बैकग्राउंड, ऑटो सेव, व्यू, रिव्यू, क्लिप बोर्ड, पावर पाइंट एवं एक्सेल में क्लिप बोर्ड की उपलब्धता, कैरेक्टर फॉर्मेटिंग, पैराग्राफ फॉर्मेटिंग, लाइन स्पेसिंग, मॉर्जिन, फार्मेट प्रिंटर, पेस्ट के अनेक विकल्प, की बोर्ड शार्ट कट्स. क्लीयर फार्मेटिंग, टेबल, हैडर-फुटर, गैलरी, कलर, डिजाइन, रिपोर्ट बनाने संबंधी अलाइनमैंट, विभिन्न वर्जन, मैक्रो, सर्च, स्पिल्ट एवं अरेंज विंडो, साइड वाई साइड, सिंक्रोंन्स, संपादन, एफ 4 की, क्यूएटी को कस्टमाइज करना, शो कमांड नॉट इन रिबन, अप एंड डाउन ऐरो, शार्टकट की आदि की भी संक्षिप्त एवं सारगर्भित जानकारी दी। आपने कहा कि आज कल हार्ड डिस्क की क्षमता काफी हो गई हैं इसलिए सभी को बैक अप फाइल जरूर बनानी चाहिए इससे कभी भी आपका काम नष्ट नहीं होगा और यदि आप सेव न कर पाए हों और वर्ड को बिना सेव किए बंद कर भी दिया हो तब भी आपका काम आपको मिल जाएगा इससे कार्यालयीन विषम परिस्थितियों से बचा जा सकता है। पासवर्ड के विषय में आपने कहा कि यह बहुत सरल ही होना चाहिए क्योंकि भूलने पर इससे दिक्कतें काफी होती हैं अतः पासवर्ड बहुत जटिल न डालें तथा याद रखने योग्य ही डालें।

प्रश्नों के सहज उत्तर देते हुए आपने कहा कि कम्प्यूटर प्रयोक्ता को थोड़ा-सा जानकारियों से पूर्ण होना चाहिए और अपनी क्षमताओं को बढ़ाते रहना चाहिए। उसे अपने ऑपरेटिंग सिस्टम, आफिस, विंडो के वर्सन आदि के विषय में जानना चाहिए। आपने एआई, चैट जीपीटी, को-पाइलट, चिपके हुए टैक्स्ट को ठीक करने, ऑटो करेक्शन, नॉन फार्मेटिंग- फॉर्मेटिड एंट्री, नॉन फार्मेटिड एंट्री, नार्मल टेम्पलेट, डॉट एसीएल में सेव होने, पैन ऑर्गेनाइजेशन में सभी मशीनों पर किए काम को साझा करने एवं एकरुपता लाने संबंधी जानकारी दी। आफिस 2007 के एक बग के कारण टैक्स्ट चिपक जाता था इसके लिए कस्टम डिक्शनरी का प्रयोग भी जानना चाहिए, नोट पैड में पेस्ट करके अथवा क्लीयर ऑल फॉरमेटिंग करके भी समाधान किया जा सकता है। हमें डिक्शनरी को भी बढ़ाते रहना चाहिए जिससे कि हमारे कामों का लाभ अन्य को भी मिल सके।

कार्यक्रम के संचालक डॉ. राजीव कुमार रावत ने श्री ओम प्रकाश अग्रवाल जी के गुरु-मित्र भाव से सिखाने की विशिष्टता की सराहना की कि वे विश्व भर में फैले जिज्ञासु कंप्यूटर प्रयोक्ता समूह में सहज भाव से शंकाओं का समाधान देते हुए सहायता करते हैं। कार्यक्रम के अंत में श्री नारायण कुमार , श्री मिजोकामी, दिव्या माथुर, वी.डी. गौतम जी ऋषि कुमार, श्याम बाबू शर्मा, संध्या सिंह, शैलजा सक्सेना, हरि राम पंसारी, डॉ. जवाहर कर्नावट, केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष अनिल जोशी आदि ने अपनी विशेष टिप्पणियाँ दीं।

बंबई से सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. रमेश यादव ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री ओम प्रकाश अग्रवाल, मुख्य वक्ता प्रो. राजेश कुमार द्वारा दी गई जानकारियों एवं प्रशिक्षण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। डॉ रमेश यादव ने आभार व्यक्त करने की शुभ परंपरा की उपादेयता को दार्शनिक रुप में दो शब्दों में व्यक्त किया कि यह भी बहुत महत्वपूर्ण है और उम्र भर सीखते-सिखाते रहने की जिजीविषा होनी चाहिए और इस परंपरा में यह कार्यशाला बहुत उपयोगी रही है। आभार के भार को स्वीकारते हुए उन्हें और उदारता भाव को जीवन का अंग बनाने के संदर्भ में उन्होंने कहा –
“आभार का यह भार किस लिए, औपचारिकता का हार किस लिए।
आओ दिलों में प्रेम का एक घर बनाएँ, फिर इस घर में दीवार किस लिए।”

आपने कार्यक्रम से जुड़े मार्गदर्शक, सान्निध्य प्रदाताओं, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संयोजक, तकनीकी सहयोगी, रिपोर्ट लेखन, सोशल मीडिया सहयोगी आदि सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम आयोजन एवं संचालन से जुड़े डॉ. रंजन दास, डॉ. जवाहर कर्नावट, डॉ. संध्या सिंह, डॉ, सुरेश मिश्र, प्रो. बीना शर्मा, पद्मेश गुप्त, माधुरी रामधानी, राहुल देव, संतोष चौबे, नारायण कुमार, श्री विजय प्रभाकर नगरकर, डॉ. जय शंकर यादव, मोहन बहुगुणा, पद्मेश गुप्त, अनूप भार्गव, गंगाधर वानोडे आदि सभी का आभार व्यक्त किया। रिपोर्ट लेखन कार्य डॉ. राजीव कुमार रावत तथा डॉ. जयशंकर यादव ने संपन्न किया।

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