नाम अनेक त्यौहार एक- मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल, बिहू… जानें क्यों मनाते हैं ये सब

सनातन धर्म, हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का एक विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है एवं उत्तर में आता है। इसलिए इस पर्व को उत्तरायण भी कहा जाता है। इस अवसर पर गंगा स्नान अत्यंत शुभ माना जाता है। पूजा पाठ और दान किया जाता है। मकर संक्रांति त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है। सूर्य की रोशनी शक्ति ज्ञान का प्रतीक है। एक नए संचार से काम शुरू करने का प्रतीक है। मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक पर्यावरण अधिक चैतन्य रहता है।

हमारे देश में मकर सक्रांति, लोहड़ी, पोंगल, बिहू नाम से मनाई जाती है। हर राज्य में इसकी तैयारियां हो रही हैं। हमारे देश में कई प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। ऋतुओं के हिसाब से बोई व प्रयोग की जाती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभप्रद होती हैं। इस समय नई फसल का आगमन होता है तो उसकी ख़ुशी में लोहड़ी जो कि विशेष तौर पर पंजाब, हरियाणा में धूम धाम से मनायी जाती है। आजकल हर प्रदेश के लोग हर प्रदेश में नौकरी व्यवसाय के सिलसिले में बस गए हैं। इसलिए कोई भी त्यौहार एक राज्य का होकर नहीं रह गया है। पूरे भारत में हर त्यौहार का हर्षोल्लास से मनाना हम देख सकते हैं। यह हमे एकता की सीख देता है।

लोहड़ी में रात्रि को ढोल, नगाड़े और अग्नि के चारो ओर फेरी लगाते हुए लोग घूम घूम कर खुशी मनाते हैं। इस सर्दी के मौसम में पॉप कोर्न, तिल, गुड़, मूंगफली की आहुति दी जाती है। इस दौरान लोहड़ी के गीत गाकर जश्न मनाते हैं। बाजरा, सरसों का साग, मक्के की रोटी का प्रयोग होता है। इन दिनों में इसके प्रयोग से शरीर हष्ट पुष्ट व गर्मी बनाए रखता है। इसी प्रकार बिहू असम का त्यौहार है, जो मकर सक्रांति का ही रूप है। नई फसल की खुशी में पकवान बनाए जाते हैं। पूजा अर्चना की जाती है। पकवानों में नारियल के लड्डू, तिल पीठा, घिला पीठा, मच्छी पितिका, बेनगेना खार आदि बनाए जाते हैं।

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पोंगल दक्षिण भारत तमिलनाडु का त्योहार है। यह भी नई फसल के आगमन की खुशी में मनाया जाता है, जो 4 दिन का त्यौहार माना जाता है। यह उन देवताओं को खुश करने के लिए मनाया जाता है। जो कृषि से सम्बंधित है। पोंगल के दिन प्रसाद भगवान सूर्य देव को भोग लगाते हैं, उसे पोंगल कहते हैं। पहले दिन इंद्र की पूजा की जाती है। इस दौरान खीर आदि प्रसाद बनाया जाता है। दूसरे दिन सूर्य, तीसरे दिन गाय, चौथे दिन बैलों की पूजा की जाती है। तमिलनाडु में बैलों की लड़ाई मशहूर है। खुशी और उल्लास का सूचक है। लोहड़ी में अपने गम को दहन कर दें। बुरी लत त्याग दें।

वहीं उत्तर भारत में मकर संक्रांति पर स्नान व दान का अत्यधिक महत्व है। गंगा स्नान का विशेष महत्व है। सूर्य का उत्तरायण में आना बहुत ही पवित्र व शुद्व माना जाता है। इस अवसर पर पतंग उड़ाने को लेकर कई धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं हिंदू धर्म में बताई गई हैं। माना जाता है कि इसका त्रेता युग से संबंधित है। तमिल की तन्दनान रामायण के मुताबिक भगवान राम ने पतंग उड़ाई थी, और वह इंद्रलोक में चली गई थी। तब से ही पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हो गई थी। नीले नीले आकाश में हमारी रंग बिरंगी पतंगे खुशी का इजहार करती हैं।

भीष्म पितामह ने सूर्य उत्तरायण में आ जाने तक इन्तजार कर देह त्यागी थी। सूर्य देव को हनुमान जी ने अपना गुरु बनाया था और उनके साथ चलते चलते सभी वेदों का ज्ञान प्राप्त किया। कहते हैं सूर्य उत्तरायण समय में देह त्यागने वालों को सीधा मोक्ष प्राप्त होता है। इस अवसर पर दाल चावल व अन्य सामान का दान करने का विशेष महत्व है। वहीं खिचड़ी खाकर पूरे परिवार जन खुश होते हैं। बच्चे, युवा, बुजुर्ग तक इसमें भाग लेते हैं। नाम अनेक त्यौहार एक कह जाने वाले- मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल, बिहू… शांति और समृद्धि के त्यौहार हैं।

के पी अग्रवाल हैदराबाद

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