हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साईबाबा की रिहाई पर रोक लगा दी हैं। आपको बता दें कि बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने शुक्रवार को माओवादी संबंध होने के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे साईबाबा को तुरंत रिहा करने का फैसला सुनाया था। हालांकि, इस फैसले को शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने आज सुबह 11 बजे इस मामले की विशेष सुनवाई की। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर साईंबाबा और अन्य की रिहाई पर रोक लगा दी है।
महाराष्ट्र सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की आज आपातकालीन सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को फिर से की जाएगी। न्यायमूर्ति श्री शाह और बेला एम त्रिवेदी की पीछ ने यह फैसला सुनाया। बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने माओवादियों के साथ संबंध होने के मामले में निराधार बताया और साईंबाबा और पांच अन्य को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था।
हाई कोर्ट ने गडचिरोली डिस्ट्रिक्ट सेशंस जज सूर्यकांत एस शिंदे के 7 मार्च 2017 को प्रोफेसर जीएन साईं बाबा, हेम मिश्रा, प्रशांत राही, महेश टिर्की और पांडू नरोटे को आजीवन कारावास और विजय टिर्की को दस साल की सजा को खारिज करते हुए शुक्रवार को फैसला सुनाया और तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था।
महाराष्ट्र पुलिस ने साईंबाबा को कथित तौर पर माओवादियों के साथ संबंध रखने के मामले में मई 2014 में गिरफ्तार किया। साईबाबा तब से जेल में है। उन्हें सबसे सख्त UAPA अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। साईंबाबा ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति रोहित देव और न्यायमूर्ति अनिल पांसरे ने दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की और साईबाबा की आजीवन कारावास सजा को रद्द कर दिया और तुरंत रिहा करने का आदेश दिया था।
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