हैदराबाद : अब यह गिलहरी इस गरीब परिवार की सदस्य बन गई है। सुबह से शाम तक उनके साथ रहती है। उनके साथ ही खेलती है। नाचती है। उनके साथ ही सोती है। सुबह उठती है। इस परिवार की दिन की शुरुआत गिलहरी के अभिवादन के साथ शुरू होती है।
सूर्यापेट जिला केंद्र के सुर्यापेट-जनगाम हाईवे के बाजू में कलीम दंपत्ति का एक टी स्टाल और हवा भरने का शॉप है। मेहनत करे तो ही इनके पेट में दो दाने जाते हैं। ऐसे परिवार का इस गिलहरी से गहरा संबंध जुड़ गया है।
ऐसा परिवार हाल ही में नेल्लोर में एक शुभ कार्य में भाग लेने के लिए गया था। उनके साथ गिलहरी को भी ले गये। ट्रेन में यात्री इस गिलहरी को देखकर आश्यर्य चकित हो गये। यात्री गिलहरी के साथ सेल्फी लेकर आनंदित हो गये। इस गरीब परिवार के बेटे अस्लाम और गिलहरी के बंधन के बारे में जानकारी सभी का मन आनंद से भर गया। मगर इसके पीछे एक दुखभरी और आंसू निकलने वाली एक कहानी भी छिपी है। चलिए जानते है वह कहानी क्या है-
अस्लाम 8वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा है। फोन में ऑनलाइन की कक्षा के पाठ पढ़ते-सुनते मां-बाप के काम में मदद करता है। इसी बीच यानी तीन महीने पहले अस्लाम को उसके मकान के पास पेड़ पर कौंओं की चिखने और चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। उसने वहां जाकर देखा। पेड़ पर बने घोंसले में गिलहरी के बच्चे को कौएं नोच रहे थे। अस्लाम ने कौओं की ओर पत्थर फेंका। पूरे कौएं उड़ गये। इसके बाद पेड़ पर से गिहलरी का एक बच्चा नीचे गिर गया। उस गिलहरी के बच्चे की आंख भी नहीं खुली थी। गिलहरी के बच्चे से खून बह रह था। यह देखकर अस्लाम के आंसू भर आये।
यह देख अस्लाम ने गिरहलरी को बचाने के इरादा किया। उसने उसे माता-पिता के पास लेकर गया। उन्होंने अस्लाम से कहा कि यह ज्यादा समय नहीं बच पाएगा। यह सुनकर वह और दुखी हो गया। बेटे को दुखी होते देख उन्होंने गिलहरी के बच्चे पर हल्दी लगाकर पट्टी बांध दी। इसके बाद दूध उसे पिलाया। 20 दिन में गिलहरी का बच्चा ठीक हो गया। देखते-देखते बड़ा हो गया। अब वह उस घर में हलचल कर रहा है।
परिवार वालों ने गिलहरी के लिए एक बॉक्स भी बनवाया है। अस्लम ने इसमें कपड़े डालकर गद्दी जैसा बना दिया। गिलहरी अब उस पर आराम से सोती है। भूख लगने पर गिलहरी चिल्लाकर परिवार को याद दिलाता है कि मुझे खाने के लिए कुछ तो भी दो। वो उसे खाने के लिए दूध और फल देते हैं। गिलहरी अब उस परिवार में खुशियां ही खुशियां भर दी है। उनका कहना है कि एक गूंगा जीव उनके साथ इस तरह रहना ईश्वर की ही देन है। उनकी चाय की दुकान पर आने वाले भी कुछ पल गिलहरी के साथ खेलते हैं। दुनिया एक तरफ है तो अस्लम और गिलहरी के खुशियों से भर परिवार एक तरफ है।