देवदारुओं के तले: संतोष अलेक्‍स की पचासवीं किताब लोकार्पित, ये साहित्यकार बनें साक्षी

हैदराबाद : युवा हिंदी कवि, अनुवाद विद्वान एवं समीक्षक डॉ संतोष अलेक्‍स की 50 वीं किताब ‘देवदारुओं के तले’ (यात्रा वृत्‍तांत) आभासी मंच पर लोकार्पित किया गया। श्री जोय वाषायिल, कवि एवं चीफ सेक्रेट्री, केरल सरकार ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

प्रो ऋषभ देव शर्मा ने किताब को लोकार्पित कर समीक्षा की। उन्‍होंने यात्रा वृत्‍तांत को हिंदीतर क्षेत्र के गद्य लेखन में कीर्तिमान बताया।

कार्यक्रम में हिंदी से प्रो शेमिम अलियार (केरल), जयश्री राय, हिंदी कथाकार (गोवा), प्रदीप सक्‍सेना, कवि पत्रकार (दिल्‍ली), नीरज दैया, कवि, आलोचक (राजस्‍थान), जेएल रेडडी, चर्चित अनुवादक (दिल्‍ली), रामप्रसाद राजभर, आलोचक (दिल्‍ली), कवि प्रतापराव कदम (खांडवा), संजीव कुमार, कवि, प्रकाशक (दिल्‍ली), परमान सिंह, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्‍थान (मैसूर), कवि याकूब (हैदराबाद) एवं वीपी नगरकर, राजभाषा अधिकारी (मुंबई) तथा केरल से मलयालम कवि रावूणी, सेबास्ट्यिन एवं पत्रकार सीवी सतीशकुमार ने इंडिया नेट बुक्‍स के श्री संजीव कुमार एवं आथर्स प्रेस के सुदर्शन केचेरी एवं अंग्रेजी कवि एवं अनुवादक प्रबल कुमार बसु (कलकत्‍ता ) से एवं उज़्बेकिस्‍तान से साहित्‍यकार, लेखक नीलोफर खोदजेवो, नेपाल से कवि अनुवादक निमेश निखिल ने भाग लिया।

साइप्रस से कवि, संगीतज्ञ रुहसान एवं दुबई से गायक अखिल वेणुगोपाल ने कार्यक्रम को अपने संगीत से अविस्‍मरणीय बनाया। संतोष अलेक्‍स ने तीस साल के अपने लेखकीय जीवन को संक्षिप्‍त रूप में प्रस्‍तुत किया और 50 वीं किताब के प्रकाशन पर सभी लेखक, संपादक एवं प्रकाशकों का तथा अपने परिवार का शुक्रिया अदा किया।

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