मल्लिकार्जुन खड़गे चुने गये कांग्रेस के नये अध्यक्ष, दशकों बाद पार्टी को मिला दलित समुदाय का नेता

हैदराबाद: मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नये अध्यक्ष चुने गए हैं। उन्होंने तिरुवंतपुरम के सांसद शशि थरूर को हरा दिया है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने जानकारी दी कि खड़गे को कुल 7897 वोट मिले हैं, जबकि शशि थरूर को 1072 वोट आये हैं। ऐसे में खड़गे ने करीब 8 गुना से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। इसी क्रम में सोनिया गांधी ने मल्लिकारिजुन खडगे को बधाई दी।

इस चुनाव के बाद कांग्रेस को नया अध्यक्ष तो मिल गया है। लेकिन अनेक चुनौतियां उनके सामने हैं। नये अध्यक्ष इन चुनौतियां का कैसे सामना करेगी? इस समय मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को लोगों से जोड़ने और फिर से चुनाव जीतने की शुरुआत करने की है। ढाई दशकों में कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज होने वाले गांधी परिवार से बाहर के वे पहले सदस्य हैं। ऐसे में पार्टी के भीतर की चुनौतियों से लड़कर उन्हें जिस रास्ते आम जनता तक पहुंचना है वो बहुत आसान नहीं दिखाई देता है। चुनावी मोर्चे पर खड़गे के लिए पहली बड़ी चुनौती उनके गृह राज्य कर्नाटक में होगी। जबकि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव बस कुछ ही हफ्ते दूर हैं। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 11 राज्यों में चुनाव होंगे और खड़गे के सामने सबसे बड़ी परीक्षा पार्टी को कम से कम प्रमुख राज्यों में जीत दिलाने की होगी।

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त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में जहां फरवरी-मार्च में मतदान होगा, वहीं कर्नाटक में विधानसभा चुनाव मई में होने हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में 2023 के नवंबर-दिसंबर में मतदान होना है। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि मल्लिकार्जुन खड़गे इन चुनावों में कांग्रेस को किस तरह पेश करते हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने के बाद एक महत्वपूर्ण चुनौती अपनी छवि को एक आज़ाद अध्यक्ष के तौर पर पेश करने की होगी। खडगे को पार्टी के भीतर और आम जनता के बीच ये संदेश देना होगा कि वह नेहरू-गांधी परिवार के प्रतिनिधि नहीं हैं। 1970 के दशक के बाद यह पहली बार है कि गांधी परिवार के सदस्य पार्टी में सक्रिय होंगे। लेकिन पार्टी की बागडोर नहीं संभालेंगे।

हालांकि गांधी परिवार लगातार ये जताने का प्रयास करता रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका गांधी परिवार से ज़्यादा है। इसका एक उदाहरण बुधवार को राहुल गांधी द्वारा दिए गए उस बयान से लिया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी में सर्वोच्च अधिकारी हैं और हर नेता उन्हें रिपोर्ट करता है। खड़गे की सबको साथ लेकर चलने की क्षमता की भी परीक्षा होगी। कांग्रेस को दशकों बाद दलित समुदाय से अध्यक्ष मिल रहा है। वह जगजीवन राम के बाद यह पद संभालने वाले दूसरे दलित नेता हैं। यह देखना होगा कि क्या कांग्रेस इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगी या नहीं? (एजेंसियां)

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