मोदी ने की तेलंगाना के डॉ विट्ठल आचार्य की प्रशंसा, बोले- “सपनों को साकार करने में उम्र कोई बाधा नहीं”

हैदराबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सपनों को साकार करने में उम्र कोई बाधा नहीं होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि तेलंगाना के 84 वर्षीय डॉ कुरेल्ला विट्ठल आचार्य हम सभी के लिए एक आदर्श हैं।

मोदी ने कहा, “विट्ठल आचार्य कम उम्र से ही एक बड़ा पुस्तकालय स्थापित करना चाहते थे। मेहनत से पढ़ाई की और लेक्चरर बन गये। इस दौरान किताबें जमा की और सेवानिवृत्ति के बाद एक बड़ा पुस्तकालय की स्थापित किया। दृढ़ता रहा तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। इसके लिए उम्र कोई बाधा नहीं होती है। प्रधानमंत्री ने हर महीने के आखिरी रविवार को आयोजित रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में यह टिप्पणी की।

गौरतलब है कि 9 जुलाई 1938 को यादाद्री भुवनेश्वर जिले के रामन्नापेटा मंडल में नीर्नेमल गांव में विट्ठल आचार्य का जन्म हुआ था। कम उम्र से ही किताबें पढ़ने का शौक था। स्कूल की उम्र से ही उनका सपना रहा है कि एक बड़ा पुस्तकालय रहे। इसके लिए उन्होंने पढ़ाई के समय से ही किताबें इकत्रित करने लगा।

लेक्चरर और प्रिंसिपल के रूप में सेवानिवृत्त हो गये। 2014 में एलंकी गांव में 4,000 किताबों के साथ एक बड़ा पुस्तकालय स्थापित किया। हालांकि कॉलेज के दिनों में आचार्य ने दोस्तों के साथ लाइब्रेरी तो शुरू की थी, लेकिन बीच में अन्क अड़चने आई। फिर भी निराश हुए बिना किताबें खुद इकट्ठा कीं और अपने सपने को साकार किया। अब ‘आचार्य कुरेल्ला पुस्तकालय’ नाम से चला रहे है। अब इस लाइब्रेरी में 2 लाख से अधिक पुस्तकें हैं। विट्ठल आचार्य ने खुद लगभग 20 पुस्तकें भी लिखी हैं।

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