हैदराबाद : चारों ओर घना धुआं, आग की लपटें, मांस के ढेर में बदल गये बिहार के 11 श्रमिकों के शव, जिधर देखों उधर आहाकार। शहर के गांधीनगर थाना क्षेत्र के बोईगुडा के कबाड़ गोदाम में बुधवार को अलसुबह लगी आग का भयानक दृश्य है। दुर्घटना की सूचना मिलने पर पुलिस और दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे और आग पर काबू पाने के लिए तीन घंटे से अधिक समय लगा। काफी मश्शकत के बाद आग पर काबू पा लिया गया और अंदर जाकर देखा तो भयानक दृश्य दिखाई दिया।
शव इस तरह जल गये कि उसकी पहचान कर पाना मुश्किल हो गया। इसके चलते गांधी अस्पताल के डॉक्टरों ने मृतकों की पहचान करने के लिए डीएनए परीक्षण करने की आवश्यकता जताई है। गोदाम के अंदर श्रमिकों ने आग से बचने के लिए अथक प्रयास किया। मगर उसमें कामयाब नहीं हो पाये और आग में तड़प-तड़प कर जल गये।
भागने का मौका ही नहीं
पता चला है कि दुर्घटना के समय सभी श्रमिक गहरी नींद में थे। आग के चलते नींद खुलने पर भी बचने और भागने का उनके पास मौका ही नहीं था। इसके चलते आग में ही जिंदा जल गये। एक तरफ आग की लपटें और दूसरी तरफ बचने के लिए किस तरह से प्रयास किये यह बिखरी लाशों को देखने से स्पष्ट होता है। हालांकि, प्रेम नामक श्रमिक खिड़की से कूदकर बच गया। कबाड़ के गोदाम के पास की वेल्डिंग दुकान और केबल गोदामों में लगी आग बाद में विकराल रूप लिया है। आने और जाने का एक ही रास्ता है।
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शवों का डीएनए परीक्षण
गोदाम में रखे गये केबल में आग लग गई और वह पूरी तरह जल गये। कुल मिलाकर यहां का हाल किसी फिल्म के सीन जैसा था। इस बीच स्थानीय लोगों ने संदेह व्यक्त किया कि सिलेंडर विस्फोट से आग लगी है। अधिकारियों का मानना है कि यह हादसा शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ है। मृतकों में नौ शव क्षत-विक्षत पाये गये। इसके चलते गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ राजाराव ने कहा कि सभी शवों का डीएनए परीक्षण कराना अनिवार्य हो गया है।
12 हजार रुपये वेतन
अग्नि दुर्घटना में मारे गये सभी श्रमिक बिहार राज्य के चोपड़ा जिले के रहने वाले थे। करीब दो सालों से ये सभी उसी गोदाम में काम कर रहे थे, जहां हादसा हुआ। उनमें से कुछ विवाहित और कुछ अविवाहित थे। लेकिन उन सभी की पहचान किये जाने की जरूरत है। ये सभी 12 हजार रुपये वेतन पर काम कर रहे थे। कुछ ने परिवार के सदस्यों को फोन करके बताया कि दस दिन में घर आ जाएंगे।
एक ही प्रवेश द्वार
अधिकारियों ने श्रवण ट्रेडर्स स्क्रैप गोदाम के मालिक संपत के रूप में की है। हालांकि गोदाम का क्षेत्रफल लगभग एक हजार गज हैं। लेकिन अंदर और बाहर जाने के लिए केवल एक ही प्रवेश द्वार है। अलसुबह शॉर्ट सर्किट के कारण प्रवेश द्वार पर आग लग गई। इसके कारण बाहर नहीं निकले पाये। गोदाम के अंदर बड़े पैमाने पर बोतलें, अन्य बिजली और इलेक्ट्रॉनिक सामानों में आग लग गई और पूरी तरह से जल गई। आग से बोतलें फट गईं और बिखर गई। इसके चलते किसी को भी बाहर जाना असंभव हो गया।
नियम का उल्लंघन
अधिकारियों ने पाया कि जिस शेड में आग लगी थी, उसके पास दमकल विभाग से कोई परमिट नहीं था। इसके अलावा अंदर आग से बचाव के कोई उपाय भी नहीं है। यह भी पता चला है कि जीएचएमसी या श्रम विभागों से कोई परमिट नहीं लिया है। हालांकि गांधीनगर पुलिस गोदाम के मालिक को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
अनुग्रह राशि
सीएम केसीआर के निर्देशानुसार सीएस सोमेश कुमार ने घोषणा की कि पीड़ित परिवार को 5-5 लाख रुपये अनुग्रह राशि दी जाएगी। केंद्र सरकार ने भी 2 लाख रुपये अनुग्रह राशि की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि पार्थिव शरीर को उनके गावों तक भेजने की व्यवस्था की गई है। सोमेश कुमार ने इस दौरान स्थिति का जायजा लिया। बाद में उन्होंने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि हादसे की पूरी जांच की जा रही है। गोदाम के परमिट पर भी जांच पड़ताल की जाएगी। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री केसीआर ने हादसे पर दुख जताया है। सीएम ने अधिकारियों को घटना की पूरी जांच करने के निर्देश दिए हैं।