हैदराबाद: सरकार के लाख चाहने पर भी भारत में कोरोना वायरस वैक्सीनेशन अभी पूरा नहीं हुआ है। इसी बीच कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) के रूप में नई मुसीबत आ खड़ी हो गई है। इसी बीच ओमिक्रॉन की शुरुआती रिसर्च में बड़ा खुलासा हुआ है कि कोविशील्ड (Covishield) समेत तमाम वैक्सीन वैक्सीन (Vaccine) कोरोना के नये वैरिएंट के खिलाफ कारगर नहीं हैं।
ओमिक्रॉन के खिलाफ ये दो वैक्सीन मात्र कारगर
द न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक, वैक्सीन ओमिक्रॉन से संक्रमित होने पर ज्यादा बीमार होने से तो बचा रही है। मगर इसके संक्रमण को रोक नहीं पा रही है। रिसर्च में केवल फाइजर और मॉडर्ना (Pfizer and Moderna) वैक्सीन के बारे में अच्छी खबर मिली है। फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन को बूस्टर शॉट से लगाने के बाद ओमिक्रॉन को रोकने में शुरुआती तौर पर सफलता दिखाई दी है।
शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन (AstraZeneca तथा Johnson) & Johnson) समेत चीन और रूस में निर्मित वैक्सीन भी ओमिक्रॉन को रोकने में सक्षम नहीं हैं। मुसीबत ये है कि अब तक दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन नहीं लगा है।
कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए बड़ा खतरा
ओमिक्रॉन के चलते संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने और कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है। टीकाकरण पूरा नहीं होने की वजह से और नए वैरिएंट पैदा होने का खतरा भी है।
फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन
गौरतलब है कि फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन को बनाने में messenger ribonucleic acid (mRNA) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। जो सभी प्रकार के संक्रमण और वैरिएंट से सुरक्षा करता है। बाकी अन्य वैक्सीन पुरानी तकनीक पर आधारित हैं।
भारत के लिए चिंता की बात
ब्रिटेन में हुई रिसर्च में पता चला है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) की वैक्सीन भी कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ कारगर नहीं हैं। स्टडी में कोविशील्ड वैक्सीन ने टीकाकरण के 6 महीने बाद ओमिक्रॉन को रोकने की क्षमता नहीं दिखाई।
चिंता की बात ये है कि भारत में करीब 90 फीसदी लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन की डोज ली है। भारत के अलावा अफ्रीका के 44 देशों में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन बड़े पैमाने पर लोगों को लगाई जा चुकी है। (एजेंसियां)