साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति: ग्यारहवां अवार्ड पर लिया गया यह बड़ा फैसला

हैदराबाद: साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति, हैदराबाद की बैठक 3 जुलाई को ऑनलाइन संपन्न हुई। समिति की संस्थापक अध्यक्ष डॉ अहिल्या मिश्र एवं महासचिव डॉ रमा द्विवेदी के द्वारा जारी संयुक्त विज्ञप्ति में बताया कि बैठक की अध्यक्षता प्रो शुभदा वांजपे (पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, उस्मानिया विश्वविद्यालय) ने की। डॉ अहिल्या मिश्र ने सभी अतिथियों एवं सदस्यों का स्वागत किया एवं पुरस्कार का परिचय दिया। इस सभा में ग्यारहवें साहित्य गरिमा पुरस्कार -2019 के संदर्भ में विचार विमर्श किया गया।

राष्ट्रीय निर्णायक मंडल प्रो हरीश अरोड़ा (नोयडा) डॉ विजय शंकर, डॉ अनीता शुक्ल (वड़ोदरा) डॉ शिव शंकर अवस्थी (दिल्ली) द्वारा प्राप्त रिपोर्ट को स्थानीय निर्णायक मंडल प्रो ऋषभदेव शर्मा, प्रो शुभदा वांजपे, प्रो गंगाधर वानोडे एवं डॉ जी नीरजा के समक्ष प्रस्तुत की गई। प्राप्त प्रविष्टियों में सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाली पुस्तक ‘कविता की आँच में पिघलता अँधेरा’ (प्रबंध काव्य) की रचनाकार डॉ उषारानी राव को सर्व सम्मति से ग्यारहवाँ साहित्य गरिमा पुरस्कार देने का निर्णय सहर्ष घोषित कर दिया गया। यह समारोह आगामी 21 अगस्त को आयोजित किया जाएगा।

बैठक में संस्था का पुनर्गठन करके पूर्व पदाधिकारियों के साथ-साथ कुछ नए पदाधिकारियों का मनोनयन भी किया गया। मीना मुथा – उपाध्यक्ष, दीपा कृष्णदीप एवं शिल्पी भटनागर – सह कार्यदर्शी, डॉ सुरभि दत्त – संयुक्त मंत्री, सरिता सुराणा, मोहिनी गुप्ता, बिनोद गिरि अनोखा, तृप्ति मिश्रा – कार्यकारिणी सदस्य, डॉ मदन देवी पोकरना – संरक्षक, डॉ रेखा शर्मा, परामर्शदाता, प्रवीण प्रणव – न्यासी एवं संतोष रज़ा – सहयोगी सदस्य में सम्मिलित किया गया।

इस अवसर पर उपरोक्त स्थानीय निर्णायकों एवं पदाधिकारियों सहित शांति अग्रवाल, अवधेश कुमार सिन्हा, डॉ अहिल्या मिश्र, सुनीता लुल्ला, देवा प्रसाद मायला, भावना पुरोहित, संपत देवी मुरारका, डॉ रमा द्विवेदी, डॉ अर्पणा दीप्ति एवं डॉ आशा मिश्र ‘मुक्ता’ सहित कुल तेईस सदस्य उपस्थित रहे।

प्रो ऋषभदेव शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि अभी तक साहित्य की विभिन्न विधाओं में किसी एक चयनित विधा पर दक्षिण प्रांतों की अहिन्दी भाषी लेखिकाओं द्वारा हिंदी में लेखन हेतु साहित्य गरिमा पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाता है। प्राप्त प्रविष्ठियों का राष्ट्रीय निर्णायकों एवं स्थानीय निर्णायकों के मूल्यांकन के आधार पर सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाली पुस्तक को चयनित कर पुरस्कार देने का निर्णय लिया जाता है। यह प्रक्रिया अत्यंत सराहनीय है।

प्रो शुभदा वांजपे जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि दक्षिण प्रान्त की लेखिकाओं को प्रोत्साहन एवं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने हेतु साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति द्वारा पारदर्शिता पूर्ण चयन प्रक्रिया बहुत ही प्रशंसनीय है। उपाध्यक्ष मीना मुथा ने धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम समाप्त हुआ।

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