केंद्रीय हिंदी संस्थान : इस मॉडल स्कूल के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह

हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा आंध्र प्रदेश राज्य के मॉडल स्कूल के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए ‘490वें नवीकरण पाठ्यक्रम’ का आयोजन 6 से 17 अक्टूबर तक किया गया। इसका समापन समारोह शुक्रवार को संपन्न हुआ।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने आभासीय मंच के माध्यम से की। मुख्य अतिथि के रूप में केनरा बैंक, हैदराबाद के पूर्व सहायक महाप्रबंधक (राजभाषा) डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव, विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत सरकार : हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य श्रुतिकांत भारती एवं दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के पूर्व कुलसचिव, शंकर सिंह ठाकुर उपस्थित रहे। इस अवसर पर पाठ्यक्रम संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. फत्ताराम नायक, डॉ. दीपेश व्यास, अतिथि प्रवक्ता डॉ. संध्या दास एवं डॉ. राजीव कुमार सिंह उपस्थित थे।

सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अतिथियों के स्वागत में प्रतिभागियों द्वारा संस्थान गीत एवं स्वागत गीत प्रस्तुत करके कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम में कुल 38 (महिला-27, पुरुष-11) प्रतिभागियों ने कक्षा में उपस्थित होकर प्रशिक्षण प्राप्त किया।

अभासी मंच के माध्यम से निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि प्रशिक्षण में आप सभी ने जो पाठ्यक्रम के दौरान सीखा वह अपने छात्रों को सिखाकर उन्हें लाभान्वित करेंगे। आज हिंदी पूरे विश्व की भाषा बन गई है। हमारी जनसंख्या पहले हमें अपनी कमजोरी लगती थी पर उसी जनसंख्या के कारण आज हमारे देश में नए-नए व्यापारिक आयाम स्थापित हो पा रहे हैं। तकनीकी एवं हिंदी सिनेमा आदि के माध्यम से हम हिंदी का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं। इस प्रशिक्षण के माध्यम से आप सभी का तन एवं मन दोनों शुद्ध हुए होंगे।

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मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव ने कहा कि इस संस्था में आकर जो ज्ञान प्राप्त होता है, वह अन्यत्र नहीं। हमे सिर्फ ज्ञान रूपी दीपक की बात करने से अंधेरा दूर नहीं होता बल्कि अंधेरे को दूर करने के लिए हमें चलकर दीपक को जलाना होगा। इसलिए हिंदी को जानने के लिए हमें स्वयं हिंदी पढ़नी और पढ़ानी होगी अर्थात् हिंदी का प्रचार प्रसार करना होगा जिसके लिए सभी को हिंदी सीखनी होगी। आप सभी हिंदी अध्यापकों के माध्यम से कहना चाहता हूँ कि हिंदी भाषा को सिखाने के लिए चाहे संभाषण का माध्यम हो, संप्रेषण की बात हो, चाहे जैसे भी हो बच्चों को हिंदी सिखाएँ । बच्चे जीवनभर उसे भूल नहीं सकते।

अतिथि के रूप में मिलिंद प्रकाशन एवं स्वतंत्रता सेनानी परिवार से जुड़े श्रुतिकांत भारती ने अपने जीवन के अनुभव को साझा करते हुए प्रतिभागी अध्यापकों को आशीर्वचन दिया तथा कहा कि आपकी मातृभाषा आपके लिए महत्वपूर्ण है लेकिन देश-विदेश में पहचान आपको हिंदी भाषा ही दिलाएगी। आप हिंदी वैश्विक रूप में उभर रही है जिसमें दक्षिण भारत की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

पाठ्यक्रम संयोजक एवं क्षेत्रीय निदेशक डॉ. फत्ताराम नायक ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। और इस प्रशिक्षण में आपने जो कुछ सीखा या पाया उसे आप अपने छात्रों को लाभान्वित करेंगे। अतिथि प्रवक्ता डॉ. दीपेश व्यास ने कहा कि सीखना एक प्रक्रिया है, जो जीवनपर्यंत चलती रहती है, जो यहाँ सीखा है उसे अपने छात्रों को लाभ पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें।

इस कार्यक्रम का संचालन एवं आभार ज्ञापन कोलपल्लि हर्षवर्धन द्वारा किया गया। इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने हस्तलिखित पत्रिका ‘आंध्र रत्नावली’ की रचना की। समापन समारोह के दौरान अतिथियों द्वारा हस्तलिखित पत्रिका का लोकार्पण किया गया। प्रतिभागियों को अतिथियों के द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किए गए। पर-परीक्षण के आधार पर उत्तम अंक प्राप्त छात्रों को विशेष पुरस्कार दिए गए। रावूरि माल्याद्रि को प्रथम पुरस्कार, कालवा श्रीदेवी को द्वितीय पुरस्कार, एम. रूक्साना पर्वीन को तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए। पातूरि कल्याणि को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किया गया।

इस पाठ्यक्रम के समापन समारोह में प्रतिभागियों द्वारा अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। पाठ्यक्रम से संबंधित प्रतिक्रियाएँ प्रतिभागी सुहासिनी, एम. अनिल कुमार, एम. रूक्साना पर्वीन, हर्षवर्धन एवं शेखर द्वारा दी गईं। महिला प्रतिभागियों द्वारा सामूहिक ‘कोलाटम’ सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संस्थान परिवार का भरपूर सहयोग रहा। अंत में राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन हुआ।

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