हैदराबाद : अध्यात्मवादी त्रिदंडी चिन्ना जियार स्वामी ने कहा है कि समाज को जागरूक करने वाले रामानुजाचार्य सहस्राब्दी उत्सव बुधवार से रंगारेड्डी जिले के शमशाबाद, मुचिंतल स्थित चिन्ना जियार स्वामी के आश्रम में मनाया जाएगा। रामानुजाचार्य के समता संदेश को दुनिया में फैलाने के लिए 216 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। जियार स्वामी ने सोमवार को हैदराबाद के मुचिंतल स्थित अपने आश्रम में मीडिया से बातचीत यह बात कही।
स्वामी ने बताया कि कोरोना के प्रभाव को कम करने के लिए 1,035 अग्नि कुण्डो के साथ महायज्ञ किया जाएगा। स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी के नाम पर निर्मित रामानुजाचार्य की प्रतिमा को 5 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 12 फरवरी को रामानुजाचार्य की 120 किलोग्राम की सोने की मूर्ति का अनावरण करेंगे। देश के इतिहास में स्वर्ण महाकाव्य लिखने वाले महान लोगों में से रामानुजाचार्य एक है। रामानुजाचार्य समता के स्वरूप है। हजार साल पहले समानता की शिक्षा दी। मानव सेवा माधव सेवा नहीं है, बल्कि सभी प्राणियों की सेवा करने की सीख दी है।
जियार स्वामी ने कहा कि समाज में व्याप्त भयानक वायरस ‘असमानता’ है। इसे मिटाने की कोशिश की जा रही है। एक व्यक्ति दूसरे का सम्मान नहीं कर है। अनेक जातियों के बीच समानता का अभाव है। हमें जाति की सीमाओं को पार करना होगा। इस समय मनुष्य पर वर्चस्व दिखा रहा है। अहंकार नामक बीमारी बढ़ती जा रही है।
उन्होंने कहा कि वैक्सीन केवल बाहर आने वाली बीमारियों के लिए, बल्कि मन की बीमारियों के लिए भी वैज्ञानिकों को टीका खोजा जाना चाहिए। रामानुजाचार्य ने हजारों साल पहले मानव के आहांकार के लिए टीके का आविष्कार किया था। समता स्पूर्ति ही मनुष्य के अहंकार समाप्त कर सकती है। हमारे देश, धर्म और संस्कृति पर कई हमले हो रहे हैं। रामानुजाचार्य के चरित्र को थिएटर में भक्तों के लिये प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही समता मूर्ति केंद्र में डिजिटल पुस्तकालय स्थापित किया जाएगा।
चिन्ना जियार स्वामी ने कहा कि यहां की हर संरचना 9 संख्या से जुड़ी हुई है। परिसर में 108 दिव्य क्षेत्रों का निर्माण किया गया है। एक ही दिन में इन सभी को देखने का सौग्य प्राप्त होगा। इनमें तिरुपति, अहोबिलम, पालसमुद्रम और वैकुंठम शामिल हैं। समता मूर्ति प्रतिमा के नीचे 108 सीढ़ियां बनाई गई है। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति से सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। हम आजादी का अमृत उत्सव में महान लोगों की महानता से अवगत करा रहे हैं। यह एक सराहना कार्य हैं। इसी के अंतर्गत ही रामानुजाचार्य का सहस्राब्दी उत्सव मनाया जा रहा है।