हैदराबाद : आर्य समाज ईसामिया बाज़ार में रामायण कथा का आयोजन जारी है। यहाँ जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयंती के समारोह के राष्ट्रीय सदस्य डॉ धर्मतेजा बताया है कि श्रीराम नवमी के अवसर पर पॉंच दिन की रामकथा का आयोजन किया जा रहा है।
इसी क्रम में बृहद यज्ञ के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। इस अवसर पर हरियाणा प्रांत से पधारे अंजली आर्य ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आर्यसमाज श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में मानती है। अपने भजनों के माध्यम से उन्होंने कहा कि रामायण कथा का उद्देश्य ये होना चाहिए कि हम श्रीराम को मानते हैं तो श्रीराम की बात को भी मानना चाहिए। श्रीराम की चित्र की पूजा तक ही सीमित नहीं होना चाहिए अपितु श्रीराम के चरित्र से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।
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श्रीराम धर्म के उद्धार करने में सबसे पहले उपस्थित हुआ करते थे। श्रीराम त्याग के मूर्तिमान हैं। श्रीराम को पूर्ण रूप से जानना चाहते हो तो राम जी के चरित्र को जानना अत्यंत आवश्यक है। आज घर-घर में, जन-जन के हृदय में श्रीराम विराजमान है तो इसका कारण श्रीराम का चरित्र है। रामायण का अर्थ है श्रीराम के घर की कथा ही रामायण है। श्रीराम का घर स्वर्ग के समान है। श्रीराम जी अपने माता-पिता के आज्ञानुसार प्रसन्नता पूर्वक वनवास चले गये हैं। श्रीराम के जीवन से हमें प्रेरणा लेते हुए हमें अपने परिवार को आदर्शपूर्ण बनाना है।
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इससे पहले डॉ धर्मतेजा ने क्रान्तिकारी बहन अंजली आर्य का परिचय दिया है। आर्यसमाज ईसामिया के प्रधान धर्मपाल ने अपने स्वागत भाषण में मंचासीन अतिथियों एवं आगन्तुक अतिथियों का स्वागत करते हुए रामकथा के उद्देश्य को स्पष्ट किया है। आर्यसमाज के मंत्री विजयपाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर सत्यपाल, सोमनाथ, भक्तराम, प्रदीप जाजू, डॉ विद्याधर, संग्राम सिंह, सत्यनारायण, विश्वपाल आर्य, भवानी एवं नगरद्वय के आर्यसमाज के सदस्य और धर्मानुष्ठान में रूचि रखनेवाले बड़ी संख्या में रामभक्त उपस्थित हुए थे।