भारत सरकार का बड़ा फैसला, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर लगाया प्रतिबंध, बताई यह वजह

हैदराबाद: भारत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र सरकार ने
गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त पाये जाने के बाद (PFI) पर पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन में पीएफआई को गैर-कानूनी संस्था घोषित किया है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पीएफआई के केंद्रों पर छापे मारे गये और अनेक लोग गिरफ्तार किया गया है।

प्रतिबंध के तहत अब पीएफआई किसी प्रकार की गतिवधि को अंजाम नहीं दे सकता है। वह ना कोई कार्यक्रम आयोजित कर सकता है। न तो उसका कोई दफ्तर होगा। न वो कोई सदस्यता अभियान चला सकता है। न ही फंडिंग ले सकता है। केंद्र सरकार की यह कार्रवाई उसकी पिछले कुछ दिनों से जारी छापे के बाद लिया है। पीएफआई के खिलाफ दो बार देशव्यापी छापेमारी हो चुकी है। छापेमारी के दौरान पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के बड़े-बड़े नेता गिरफ्तार किए गए हैं। देश के 8 राज्यों में मंगलवार को भी पीएफआई के करीब 25 ठिकानों पर छापे मारे गये और 170 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों जैसे युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों और समाज के कमजोर वर्गों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से अपने सहयोगी संगठनों या सम्बद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों की स्थापना की है। इसका एकमात्र उद्देश्य इसकी सदस्यता, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता बढ़ाना है।

इसके अलावा पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन सार्वजनिक तौर पर एक सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक संगठन के रूप में कार्य करते हैं। हालांकि, ये गुप्त एजेंडे के तहत समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने की दिशा में कार्य करते हैं। देश के संवैधानिक प्राधिकार और संवैधानिक ढांचे के प्रति घोर अनादर दिखाते हैं।

साथ ही पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त हैं जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ है। इससे शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल खराब होने और देश में उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका है। पीएफआई के संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी के नेता रहे हैं और पीएफआई का संबंध जमात-उल-मुजाहिद्दीन यानी जेएमबी से भी रहा है। ये दोनों संगठन प्रतिबंधित हैं।

इसके साथ ही पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समहूों- इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया यानी आईसआईएस के साथ अंतरराष्ट्रीय संपर्क के कई उदाहरण हैं। पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन चोरी-छिपे देश में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देकर एक समुदाय के कट्टरपंथ को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। इसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि इसके कुछ सदस्य अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़ चुके हैं। इन सब तथ्यों को देखने के बाद केंद्रीय सरकार का यह मत है कि इन कारणों से विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1967 यानी UAPA, 1967 की धारा 3 की उप-धारा 1 के अधीन अपनी शक्तियों का प्रयोग करना आवश्यक है।

गजट नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि अगर पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबंध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों के गैर-कानूनी क्रियाकलापों पर तत्काल रोक या नियंत्रण न लगाया गया तो पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबंध संस्थाएं या अग्रणी संगठन विध्वंसात्मक गतिविधियों को जारी रखेंगे। आतंक आधारित रिग्रेसिव रिजीम को प्रोत्साहित करेंगे। एक वर्ग विशेष के लोगों में देश के प्रति असंतोष पैदा करेंगे और देश की अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों को और तेज करेंगे। (एजेंसियां)

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