रोचिका अरुण शर्मा की पुस्तक ‘हार्ट इमोजी की धड़कन’ लोकार्पित, जानिए इन वक्ताओं के विचार

चेन्नई: चेन्नई निवासी कथाकार रोचिका अरुण शर्मा के कहानी संग्रह ‘हार्ट इमोजी की धड़कन’ का लोकार्पण एवं पुस्तक चर्चा समारोह हाल ही में ‘अभ्युदय अंतर्राष्ट्रीय संस्था’ द्वारा ज़ूम प्लैटफॉर्म पर ऑनलाइन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात कथाकार चित्रा मुद्गल ने की। समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात कवि, बाल साहित्यकार, आलोचक दिविक रमेश रहे। प्रख्यात कथाकार डॉ अलका सिन्हा एवं वरिष्ठ साहित्यकार, समीक्षक एवं आलोचक बीएल आच्छा ने विशिष्ट अतिथि की भूमिका अदा की।

पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि लेखिका की कहानियों में कहीं लगता ही नहीं कि वह इंजिनियर है। यह अपने समय के प्रति बहुत सजग है। कहानियाँ समकालीन पीढ़ी में कुछ अलग तरह की हैं। इन्हें पढ़ कर ऐसा नहीं लगता कि इस कहानी का दृश्य शिवानी या कृष्णा सोबती की कहानियों से कुछ मेल खाता है। यह बहुत बड़ी विशेषता है कि यह सर्जना को, उस काल और परम्परा को जीती हैं। संकलन को पढ़ने से पूर्व मेरे मन में उत्सुकता थी कि नयी लेखिका है न जाने कैसा पढ़ने को मिलेगा। लेकिन मैंने पाया कि लेखिका किसी विसंगति के दृश्य को पकड़ लेती हैं और उसे रचने का अपना कौशल इस्तेमाल करके लिखती हैं। इस संकलन को पढ़ कर मैं आश्वस्त हुई हूं। कथा की बुनावट, उसका शिल्प, चरमोत्कर्ष सब से अलग है। कहानियों का परिदृश्य युवा समृद्ध लेखन की और इशारा करता है और संग्रह की कहानियाँ पाठकों तक जरूर पहुंचेंगी।

दिविक रमेश ने कहा…

इसी क्रम में दिविक रमेश ने कहा कि लेखिका को मनोविज्ञान की गहरी समझ है। सहज समझ के साथ वे भावनात्मक भाव को भावुकता बनने से बचा देती हैं। कहानियों में बुनावट के साथ ही पात्र प्रश्न उठा देते हैं। लेखिका नारी विमर्श का वास्ता दे कर फैशन के रूप में झंडा नहीं उठातीं। कहानियाँ कई जगह रूढ़ियों को चुपचाप ध्वस्त करती हैं। हर एक कहानी का अंत बहुत प्रभावशाली है।

बीएल आच्छा ने विचार व्यक्त किया…

बीएल आच्छा ने कहा कि कहानियों में पुराने जीवन एवं नए जीवन में कंट्रास्ट है। कहानियों के पात्र बाहरी एवं आतंरिक अंतर्द्वंद के साथ जूझते हुए एक नयी राह निकाल लेते हैं। पुस्तक के शीर्षक पर ध्यान दिलाते हुए वे कहते हैं कि इनकी कहानियाँ निर्जीव इमोजी में जैविक धड़कन डाल देती हैं। कहानियों में कहीं न कहीं दर्द छिपा हुआ है जिसमें स्त्री पुराने जीवन मूल्यों को साथ रखते हुए जीवन के नए रूप में जीने के लिए जिजीविषा रखती हैं। कहानी में कई जगह काव्यात्मक अभिव्यक्ति भी परालाक्षित हुई है और शीर्षक बहुत मौजू हैं। प्रतीकों के माध्यम से प्रकृति को जैविक संबंधों के साथ जोड़ देती हैं और कहानियों में संवादों की जीवंतता है।

डॉ अलका सिन्हा ने रखी यह बात…

डॉ अलका सिन्हा जिन्होंने पुस्तक की भूमिका लिखी है, कहा है कि यदि ह्रदय में दिल ही नहीं धड़का तो इमोजी की दुनिया ही रह गयी। रोचिका की कहानियाँ एक चुनौती की तरह प्रस्तुत होती हैं। वे हिम्मत देती हैं ताकि आप इन परिस्थितियों से संघर्ष कर तारतम्य बैठाने की कोशिश करें। इनकी कहानियाँ मन में हलचल मचा देती हैं। ऐसे कई दृश्य इन कहानियों में हैं जो आपको अचानक से रोक देते हैं और पूछते हैं कि आपने क्या ट्रीटमेंट किया था इस परिस्थिति में?

संस्था की अध्यक्ष एवं संस्थापक इंदु झुनझुनवाला ने अपनी पूरी कार्यकारिणी के सहयोग से इस कार्यक्रम का सफल आयोजन एवं संचालन किया। संस्था के सह अध्यक्ष डॉ अमर नाथ अमर ने चित्रा मुद्गल जी का स्वागत करते हुए उनका परिचय दिया एवं रोचिका अरुण शर्मा का परिचय देते हुए उनके कहानी संग्रह के बारे में संक्षिप्त में बताया। मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों का परिचय सुषमा सिंह, श्री लता सुरेश, उमा आर शर्मा, यशपाल सिंह ‘यश’ ने दिया।

रोचिका अरुण शर्मा वक्तव्य….

रोचिका अरुण शर्मा ने अपने वक्तव्य में बताया कि यह संग्रह राजस्थान साहित्य अकादमी के आर्थिक सहयोग एवं बोधि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। जिसमें कुल पंद्रह कहानियाँ हैं। सभी अतिथियों एवं अभ्युदय अंतर्राष्ट्रीय संस्था का धन्यवाद करते हुए उन्होंने संस्था के सह अध्यक्ष डॉ अमर नाथ ‘अमर’ का विशेष रूप से धन्यवाद किया और उन्हें अपनी साहित्यिक यात्रा का प्रथम मार्गदर्शक बताया।

चित्रा मुद्गल के उद्बोधन…

कार्यक्रम का समापन चित्रा मुद्गल के उद्बोधन से हुआ | उन्होंने डॉ अलका सिन्हा के द्वारा इस पुस्तक में भूमिका लिखने एवं रोचिका अरुण शर्मा का मनोबल ऊँचा करने हेतु डॉ अलका सिन्हा को धुरंधर कथाकार का संबोधन करते हुए उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की। कार्यक्रम के अंत में संस्था के उपाध्यक्ष भीमप्रकाश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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