केंद्रीय हिंदी संस्थान : 13 वाँ हिंदी भाषा संचेतना शिविर आयोजित, इन वक्ताओं ने दिया कौशल गुणों का संदेश

हैदराबाद : 7 से 18 जनवरी तक आयोजित 13 वें हिंदी भाषा संचेतना शिविर का समापन समारोह डाएट, गाराचरमा, श्री विजयपुरम (पोर्टब्लेयर) में किया गया। समापन समारोह की अध्यक्षता ऑनलाइन के माध्यम से प्रो. सुनील कुलकर्णी, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. मंजु लता राव, प्राचार्य, टैगोर शासकीय शिक्षा महाविद्यालय तथा सम्मानित अतिथि के रूप में श्रीमती संगीत चंद, प्राचार्य, राज्य शिक्षा संस्थान, श्री विजयपुरम उपस्थित थीं। पाठ्यक्रम के संयोजक, प्रो. गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा (हैदराबाद केंद्र) तथा सह आचार्य डॉ. अंकुश औंधकर, डॉ. सरस्वती देवी तथा डॉ. राम कृपाल तिवारी उपस्थित थे।

इस हिंदी भाषा संचेतना शिविर में डाएट गाराचरमा के 62 तथा टैगोर शासकीय शिक्षा महाविद्यालय के 14 छात्र अध्यापक सहित कुल 76 (पुरुष-8, महिला-68) छात्र अध्यापकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस शिविर में प्रो. गंगाधर वनोडे के साथ-साथ प्रो. सुनील कुलकर्णी, डॉ. अंकुश औंधकर, डॉ. सरस्वती देवी, डॉ. एन. लक्ष्मी तथा डॉ. रामकृपाल तिवारी ने हिंदी भाषा से संबंधित विभिन्न विषयवस्तुओं का प्रतिपादन किया। इस शिविर के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय शिक्षा का उद्भव, भाषिक संप्रेषण, भाषा परिमार्जन, सृजनात्मक लेखन, विभिन्न शिक्षण विधियों का अनुप्रयोग करते हुए भाषा कौशलों का विकास छात्रों में किया गया।

समापन समारोह की शुरुवात गणेश स्तुति से हुई। विद्यार्थियों ने संस्थान गीत, स्वागत गीत प्रस्तुत किया। प्रतिभागियों ने प्रतिवेदन में हिंदी भाषा संचेतना शिविर से प्राप्त ज्ञान तथा किए गए क्रियाकलापों की सराहना की। वे इस शिवर से किस तरह लाभान्वित हुए इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कम समय में किस प्रकार प्रभावी शिक्षण किया जा सकता है, किस प्रकार भाषा कौशल विकसित किए जा सकते आदि हमने सीख है। सृजनात्मक लेखन तथा अन्य गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण रुचिकर तथा प्रभावशाली हुआ है।

प्रो. सुनील कुलकर्णी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि हिंदी भाषा संचेतना शिविर के माध्यम से छात्रों में हिंदी के प्रति जागरूकता निर्माण की जा सकती है। साथ ही विद्यार्थियों के भाषिक कौशल गुणों का विकास किया जा सकता है। और भी इस तरह के शिविर संस्थान की ओर से अंडमान-निकोबार में आयोजित किए जा सकते हैं। इसी तरह हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए नवीकरण पाठ्यक्रम भी अंडमान निकोबार प्रशासन के संयोग से आयोजित किए जा सकते हैं। मुख्य अतिथि डॉ. मंजुलता राव ने अपने वक्तव्य में कहा कि विद्यार्थियों ने जो प्रतिवेदन प्रस्तुत किया उससे पता चलता है कि इस शिविर के माध्यम से विद्यार्थियों में हिंदी भाषा कौशल से संबधित ज्ञान अर्जित किया है और विद्यार्थियों ने इस ज्ञान का अनुप्रयोग अपने अध्यापन कार्य में करना चाहिए।

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सम्मानित अतिथि डॉ. संगीता चंद ने अपने वक्तव्य में कहा है कि वे विद्यार्थियों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों से प्रभावित हुईं। चित्र प्रदर्शनी देखने के बाद उन्हें लगा कि इस तरह के हिंदी भाषा संचेतना शिविर के माध्यम से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सकता है। इन्होंने आश्वासन दिया कि वे हिंदी अध्यापकों के लिए भी भविष्य में इस प्रकार के शिविर तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम केंद्रीय हिंदी संस्थान के माध्यम से आयोजित करेंगे। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. वानोडे ने कहा कि विद्यार्थियों को उच्चारण तथा लेखन पर अधिक परिश्रम करना चाहिए। अभिव्यक्त होने के लिए ध्यान पूर्वक सुनना चाहिए। इस शिविर के माध्यम से जो ज्ञान प्राप्त किया उसका उपयोग अध्यापन शैली में करना चाहिए।

इस संचेतना शिविर में विद्यार्थियों से हस्तलिखित पत्रिका तैयार की गई। इस हस्तलिखित पत्रिका में अंडमान निकोबार की एतिहासिक धरोहर, संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन, भौगोलिक पृष्ठभूमि, द्वीप समूह के प्राकृतिक संपदा के बारे में लेखन कार्य किया गया। इस दौरान हिंदी भाषा से संबधित विषयों पर आधारित पर-परीक्षण लिया गया। इस परीक्षा में प्रथम- बुशरा अंसार, द्वितीय स्थान- कृपा तिग्गा, तृतीय स्थान- मनीषा ढोलाई तथा प्रोत्साहन पर पुरस्कार अविनाश टोप्पो ने प्राप्त किया। समापन समारोह के अवसर पर इन्हें प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं प्रोत्साहन पुरस्कार वितरित किए गए। विद्यार्थियों द्वारा तैयार की गई हस्तलिखित पत्रिका ‘लघु भारत (वीर भूमि) अंडमान निकोबार’ का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। परीक्षा में डॉ. अंकुश औंधकर ने अपने संबोधन में केंद्रीय हिंदी संस्थान का परिचय देते हुए संस्थान की कार्य प्रणाली देश विदेशों में किस प्रकार कार्य कर रही है इसे प्रतिपादित किया।

इस कार्यक्रम को संचालित करने में डाएट के प्राचार्य डॉ. ज्ञानशील दुबे, श्री गोविंद राजू, आलोक कुमार पाल तथा समस्त कर्मचारियों ने सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन सेजल भंजल और आयुष द्वारा किया गया। धन्यवाद तथा आभार डॉ. सरस्वती देवी द्वारा किया गया। अंत में राष्ट्रगान के साथ समापन समारोह संपन्न हुआ।

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