हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के डाएट के प्रशिक्षणार्थियों के प्रशिक्षण के लिए 6 से 18 जनवरी तक डाइट, गाराचरमा, दक्षिण अंडमान, पोर्टब्लेयर में 13वाँ हिंदी भाषा संचेतना शिविर का आयोजित किया गया है। इस शिविर का उद्घाटन समारोह 7 जनवरी को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाएट), गाराचरमा, पोर्टब्लेयर में आयोजित किया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को शिक्षा के प्रारंभिक स्तर पर प्राथमिकता देकर भारत के सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को संरक्षित करने पर बल दिया है। हिंदी भाषा न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि यह देश के विभिन्न भागों को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य विजन विकसित भारत@2047 को लक्षित करते हुए कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती संगीता चंद, प्रधानाचार्य, राज्य शिक्षा संस्थान (एसआईई), अंडमान-निकोबार एवं सम्मानित अतिथि के रूप में श्रीमती अर्चना सिंह, प्राचार्य, सरकारी बालिका माध्यमिक विद्यालय, अंडमान-निकोबार उपस्थित थे। मंच पर इस कार्यक्रम के संयोजक प्रो. गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र उपस्थित थे।
द्वीप प्रज्ज्वलन के साथ उद्घाटन समारोह आरंभ हुआ। डाइट के विद्यार्थियों द्वारा स्वागत गीत एवं स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया। साथ ही संस्थान गीत भी बजाया गया। तदुपरांत श्री पुष्पराज, प्रभारी प्राचार्य, डाइट ने पुष्पगुच्छ के साथ अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर डाइट की ओर से केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक एवं प्रधानाचार्य, राज्य शिक्षा संस्थान, अंडमान निकोबार को स्मृति चिह्न भेंट किया गया। सम्मानित अतिथि श्रीमती अर्चना सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी हमारी बोलचाल की भाषा है। मात्र शिक्षा की नींव हिंदी भाषा से ही होती है। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा आयोजित हिंदी भाषा संचेतना शिविर एक उत्कृष्ट कार्यक्रम है और इसे अलग-अलग विद्यालयों में भी क्रियान्वयन किया जाए।
मुख्य अतिथि श्रीमती संगीता चंद ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी भाषा घुट रही है। हिंदी भाषा एक राष्ट्रीय भाषा है। उसे बोलचाल की भाषा से मादक (प्रमाणित) भाषा में विकसित करना जरूरी है। आजकल के बच्चे हिंदी लिखना नहीं चाहते। आज की हिंदी वॉटसअप हिंदी हो गई है। बच्चों को हिंदी भाषा की वर्तनी सीखनी चाहिए। बच्चों की भाषा सुधार के लिए विद्यालयों एवं अध्यापकों को प्रयास करना चाहिए। यह हिंदी भाषा संचेतना शिविर इसका जीता जागता उदाहरण है। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. गंगाधर वानोडे ने अपने वक्तव्य में कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन करते हुए हिंदी लेखन, वाचन, भाषण आदि कौशल का विकास होना जरूरी है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को इस शिविर में उत्साहपूर्वक भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
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अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी जी ने हिंदी भाषा संचेतना शिविर के मुख्य उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि भाषा विज्ञान, भाषा साहित्य और भाषा में तकनीकी का क्रियान्वयन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भाषा जीवन विकास के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य, राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय भाषा का ज्ञान होना जरूरी है। शिक्षा के माध्यम से नया ज्ञान प्राप्त करना और ज्ञान से अर्थार्जन प्राप्त करना मूल उद्देश्य होता है। भाषा का ज्ञान और विकास इस शिविर के माध्यम से होना चाहिए। हिंदी भाषा विकास के लिए हर एक विद्यार्थी को हिंदी भाषा में लेखन, वाचन, संभाषण आदि प्रमाणित करना जरूरी है। इस सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
शिविर में 65 विद्यार्थियों ने पंजीकरण किया। श्रीमती सरस्वती देवी, संकाय सदस्य, डाइट ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. एस. राधा, कार्यालय अधीक्षक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र ने किया। इस कार्यक्रम में डॉ. अंकुश औंधकर, सह आचार्य, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा, डाइट के संकाय सदस्य आलोक कुमार पॉल, सुश्री मिनी, श्रीमती पापाबाई, गोविंद राजु उपस्थित थे। इस उद्घाटन सत्र में डाइट के द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। राष्ट्रगान के साथ उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ।