हैदराबाद: अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (AICRP) ऑन पोल्ट्री ब्रीडिंग का स्वर्ण जयंती समारोह 13 फरवरी को ICAR-डॉयरेक्टरेट ऑफ पोल्ट्री रिसर्च (ICAR-DPR), हैदराबाद में भव्य रूप से आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम पोल्ट्री प्रजनन में 50 वर्षों की समर्पित अनुसंधान यात्रा को चिन्हित करता है, जिसका मुख्य मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में स्वावलंबी मुर्गी पालन को बढ़ावा देना और पोषण सुरक्षा को मजबूत करना रहा है।

आईसीएआर के डिप्टी डॉयरेक्टर जनरल (एनिमल साइंस) डॉ. राघवेन्द्र भट्टा इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने AICRP ऑन पोल्ट्री ब्रीडिंग की टीम को उनके निरंतर प्रयासों के लिए बधाई दी और कहा कि इस परियोजना ने देशभर के किसानों को लाभ पहुंचाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन की उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।


डीडीजी डॉ. भट्टा ने AICRP ऑन पोल्ट्री ब्रीडिंग की सफलता की सराहना करते हुए कहा कि 2030 से 2047 की अवधि अंडा बाजार के लिए बेहद उत्साहजनक होगी और इस क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है। उन्होंने भारत सरकार के 2030 तक रोग-मुक्त पोल्ट्री उद्योग के लक्ष्य को रेखांकित करते हुए एवियन फ्लू की रोकथाम और उच्च गुणवत्ता वाली पोल्ट्री नस्लों के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे किसान ही वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा स्रोत (Torch Bearer) हैं। इस अवसर पर “जनप्रिय” और “असलीब्रो” नामक दो नई पोल्ट्री नस्लों का लोकार्पण किया गया, जिस पर डॉ. भट्टा ने प्रसन्नता व्यक्त की।

इस समारोह में आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (एनिमल प्रोडक्शन एंड ब्रीडिंग) डॉ. जी. के. गौड़ और आईसीएआर-एनएमआरआई, हैदराबाद के निदेशक डॉ. एस. बी. बरबुद्धे विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसके अलावा, पूर्व निदेशक डॉ. आर. पी. शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एच. के. नरूला एवं विभिन्न अनुसंधान केंद्रों के पूर्व प्रभारी वैज्ञानिकों सहित कई गणमान्य व्यक्ति इस आयोजन में शामिल हुए।

आईसीएआर-डीपीआर के निदेशक डॉ. आर. एन. चटर्जी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए AICRP ऑन पोल्ट्री ब्रीडिंग की ऐतिहासिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस परियोजना ने उन्नत लेयर और ब्रॉयलर लाइनों के विकास, स्थान-विशेष ग्रामीण चिकन नस्लों के निर्माण तथा स्वदेशी चिकन नस्लों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
यह भी पढ़ें-
इस अवसर पर AICRP ऑन पोल्ट्री ब्रीडिंग के प्रभारी डॉ. यू. राजकुमार ने परियोजना के इतिहास और उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। समारोह में कर्नाटक, बिहार और नागालैंड से आए किसानों ने AICRP केंद्रों से प्राप्त चिकन जर्मप्लाज्म के फायदों को साझा किया और बताया कि यह उनके बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हुआ है।

इस समारोह में AICRP केंद्रों के प्रमुख अन्वेषक (PIs), पूर्व PIs, किसान, पशुपालन विभागों के अधिकारी, PVNRTVU विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि, शोधकर्ता एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में शामिल हुए, जिससे यह कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा। समारोह के पश्चात “AICRP ऑन पोल्ट्री ब्रीडिंग 2023-24” की वार्षिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया।