हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र पर शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की परियोजना के अनुरूप ‘काशी तमिल संगम परिसंवाद’ कार्यक्रम 14 फरवरी को आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के संयोजक हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे थे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता ऑनलाइन माध्यम से केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा के उपाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र दुबे ने की। मुख्य वक्ता के रूप में संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी, मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय भाषा समिति, दिल्ली के सदस्य पंचालम सौंदर्यराजन तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के शासी परिषद सदस्य प्रो. आर. एस. सर्राजु उपस्थित थे। सम्मानित अतिथि के रूप में के. सत्य राममूर्ति, आर. नागराज विशेष रूप से उपस्थित थे।

कार्यक्रम की रूपरेखा रखते हुए केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साल 2022 से शुरू किया गया ‘काशी तमिल संगम’ का यह तृतीय सत्र है, जिनमें उत्तर से लेकर दक्षिण तक की सभ्यता एवं संस्कृति का समागम करते हुए ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार रूप देने के लिए हैदराबाद केंद्र पर आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में आभासी मंच से केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने अपने वक्तव्य में कहा कि तमिल सबसे पुरातन भाषा है। भक्ति की शुरूआत दक्षिण से लेकर उत्तर की ओर गई है। जिसके साथ ही यहाँ की सभ्यता एवं संस्कृति पूरे देश में देखी जा सकती है। मुख्य अतिथि के रूप में आभासी मंच से भारतीय भाषा समिति, दिल्ली के सदस्य श्री पंचालम सौंदर्यराजन ने कहा तमिल के लोग काशी की सभ्यता और संस्कृति को अपनाएँ तथा काशी के लोग तमिल की सभ्यता और संस्कृति को अपनाकर देश की एकता एवं अखंडता में अपना योगदान दें। उन्होंने अपने वक्तव्य में महर्षि अगस्त्य जी के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।

विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा के शासी परिषद के सदस्य प्रो. आर. एस. सर्राजु ने कहा कि महर्षि अगत्स्त दोनों सभ्यता और संस्कृति के संवाहक के रूप में देखे जा सकते हैं। जिनका जन्म तो हिमालय की तलहटी में हुआ पर काशी विश्वनाथ से प्रेरणा लेकर उन्होंने दक्षिण में आकर तमिल के व्याकरण की रचना की जो सबसे बड़ा उदाहरण है। सम्मानित अतिथि के. सत्य राममूर्ति ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय चिंतन की ज्ञान परंपरा को सम्मिलित किया गया। जिसके तहत पूरे देश को एक सूत्र में बाँधने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन सरकारी एवं निजी स्तरों पर होते रहना चाहिए।
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कार्यक्रम में सम्मिलित अन्य वक्ता वैगुआ कार्यालय, हैदराबाद के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी जी. आर.एम. नडार ने कहा कि हम आजादी के लिए एक हो सकते हैं तो कोई भी व्यवधान भाषा के नाम पर हमें अलग नहीं कर सकता। हम एक राष्ट्र की परिकल्पना को लेकर आगे बढ़ेंगे, इससे हमारा देश विश्व गुरु के रूप में स्थापित होगा। कार्यक्रम में आई हुई छात्राओं ने अपने विचार रखते हुए कहा कि उन्हें हिंदी तमिल या किसी अन्य भाषा को सीखने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है। परंतु राजनैतिक पार्टियाँ भाषाओं को मुद्दा बनाकर हमें अलग करने की राजनीति करती हैं।

कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा के उपाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र दुबे ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा सभी भाषाओं में समाहित हैं। तमिल विश्व की प्राचीन भाषा होने के साथ-साथ शिल्प और स्थापत्य कला की भी प्राचीन सभ्यता है। उन्होंने कहा कि भारत की सभी भाषाएँ राष्ट्र की भाषा हैं। भाषा अलग हो सकती है परंतु सबके भाव एक हैं। डॉ. राजीव कुमार सिंह द्वारा अपने कविता पाठ के माध्यम से काशी तमिल की सभ्यताओं को दर्शाया गया। इस दौरान केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे द्वारा सभी सम्माननीयों का सम्मान पट्टिका, मोमेंटो तथा माला पहनाकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से भारत सरकार के विभिन्न कार्यालयों से अधिकारीगण विशेषकर वैगुआ कार्यालय, हैदराबाद से वरिष्ठ अधिकारी जी.आर.एम. नाडार, वरिष्ठ अधिकारी वी. राजमणिक्कम, भारत सरकार जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग निचली गोदावरी मंडल के उपमंडलीय अभियंता वी. विग्णेश, उपमंडलीय अभियंता गणेश कुमार बी., राम कुमारी, कृतिका एस., जी.एस.आई., हैदराबाद के पी. मणिमारन, सिकंदराबाद से बालु नागराज, वरकतपुरा से के.एस. राममूर्ति, सिकंदराबाद से आर नागराज, जिला परिषद हायस्कूल, याप्राल, अलवाल से छात्रा एम. जाह्नवी, के. चंदना, एम. स्वाति, जी. रीतिका भावना तथा केंद्र के सदस्य सजग तिवारी, डॉ. संदीप कुमार, ध्रुर्बा, वसीम, रमा एवं भानू उपस्थित रहें।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. फत्ताराम नायक ने अपनी वाणी की कुशलता से किया। अतिथि परिचय एवं स्वागत डॉ. एस. राधा द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दीपेश व्यास ने किया। अंत में कार्यक्रम राष्ट्रगान से संपन्न हुआ।