हैदराबाद: तीसरी लहर में बड़ी संख्या में डॉक्टर कोरोना से पीड़ित हो रहे हैं। गांधी और उस्मानिया अस्पतालों के 84 डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो गये हैं। निलोफर में एक डॉक्टर पॉजिटिव मिला है। निजी अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ वायरस से संक्रमित हो गये हैं। केयर अस्पताल में चार सामान्य और प्रशासनिक कर्मचारियों में वायरस का पता चला है।
अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि मेडिकेवर में भी कुछ लोग कोरोना से संक्रमित हो गये हैं। गांधी और उस्मानिया अस्पताल के कई डॉक्टरों ने मंगलवार को आरटीपीसीआर परीक्षण किया। संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि इनमें बड़ी संख्या में पॉजिटिव केस हो सकते हैं।
गांधी अस्पताल में सोमवार शाम तक 28 डॉक्टर और छात्र कोरोना संक्रमित पाये गये थे। मंगलवार को यह संख्या बढ़कर 44 हो गई हैं। गांधी अस्पताल के 20 एमबीबीएस छात्र, 10 हाउस सर्जन, 10 पीजी डॉक्टर और चार फैकल्टी के साथ कुल 44 वायरस से संक्रमित हो गये। हालांकि, अस्पताल के अधीक्षक राजा राव ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। हां, पता चला है कि कुछ स्टॉफ कोरोना से पीड़ित हो गये हैं।
गांधी में मेडिकल और नॉन मेडिकल स्टाफ ने स्पष्ट किया कि कोरोना नियमों का पालन किया जाए। उस्मानिया अस्पताल में मंगलवार को कुल 79 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए। इसमें 19 एमबीबीएस छात्र, 35 हाउस सर्जन, 23 पीजी और दो सहायक प्रोफेसर शामिल हैं। अस्पताल के अधीक्षक नागेंद्र ने कहा कि ये सभी फिलहाल होम आइसोलेशन में हैं।
निलोफर अस्पताल के आरएमओ ज्योति ने बताया कि एक डॉक्टर होम क्वारंटाइन में है। पॉजिटिव आए डॉक्टर, नर्स और मेडिकल स्टॉफ के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं। इसी क्रम में वरंगल के काकतीय मेडिकल कॉलेज (केएमसी) में प्राचार्य मोहनदास समेत 40 छात्र कोरोना संक्रमित हो गये हैं। दो दिन पहले 26 स्टॉफ पॉजिटिव पाये गये थे। मंगलवार को अन्य 15 लोग वायरस से संक्रमित हो गए हैं।
निजी अस्पतालों में मामले
दूसरी ओर निजी अस्पतालों में भी कोरोना के मामले बड़े पैमाने पर सामने आ रहे हैं। दो दिन पहले केयर हॉस्पिटल्स के प्रशासन के चार सामान्य स्टॉफ पॉजिटिव पाये गये। मेडिकवर अस्पताल के कुछ डॉक्टर और कर्मचारी भी कोरोना पीड़ित हो गये। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी राकेश ने कहा कि डॉक्टर और चिकित्सा कर्मचारी दो या तीन मास्क पहन रहे है। फिर भी वायरस से संक्रमित हो गये हैं। कोरोना वार्ड में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर, नर्स और अन्य स्टाफ को पीपीई किट पहनकर ही जा रहे हैं।
लापरवाही
शुरू में यह अफवाह चली कि ओमिक्रॉन वेरिएंट और कोरोना वायरस का कोई बड़ा प्रभाव नहीं होगा। इससे चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों में लापरवाही बढ़ती गई है। पहली और दूसरी लहर में पीपीई किट पहनकर अपना कर्तव्य निभाने वाले डॉक्टर और नर्स अब मामलों की बढ़ती संख्या के बावजूद केवल मास्किंग उपचार कर रहे हैं। जांच और इलाज के लिए आने वाले मरीजों का इलाज सिर्फ मास्क लगाकर किया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इसी वजह से कई अस्पताल स्टॉफ वायरस से संक्रमित हो रहे हैं।