हिंदी दिवस पर विशेष: हिंदी के माध्यम से हम विश्वभर में पहचाने जाते हैं

भारत की आजादी का अमृतकाल अभी तीन वर्ष पहले ही हमने मनाया। आज हम आजादी की लड़ाई में हमारे पूर्वजों का साथ देने वाली, अंग्रेजों से लोहा लेने वाली भाषा का अमृतकाल मना रहे हैं। मैं राजभाषा हिंदी की बात कर रहा हूँ। जी हाँ, इस वर्ष हम राजभाषा के जन्म की हीरक जयंती मना रहे हैं। आप सभी को राजभाषा हिंदी की हीरक जयंती की शुभकामनाएँ।

सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास

राजभाषा ने इन 75 वर्षों में अपने स्थान को बनाए रखने के लिए बहुत ही सूझ-बूझ के साथ कदम बढ़ाएँ हैं। संविधान निर्माताओं ने जो भरोसा इस भाषा पर किया था, वह धीरे-धीरे ही मगर सही साबित हो रहा है। संघ सरकार की राजभाषा नीति सभी भारतीय भाषाओं को साथ लेकर आगे बढ़ने की रही है। माननीय प्रधान मंत्री का नारा है- ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास।’ इस नारे पर हिंदी भाषा पूरी तरह खरी उतरती है। बिना किसी भाषी को नाराज किए उसे अपने साथ लेकर आगे चलती है। वह भारत की अन्य भाषाओं की न कभी प्रतियोगी रही है, न है। वह तो अपने साथ-साथ अन्य भाषाओं को भी विकसित होने का अवसर प्रदान करती है। हिंदी सभी भारतवासियों को विश्वास में लेना चाहती है कि वह विकसित होगी तो भारत की अन्य भाषाएं भी विकसित होंगी। इसे बल्कि इस तरह कहना चाहिए कि भारत की भाषाएँ विकसित होंगी तो हिंदी भी साथ में विकसित होगी। यह तभी संभव है जब सारे भारतवासी मिलकर प्रयास करेंगे।

खूब नाम और दाम कमाया

अंग्रेजी कोई बुरी भाषा नहीं है, लेकिन अपनी मातृभाषा की कीमत पर अंग्रेजी को हम लोगों ने 75 वर्षों से सिर चढ़ा रखा है। यह सत्य है कि हम सेवा प्रदान करने वाले राष्ट्र के रूप में विश्व के सामने प्रस्तुत होते आए हैं। इसीलिए हमें अंग्रेजी का सहारा लेना पड़ा। इसी भाषा के दम पर हमने आज विश्वभर में सेवा प्रदान करने वाले देश के रूप में खूब नाम कमाया है। खूब दाम भी कमाया है। लेकिन अब हम सेवा लेने वाले बन रहे हैं। अर्थात हम क्रय करने वाले बन रहे हैं। उत्पादक बने रहे हैं। विक्रेता बन रहे हैं। आयातक से निर्यातक बनते जा रहे हैं।

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विदेशी व्यापारी हिंदी सीख रहे हैं

भारत आज विश्व का एक बड़ा बाजार है। सारे विश्व को हमारे देश में व्यापार की अपार संभावनाएँ दिख रही हैं। विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भारत में निवेश करना चाहती हैं। यही सही मौका है कि हम विक्रेताओं को बताएँ कि यदि उन्हें हमारे देश में माल बेचना है तो हमारी भाषा में बेचना होगा। हम हमारी भाषा में माल खरीदेंगे। उनकी भाषा में नहीं। इसकी शुरुआत हो चुकी है। आप देखते होंगे कि विदेशी उत्पादों के विज्ञापन अब हमारी भाषा में आ रहे हैं। अंग्रेजी फिल्में हिंदी तथा भारत की अन्य भाषाओं में डब हो रही हैं। इसी तरह अन्य उत्पादों की बिक्री के लिए विदेशी व्यापारी हिंदी सीख रहे हैं। हिंदी में बोल रहे हैं। हिंदी में लिख रहे हैं।

उत्पादों व तकनीक की जानकारी हिंदी में दें

हिंदी सरलता के साथ सभी विषयों के शब्दों को ग्रहण कर सकती है। तभी तो कंप्यूटर, टेलिफोन, टेलिविजन, वाट्सअप, सोशल मीडिया, ट्विटर, फेसबुक जैसे आधुनिक शब्द अब हिंदी के लगने लगे हैं। नए से नए विषय की संकल्पनाओं को व्यक्त करने के लिए हिंदी सक्षम बनती जा रही है। भारत सरकार इस बात पर बल दे रही है कि हिंदी राजभाषा के रूप में प्रशासनिक कामकाज की भाषा बनने के साथ-साथ ज्ञान-विज्ञान की भाषा बने। बाजार व व्यापार की भाषा बने। विदेशी मुद्रा कमाने की भाषा बने। हम जब कभी रूस, जर्मनी, फ्रांस आदि विदेशों से तकनीकी का हस्तांतरण करते हैं तो वे अपनी तकनीकी को अपने देश की भाषा में लिखकर देते हैं। हम उसका अनुवाद अंग्रेजी में करते हैं और उसे ही आगे बढ़ाते हैं। हमें चाहिए कि अब उसका अनुवाद हिंदी में करें और उस तकनीक का प्रसार हिंदी के माध्यम से करें। हम यह भी कर सकते हैं कि उन देशों से कहें कि वे अपने उत्पादों व तकनीक की जानकारी हिंदी में दें। उन्हें देना ही पड़ेगा।

मिधानि में तकनीकी के प्रयोग से हिंदी के प्रसार में तेजी

मिधानि में तकनीकी के प्रयोग से हिंदी के प्रसार में तेजी आई है। हमारे अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी हिंदी में कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त हैं। इसीलिए मिधानि का नाम भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया जा चुका है। मिधानि में ई-ऑफिस और ई-मेल में हिंदी का प्रयोग दिन-प्रति बढ़ रहा है। मिधानि की वेबसाईट हिंदी और अंग्रेजी में है। सूचना प्रौ‌द्योगिकी की मदद से हमारे अधिकारीगण हिंदी में बड़ी आसानी से अपने ग्राहकों व विक्रेताओं से संभाषण कर रहे हैं। हर वर्ष मिधानि में आयोजित किए जाने वाली हिंदी की प्रतियोगिताओं में भी तकनीकी का प्रयोग कर हिंदी का प्रसार करने के प्रयास जारी हैं। मिधानि के उत्पाद‌नों के ब्राऊचर हिंदी में बनाए जा रहे हैं। इसके माध्यम से हम अपने ग्राहकों तक हिंदी ले जाने के संकल्प को पूरा करेंगे। राजभाषा हिंदी के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मिधानि को नराकास (उपक्रम) हैदराबाद-सिकंदराबाद ‌द्वारा लगातार तीन बार पुरस्कार सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ है। मिधानि की राजभाषा गृह पत्रिका संकल्प को भी ई-पत्रिका की श्रेणी में गत वर्ष उत्तम पत्रिका का पुरस्कार मिला है।

रक्षा मंत्री जहाँ कहीं जाते हैं, वहाँ माननीय प्रधान मंत्री की तरह हिंदी में ही चर्चा व संबोधन करते हैं

मिधानि एक रक्षा उपक्रम है। यह बताते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है कि रक्षा मंत्रालय हमें हमेशा हिंदी के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करता है। माननीय रक्षा मंत्री हिंदी सलाहकार समिति के मंच से हमें हिंदी में काम करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। हिंदी दिवस के पावन अवसर पर पाठकों को यह भी बताना चाहूँगा कि हम हिंदी के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में कदम आगे बढ़ा रहे हैं। हमारे माननीय रक्षा मंत्री जहाँ कहीं जाते हैं, वहाँ माननीय प्रधान मंत्री की तरह हिंदी में ही चर्चा व संबोधन करते हैं। मुझे विश्वास है कि रक्षा मंत्रालय को दिए गए निर्यात लक्ष्यों को प्राप्त करने में हिंदी की बड़ी भूमिका हो सकती है। यह विदित ही है कि रक्षा मंत्रालय ने आयात पर निर्भरता कम करने और देशीकृत रक्षा उत्पादों को बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। भारत में निर्माण (मेक इन इंडिया) के तहत रक्षा उपक्रम स्वदेशीकरण में तेज गति से आगे काम रहे हैं।

उपक्रमों के सभी अध्यक्षों व उच्च कार्मिकों से अपील

ज्ञान-विज्ञान-उत्पादन के क्षेत्र में देश को विकसित व समृद्ध करने रक्षा उपक्रमों की बड़ी भूमिका होगी। उसमें मिधानि भी अपने पूरे समर्पण के साथ रक्षा मंत्रालय का साथ देगी। इसकी स्थापना ही विशेष धातुओं के लिए भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हुई थी। इसका नामकरण भी हिंदी में ही किया गया था- मिश्र धातु निगम। वर्ष 2023-24 में रक्षा उत्पादों के निर्यात से भारत ने लगभग 21 हजार करोड रुपये का व्यापार किया था। 2028-29 तक के लिए लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मैं रक्षा उपक्रमों के सभी अध्यक्षों व उच्च कार्मिकों से अपील करता हूँ कि वे हिंदी को अवश्य अपने काम काज का हिस्सा बनाएँ। इससे हमारी पहचान और बढ़ेगी। राजभाषा हिंदी की हीरक जयंती के शुभ अवसर पर मैं कहना चाहूँगा कि हिंदी के माध्यम से हम विश्वभर में पहचाने जाते हैं और जाते रहेंगे। जय हिंद, जह हिंदी।

डॉ संजय कुमार झा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, मिधानि

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