गोवा के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित 479वें नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन, इन वक्ताओं ने दिये ये ‘टिप्स’

हैदराबाद/गोवा : केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद केंद्र द्वारा गोवा के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए 20 नवंबर से 3 दिसंबर तक आयोजित 479 वें नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह पोरवरिम में एससीईआरटी के सभागार में आयोजित किया गया। समापन समारोह की विशिष्ट अतिथि के रूप में एससीईआरटी गोवा की निदेशक, मेघना शेटगांवकर, मुख्य अतिथि के रूप में एससीईआरटी, गोवा के प्रोफेसर-समन्वयक डॉ. गोपाल प्रधान उपस्थित थे। सम्मानित अतिथि के रूप में श्रीमती सरिता मराठे निदेशक प्रशासनिक उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर गंगाधर वानोडे क्षेत्रीय निदेशक, हैदराबाद केंद्र द्वारा की गयी। इस कार्यक्रम में कुल 71 (महिला-59, पुरुष-12) प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रो. गंगाधर वानोडे ने भाषा विज्ञान और उसके विविध पक्ष, ध्वनि उच्चारण, भाषा परिमार्जन तथा भाषा कौशल, डॉ. फत्तारम नायक ने हिंदी साहित्य का इतिहास, भारतीय ज्ञान परंपरा, डॉ. दीपेश व्यास ने हिंदी व्याकरण तथा उसके विविध पक्ष, प्रो. संदीप लौटलीकर ने भाषा शिक्षण एवं साहित्य शिक्षण विषय पर अध्यापन कार्य किया, प्रो. वृषाली मांद्रेकर ने ‘हिंदी तथा कोंकणी अनुवाद प्रक्रिया’ एवं आदित्य सिनाय भांगी ने ‘हिंदी तथा कोंकणी ध्वनियों का तुलनात्मक अध्ययन एवं लेखन विधि’ विषय पर विशेष व्याख्यान दिया। गणेश स्तुति द्वारा समापन समारोह कार्यक्रम की शुरुआत की गई तथा स्वागत गीत एवं पुष्प गुच्छ से अतिथियों का स्वागत प्रतिभागी अध्यापकों द्वारा किया गया।

इस अवसर पर कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि मेघना शेटगांवकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज बड़ा अच्छा लग रहा है कि सभी अध्यापक अपनी संस्कृति को संजोए हुए इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। वे हमेशा अपने विद्यार्थियों को तो प्रशिक्षित करते ही हैं, लेकिन आज वे खुद प्रशिक्षित हुए हैं। अब अपने विद्यार्थियों को ओर बेहतर ढंग से प्रशिक्षित कर पाएँगे ऐसा मेरा विश्वास है।

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मुख्य अतिथि प्रो. गोपाल प्रधान ने अपने उद्बोधन में कहा कि भाषा के शिक्षक श्रेष्ठ होते है क्योंकि हर विषय में भाषा की आवश्यकता होती है। इसलिए उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे अपने बच्चों को भाषाई कौशल में दक्षता प्रदान करें। उन्होंने आगे कहा कि सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना इन मूलभूत कौशल का विकास अनिवार्य है। इसी से विद्यार्थी अपने जीवन में आगे बढ़ता है और एक शिक्षक के लिए भी यह कौशल आवश्यक है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक शिक्षक के लिए प्रशिक्षित होना अनिवार्य है। जब शिक्षक प्रशिक्षित होगा तो अपने विद्यार्थियों को अच्छे से प्रशिक्षित कर पाएगा। आज हमें हिंदी के मानक रूप को अपनाने की आवश्यकता है तथा सही उच्चारण और लेखन कौशल को अपनाने की आवश्यकता है। उसके लिए हमें दूरदर्शन पर प्रसारित समाचार अवश्य सुनना चाहिए। संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य भी यही होता है कि प्रशिक्षू अध्यापक अपने आपको अच्छी तरह से अभिव्यक्त कर सकें तथा लेखन कार्य में गतिशील हो सकें।

पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस कार्यक्रम में आपने जो ज्ञान अर्जित किया है उसे आप अपने विद्यार्थियों के बीच फैलाएँगे ऐसा मेरा विश्वास है। पाठ्यक्रम सफलता पूर्वक पूर्ण करने पर सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ दी। डॉ. दीपेश व्यास ने इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए कहा कि गोवा प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति का राज्य है इसने हमें बहुत कुछ सिखाया है।

इस कार्यक्रम में गणेश स्तुति सौ. सुनीता नेगी एवं समूह द्वारा प्रस्तुत की गई। संस्थान गीत सौ. स्वीना वेलिप एवं समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया। एकल प्रदर्शन प्रीति केरकर ने प्रस्तुत किया। समूह नृत्य सौ. योगिता मेहले एवं समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया। प्रकाश पार्सेकर, सौ. योगिता मेहले व रेशमा मोहिते द्वारा कार्यक्रम से संबंधित मंतव्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीनिवास पाटिल ने किया व धन्यवाद ज्ञापन उमेश महलकर ने प्रस्तुत किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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