हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट) : साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा और समाज सेवा हेतु समर्पित अग्रणी संस्था सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, हैदराबाद, भारत द्वारा वार्षिक अधिवेशन का भव्य आयोजन महिला नवजीवन मंडल स्कूल, रामकोट के कीमती सभागार में किया गया। इस अवसर पर संगोष्ठी, पुरस्कार वितरण एवं सम्मान समारोह तथा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी सम्मानित अतिथियों और सदस्यों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया और वाजा इंडिया तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष ख्याति प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार मुख्य वक्ता श्री एन आर श्याम और वाजा इंडिया महिला विभाग की उपाध्यक्ष विशेष वक्ता डॉ सुमन लता रुद्रवझाला तथा सेवानिवृत्त सहायक महाप्रबंधक, राजभाषा, सिंडिकेट बैंक डॉ वी वेंकटेश्वर राव को विशेष अतिथि के रूप में मंच पर आमंत्रित किया।
साथ ही साथ संस्था की उपाध्यक्ष श्रीमती ज्योति गोलामुडी और सचिव श्रीमती आर्या झा को मंच पर आमंत्रित किया। नगरद्वय की ख्याति प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार कादम्बिनी क्लब अध्यक्ष डॉ अहिल्या मिश्र ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाली थी, लेकिन स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों से वे मंच पर उपस्थित नहीं हो पायीं। इसलिए उन्होंने घर से ही अपना आशीर्वाद प्रदान किया। सरिता सुराणा ने आगे के कार्यक्रम के संचालन हेतु श्रीमती आर्या झा को कार्यभार सौंप दिया। आर्या झा ने संस्था अध्यक्ष और सभी अतिथियों को दीप प्रज्ज्वलन हेतु आमंत्रित किया। तत्पश्चात् कार्यकारिणी सदस्य श्रीमती तृप्ति मिश्रा ने बहुत ही मधुर स्वर में निराला कृत सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की।
अपने स्वागत भाषण में सरिता सुराणा ने कहा कि संस्था के गठन को 4 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और संस्था उत्तरोत्तर विकास की ओर उन्मुख है। उन्होंने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत करने के साथ-साथ संस्था के समूह में चलने वाली नियमित गतिविधियों की जानकारी प्रदान की और सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि इन 4 वर्षों में संस्था ने विभिन्न पर्व-त्यौंहारों के अवसर पर लगभग 400 ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किए हैं। जिनमें साहित्यकार को जानें और नौ दिवसीय मातृ भक्ति गीत महोत्सव प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी दिवस के अवसर पर संस्था द्वारा विद्यार्थियों और लेखकों के लिए निबन्ध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इसी क्रम में विजेताओं का ट्रॉफी, मोमेंटो और प्रमाण पत्र देकर के सम्मान किया गया।
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तत्पश्चात् संस्था सदस्यों द्वारा मंचासीन अतिथियों का शॉल और मोती माला से सम्मान किया गया। सम्मान के क्रम में संस्था की उपाध्यक्ष श्रीमती ज्योति गोलामुडी द्वारा संस्था की संरक्षक सदस्यता ग्रहण करने पर शॉल, मोती माला, मोमेंटो और प्रमाण पत्र देकर के विशेष सम्मान किया गया। उसके बाद मंचासीन अतिथियों ने विजेता बच्चों को ट्रॉफी, पैन और प्रमाण पत्र प्रदान किए।
लेखकों के लिए आयोजित निबन्ध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर श्रीमती तृप्ति मिश्रा को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसमें पुणे, महाराष्ट्र के अजय कुमार सिन्हा ने द्वितीय और हैदराबाद की श्रीमती अमिता श्रीवास्तव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। श्रीमती सविता शर्मा को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ। श्रीमती शोभा देशपांडे ने सरिता सुराणा का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया।
पुरस्कार एवं सम्मान समारोह के पश्चात् संगोष्ठी के मुख्य वक्ता एन आर श्याम ने कहा कि संगोष्ठी का विषय है ‘हिन्दी साहित्य के विकास में दक्षिण भारतीय साहित्यकारों का योगदान’। उन्होंने कहा कि मुनीन्द्र जी जैसे समर्पित हिन्दी सेवी की तरह हिन्दी प्रदेशों से आने वाले हिन्दी भाषियों ने दक्षिण भारत में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। दक्षिण भारतीय साहित्यकारों में बालशौरि रेड्डी, पी वी नरसिम्हा राव, भीमसेन निर्मल, शांता सुन्दरी, निखिलेश्वर, डॉ सुमन लता, टी. सी. वसंता, डॉ श्रीलक्ष्मी, जी परमेश्वर और एम रंगय्या ने अनुवाद के माध्यम से हिन्दी साहित्य के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि बालशौरि रेड्डी और स्वयं मैंने हिन्दी में मौलिक लेखन भी किया है।
डॉ सुमन लता ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तेलुगु से हिंदी और हिंदी से तेलुगु के प्रसिद्ध अनुवादक सुंदर रेड्डी, वेमूरि बंधु , भीमसेन निर्मल, विजय राघव रेड्डी, पी माणिक्यांबा ने उल्लेखनीय कार्य किया है। साथ ही साथ पुरुषोत्तम कवि, बालशौरि रेड्डी और आरेगपूडि रमेश चौधरी का उल्लेख किया, जो अनुवादक ही नहीं बल्कि मौलिक लेखक भी थे। उन्होंने बताया कि रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि पद्माकर और वल्लभाचार्य जी तेलुगु भाषी हैं। अन्नमाचार्य जी के पौत्र ने आठ भाषाओं में दण्ड़ लिखे हैं, जिनमें शौरसेनी और मागधी भाषाएं भी हैं।
वेंकटेश्वर राव ने अपने उद्बोधन में संस्था के वार्षिक अधिवेशन पर संस्था अध्यक्ष और सभी सदस्यों को बधाई दी और कहा कि संस्था अपने लक्ष्य की ओर निरंतर गतिमान है। संस्था उपाध्यक्ष श्रीमती ज्योति गोलामुडी ने संस्था के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनी शुभकामनाएं दी और कहा कि वे संस्था के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से काम करेंगी। प्रथम सत्र के समापन पर आर्या झा ने सभी सहभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया और द्वितीय सत्र की अध्यक्षता करने हेतु एन आर श्याम को तथा वरिष्ठ गीतकार सत्य प्रसन्न राव और नाटककार सुहास भटनागर को विशेष अतिथि के रूप में मंच पर आमंत्रित किया।
इस कवि सम्मेलन में अशोक दोशी, तृप्ति मिश्रा, अंशु सक्सेना, ज्योति गोलामुडी, शोभा देशपांडे, सुनीता लुल्ला, आर्या झा और सरिता सुराणा ने काव्य पाठ किया। तत्पश्चात् सत्य प्रसन्न ने अपने अंदाज में ग़ज़ल और शृंगारिक रचनाओं का पाठ किया, जिसकी श्रोताओं ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। सुहास भटनागर ने अपनी कहानियों का वाचन किया, जिनमें अमृता प्रीतम और इमरोज़ की कहानी प्रमुख थी। एन आर श्याम ने अध्यक्षीय टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए कहा कि सभी रचनाकारों की रचनाएं उत्कृष्ट थीं। उन्होंने संस्था के प्रति हार्दिक शुभकामनाएं व्यक्त की और संस्था अध्यक्ष और सभी सदस्यों को सफल कार्यक्रम हेतु बधाई दी। आर्या झा ने कुशलतापूर्वक कार्यक्रम का संचालन किया।
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार टी सी वसंता, डॉ श्रीलक्ष्मी, सुश्री जयश्री, तेलंगाना समाचार के सम्पादक के राजन्ना, जयन्त कुमार मिश्रा, अमित कुमार झा, आलोक कुमार सक्सेना, चंद्र कुमार पाण्डेय, रंजना पाण्डेय, वंशिका पाण्डेय, सालेहा बेगम, सुश्री माहिरा, जे अभिषेक, सुश्री त्रीवी गुप्ता, सुश्री जोशिता एन और उनके अभिभावक गण उपस्थित थे। संस्था की संगठन सचिव सुश्री खुशबू सुराणा, पराग सुराणा और यामिनी शर्मा का कार्यक्रम के सफल संयोजन में विशेष सहयोग रहा। सरिता सुराणा के धन्यवाद ज्ञापन से वार्षिक अधिवेशन हर्षोल्लास पूर्वक सम्पन्न हुआ।