साहित्य सेवा समिति : ‘हिंदी साहित्य में शरद ऋतु’ विषय पर इन साहित्यकारों ने डाला प्रकाश

हैदराबाद : साहित्य सेवा समिति की 129 वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ दया कृष्ण गोयल व समिति की महामंत्री ममता जायसवाल की उपस्थिति में किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में उमा देवी सोनी ने सरस्वती वंदना को प्रस्तुत किया।

डॉक्टर दया कृष्ण गोयल ने स्वागत भाषण के अंतर्गत प्रस्तुत विषय हिंदी कविता में शरद ऋतु का वर्णन पर उद्बोधन दिया। तदुपरांत दर्शन सिंह ने विषय प्रवेश करते हुए हिंदी साहित्य के विविध स्तरों पर शरद ऋतु का हिंदी कविता में वर्णन को उल्लेखित किया। इसी विषय को प्रमुख चर्चा के रूप में डॉक्टर गजानन पांडे ने प्रमुख प्रवक्ता के रूप में विविध हिंदी कवियों के उदाहरण द्वारा हिंदी कविता में शरद ऋतु के वर्णन को विशद रूप मेंज्ञापित किया। ममता जायसवाल ने इसी विचार श्रृंखला को आगे बढ़ते हुए प्रकृति वर्णन में छायावाद के अनुपम देय को सांकेतिक किया। क्रमानुसार कई साहित्य मनिषीयों ने इस विषय पर अपने विचार प्रकट किये। इनमें मनोरमा शर्मा मनु, सुनीता लुल्ला, बैजनाथ सुनहरे, रचना चतुर्वेदी और अन्य शामिल है।

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मंच संचालन के कार्य निर्वहन को द्वितीय सत्र में भी जारी रखते हुए उमेश चंद्र यादव ने गणमान्य कवियों को काव्य पाठ के हेतु आमंत्रित किया। डॉ सुषमा सिंह, चंद्र प्रकाश दायमा, सुनीता लुल्ला, बैजनाथ सुनहरे, डॉ गजानन पांडे, दर्शन सिंह, मनोरमा शर्मा मनु, विनोद गिरि अनोखा, रचना चतुर्वेदी, इंदू सिंह, ममता जायसवाल, डॉ दया कृष्ण गोयल आदि ने प्रकृति व समसामयिक विषयों पर काव्य पाठ प्रस्तुत किया। आर्य झा व वर्षा शर्मा की भी विशेष रूप से उपस्थित रही। डॉ दया कृष्ण गोयल के अध्यक्ष भाषण के उपरांत नीमा रवि ने मधुर वाणी में “यह कौन चित्रकार है” गीत को प्रस्तुत किया तथा अपनी मधुरिम वाणी से धन्यवाद ज्ञापित कर गोष्ठी का समापन किया।

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