हिंदी भाषा का इतिहास बहुत समृद्ध है। यह भारतीय की एक प्रमुख भाषा है। हिंदी केवल एक भाषा नहीं है इसकी जड़ें प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति के साथ भी जुड़ी हुई है। हिंदी भाषा का इतिहास लगभग 1300 वर्ष पुराना है। इस इतिहास को सरल ढंग से समझने के लिए इसे 4 भागों में भी बाँटा गया है।
आदिकाल- सातवीं शताब्दी के मध्य से लेकर 14 वीं शताब्दी के मध्य तक
भक्तिकाल- 14वीं शताब्दी के मध्य से 17 वीं शताब्दी के मध्य तक
रीतिकाल- 17वीं शताब्दी के मध्य से 19 वीं शताब्दी के मध्य तक
आधुनिक काल 19वीं शताब्दी के मध्य से लेकर आज तक
यह विभाजन तो संक्षेप में हिंदी भाषा के इतिहास को समझाने का एक छोटा सा प्रयास मात्र है। हिंदी ने अपनी विकास यात्रा के दौरान भारत के इतिहास को कभी सँवरते तो कभी बिखरते देखा है। स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान इस भाषा ने संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बाँधने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इसी कारण से आज वर्तमान युग में हिंदी केवल भारत की भाषा न होकर वैश्विक पहचान रखनेवाली भाषा भी बन चुकी है। आज संसार के अनेक देशों में हिंदी भाषा का पठन-पाठन भी करवाया जाता है।
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विश्व में हिंदी का पठन-पाठन कैसे करवाया जाता है यह समझने के लिए निम्न विभाजन को देखना उचित होगा-
यूरोप, अमेरिका और अन्य महादेश जहाँ अधिक संख्या में भारतवासी रहते हैं वहाँ हिंदी भाषा में विद्यार्थियों की रूचि बढ़ रही है। जापान में दो सरकारी विश्वविद्यालयों- टोक्यो विदेशी भाषा विद्यालय और ओसाका विदेशी भाषा विद्यालय में हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है।
अंग्रेज़, डच, फ्रांसीसी आदि शासकों ने एक समय पर भर्तियों को मज़दूर बनाकर मारीशस, फीजी, सूरीनाम आदि देशों में भेजते थे। भारतवंशियों ने हार नहीं मानी उन्होंने अपनी जड़ों को वहाँ फैलने दिया और आज उन देशों में हिंदी भाषा का अपना अलग स्थान है। भारत के निकट पड़ोसी देश नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश में हिंदी भाषा को स्वाभाविक रूप में ही प्रयोग में लाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि विश्व में हिंदी भाषा का तीसरा स्थान है। भारत में विदेशी छात्रों को हिंदी कक्षागत शिक्षण के द्वारा और दूरस्थ शिक्षण प्रणाली के द्वारा सिखाई जाती है। कक्षागत शिक्षण में केंद्रीय हिंदी संस्थान, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा और दिल्ली तथा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में विदेशियों को हिंदी सिखाई जाती है। दूरस्थ कार्यक्रम में पत्राचार द्वारा हिंदी का ज्ञान प्राप्त करने का साधन केंद्रीय हिंदी निदेशालय के पत्राचार पाठ्यक्रम के द्वारा किया जाता है।
आज 10 जनवरी, 2025 विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में हम सभी भारतवासियों को गर्वित होकर राजभाषा विकास और हिंदी में कामकाज करने का संकल्प करना चाहिए। आप सभी को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।
छात्रा एन कृतिका
बी. कॉम. 1A2
भवंस विवेकानंद कॉलेज
सैनिकपुरी
हैदराबाद केंद्र- 500094