तीसरा दक्षिण भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन भव्य रूप से संपन्न, मिलिंद प्रकाशन के श्रुतिकांत भारती की रही विशेष उपस्थिति

हैदराबाद/त्रिशूर: तीसरा दक्षिण भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन और ‘हिन्दी भाषा : संवेदना एवं अनुप्रयोग’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 27 और 28 दिसंबर को केरल की सांस्कृतिक राजधानी तृशूर में संपन्न हुई। यह सम्मेलन तथा संगोष्ठी का आयोजन केरल से निकलने वाली दक्षिण भारत की नामचीन पत्रिका ‘जन विकल्प’ के द्वारा रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल मध्य प्रदेश और डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय विलासपुर छत्तीसगढ़ के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम में देश-विदेश के कुल 150 साहित्यकारों, विद्वानों एवं अध्यापकों हिस्सा लिया

इस सम्मेलन में दक्षिण भारत के सात हिंदी सेवियों को सम्मानित किया गया। इनमें तेलंगाना की हिन्दी विदूषी आचार्या शशि मुदीराज और आंध्र प्रदेश से आचार्य शिवरामी रेड्डी को सम्मानित किया गया। पांडिचेरी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की आचार्या पद्मप्रिया ने अपने परिवार की ओर से संस्कृत के विद्वान नानाजी केशवपंतुल नरसिंह शास्त्री, संस्कृत एवं तेलुगु की विदूषी माताजी केशवपंतुल राजेश्वरी, कलापोषक पिताजी श्रीरामकवचम पांडुरंगय्या के सम्मान में क्रमशः केरल के आचार्य आरसु, आचार्य प्रभाकरन तथा तमिलनाडु की डॉ राजलक्ष्मी कृष्णन को सम्मानित किया।

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इस आयोजन में हैदराबाद के मिलिंद प्रकाशन के श्रुतिकांत भारती की विशेष उपस्थिति उल्लेखनीय रही है। इस साहित्य सम्मेलन को सफल बनाने में समन्वयक डॉ वी जी गोपालकृष्णन, पी रवि सर, वेणुगोपल, पी डी एन्टो तथा उनके सहयोगियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

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