लालच ने भ्रष्टाचार को कैंसर का रूप दे दिया, सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

[नोट- भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में है। यह एक कैंसर की तरह फैल चुका है। भ्रष्टाचार के अनेक रूप है। नेता और अधिकारी देश पर राज करते हैं। पांच फीसदी नेता और अधिकारियों को छोड़कर बाकी सब की वार्षिक आय और संपत्ति से स्पष्ट होता है कि यही सबसे बड़े भ्रष्टचारी है। इनकी संपत्ति हर साल हमुनान की दूम की तरह बढ़ती ही जाती है? इनकी बेनामी संपत्ति भी होती है। वह कईं गुना अधिक होती है और है। मगर रात दिन मेहनत करने वालों की आय और संपत्ति नहीं बढ़ती है? साइकिल और स्कूटर पर सफर करने वाले नेता और अधिकारी आज करोड़ों की कारों और विमानों में यात्रा कर रहे हैं। यह कैसे संभव हो पा रहा है? गरीब और गरीब, अमीर और अमीर होता जा रहा है। आजादी के 75 साल बाद भी अमीर और गरीब की दूरी नहीं मिट रही है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के संदर्भ हमारा यह कर्तव्य बनता है कि इस पर खुली बहस हो और लालच के रूप में पल रहा कैंसर (भष्टाचार) खत्म हो। हमारा सभी समाजसेवी और साहित्यिक संगठनों से आग्रह है कि वो सुप्रीम कोर्ट के टिप्पणी पर चर्चा करें और निवारण तथा उपाय पर प्रस्ताव पारित करें और भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट के पास भेजे दें। क्योंकि लोगों का सबसे ज्यादा भरोसा न्यायपालिका पर है। तेलंगाना समाचार आपके प्रस्ताव का स्वागत करता है।]

हैदराबाद : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को भ्रष्टाचार को लेकर अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धन कमाने की लालच ने भ्रष्टाचार को कैंसर का रूप दे दिया है और इसे विकसित किया है। कोर्ट ने आगे कहा कि संवैधानिक अदालतों का देश के नागरिकों के प्रति कर्तव्य है कि वे भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त न करें और अपराध करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

गौरतलब है कि जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रधान सचिव अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया गया था। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैसे कमाने की लालच में देश के लोगों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के संविधान के प्रस्तावना को प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न हो रही है।

खंडपीठ ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “भ्रष्टाचार एक अस्वस्थता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में मौजूद है। यह अब शासन की गतिविधियों तक सीमित नहीं है। अफसोस की बात है कि जिम्मेदार नागरिक कहते हैं कि यह किसी के जीवन का एक तरीका बन गया है।”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पूरे समुदाय के लिए शर्म की बात है कि हमारे संविधान निर्माताओं के मन में जो अच्छे आदर्श थे, उनका पालन करने में लगातार गिरावट आ रही है और समाज में नैतिक मूल्यों का दोहन तेजी से बढ़ रहा है। खंडपीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार की जड़ का पता लगाने के लिए अधिक बहस की आवश्यकता नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म में सात पापों में से एक माना जाने वाला ‘लालच’ काफी प्रभावशाली रहा है। असल में पैसे के लिए लालच ने भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह विकसित करने में मदद की है। (एजेंसियां)

క్యాన్సర్‌లా అవినీతి, సుప్రీంకోర్టు కీలక వ్యాఖ్యలు

హైదరాబాద్‌ : ఎక్కువ సంపాదించాలన్న దురాశే అవినీతి పెరుగడానికి కారణమని సుప్రీంకోర్టు అభిప్రాయపడింది. సమాజంలో అవినీతి అనేది క్యాన్సర్‌గా వృద్ధి చెందుతున్నదని ఆందోళన వ్యక్తం చేసింది. న్యాయస్థానాలు అవినీతిని ఏ మాత్రం సహించకూడదని పేర్కొంది. దేశ పౌరుల తరఫున బాధ్యతగా ఉంటూ ఇటువంటి నేరాలకు పాల్పడే వారిపై కోర్టులు కఠినంగా వ్యవహరించాలని స్పష్టం చేసింది.

ఆదాయానికి మించిన ఆస్తులు కూడబెట్టారనే ఆరోపణలపై ఛత్తీస్‌గఢ్‌ మాజీ ప్రధాన కార్యదర్శి అమన్‌ సింగ్‌, ఆయన సతీమణి యాస్మిన్‌ సింగ్‌పై 2020లో నమోదైన ఎఫ్‌ఐఆర్‌ను ఆ రాష్ట్ర హైకోర్టు కొట్టేసింది. దీనిని సవాలు చేస్తూ దాఖలైన పిటిషన్‌ను శుక్రవారం విచారించిన జస్టిస్‌ ఎస్‌ రవీంద్ర భట్‌, జస్టిస్‌ దీపాంకర్‌ దత్తాలతో కూడిన ధర్మాసనం.. హైకోర్టు తీర్పును పక్కనబెట్టింది. ఈ క్రమంలో కొన్ని కీలక వ్యాఖ్యలు చేసింది.

హిందూ పురాణాల ప్రకారం… దురాశ అనేది ఏడు పాపాల్లో ఒకటి. అవినీతి పెరుగుదలకు ఇదే మూలం. ప్రజాసేవలో ఉన్న కొంతమంది వ్యక్తిగత ప్రయోజనాల కోసం వెంపర్లాడుతున్నారు. దురాశతో అవినీతికి పాల్పడుతున్నారు. నేరాలకు పాల్పడే ఇలాంటి వారిపై కోర్టులు కఠినంగా వ్యవహరించాలి –సుప్రీంకోర్టు (ఏజెన్సీలు)

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