[नोट- सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पाठक अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। हम पाठकों के विचारों को तेलंगा समाचार में प्रकाशित करेंगे।]
हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज की ओर से जारी विवाह प्रमाणपत्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने यह टिप्पणी एक नाबालिग के अपहरण और रेप से संबंधित अपराध पर आरोपी की जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान की है। कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज को मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का कोई हक नहीं है। यह मामला मध्य प्रदेश में हुई एक लव मैरिज से जुड़ा हुआ मामले से है।
आपको बता दें कि लड़की के परिजनों ने लड़के के खिलाफ अपहरण और रेप का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की अवकाशकालीन पीठ ने आरोपी की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि बलात्कार का दावा करने वाली युवती बालिग है और उसने आर्य समाज के तहत शादी की थी।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आर्य समाज का काम और अधिकार मैरिज सर्टिफिकेट जारी करना नहीं है। क्योंकि विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का सक्षम प्राधिकरण करते हैं। इसलिए कोर्ट के सामने असली प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए जाने चाहिए। इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया था।
गौरतलब है कि आर्य समाज एक हिन्दू सुधारवादी संगठन है और इसकी स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी। अब तक हजारों-लाखों जोड़ों की शादी आर्य समाज ने की है। (एजेंसियां)