रेवंत ने पूर्व जिलाधीश वेंकटरामी रेड्डी पर लगाये गंभीर आरोप, बोले- “तेलंगाना का सबसे बड़ा द्रोही हैं केसीआर”

हैदराबाद: टीपीसीसी अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने स्वेच्छा सेवानिवृत्ति लिये सिद्दीपेट जिलाधीश और एमएलसी उम्मीदवार वेंकटरामी रेड्डी पर जमकर बरसे और गंभीर आरोप लगाये। रेवंत रेड्डी ने मंगलवार को मीडिया को संबोधित किया। वेंकटरामी रेड्डी द्वारा कैसे-कैसे भ्रष्टाचार किये, इसके अनेक उदाहरण सहित खुलासा किया। साथ ही उनके स्वेच्छा निवृत्ति पर रोक लगाने और एमएलसी उम्मीदवार के लिए दाखिल नामांकन को नामंजूर करने की मांग की है। इस दौरान रेवंत रेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री केसीआर को तेलंगाना का सबसे बड़ा द्रोही हैं। उन्होंने कहा कि तेलंगाना द्रोहियों को बड़़े-बड़े पदों पर बिठाकर तेलंगाना की करोड़ों की संपदा को लूट ले रहे हैं।

रेवंत रेड्डी ने आगे कहा, “वेंकटरामी रेड्डी ने केसीआर के पैर पकड़कर एमएलसी टिकट हासिल किया। वेंकटरामी रेड्डी ने पहले भी अनेक नियम तोड़े हैं। उस समय चित्तूर जिला पेयजल योजना में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ था। इसमें भी वेंकटरामी रेड्डी का हाथ था। इतना ही नहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, राजशेखर रेड्डी, रोशय्या और किरण कुमार रेड्डी के शासनकाल में भी वेंकटरामी रेड्डी अनेक भ्रष्टाचार को अजाम दिया। मुख्यमंत्रियों को प्रभावित करके पदोन्नति हासिल करने में वेंकटरामी रेड्डी माहिर है। अब केसीआर को प्रभावित करके एमएलसी टिकट हासिल किया है। संयुक्त आंध्र प्रदेश में वेंकटरामी रेड्डी के खिलाफ कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “किरण कुमार रेड्डी के शासनकाल में चित्तूर जिला पेयजल योजना में सात हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। हरीश राव ने उस समय वेंकटरामी रेड्डी के खिलाफ शिकायत की थी। वेंकटरामी रेड्डी चंद्रबाबू नायडू के बेहद करीबी रहे हैं। वेंकटरामी रेड्डी के खिलाफ कोर्ट उल्लंघन के मामलों होते हुए भी टीआरएस के करीबी हो गये और केसीआर के लिए काम किया। कांग्रेस नेता शब्बीर अली ने भी वेंकटरामी रेड्डी के खिलाफ राष्ट्रपति के पास शिकायत की। राष्ट्रपति की ओर से सीएस को कार्रवाई करने का पत्र भी लिखा। उस पत्र की अनदेखी की गई। वेंकटरामी रेड्डी की राज पुष्पा कंपनी की कोकापेटा भूमि का अधिग्रहण किया गया। इसमें एक अरब करोड़ रुपये का घोटाला हुआ।”

उन्होंने आगे कहा, “जमीन बिक्री के मामले में अनेक अनियमितताएं हुई हैं। इस पर एमएसटीसी, एचएमडीए से वेंकटरामी रेड्डी के खिलाफ कार्रवाई की शिकायत की गई। फिर भी इस शिकायत पर किसी प्रकार का एक्शन नहीं लिया गया। सरकारी पद पर कार्यरत ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। कल वेंकटरामी रेड्डी ने इस्तीफा दिया और आज केसीआर ने उसे एमएलसी का टिकट दिया। चर्चा है कि कल-परसो वेंकटरामी रेड्डी को वित्तमंत्री बनाया जाएगा। सीएम केसीआर बताये कि क्या ऐसे लोगों के लिए तेलंगाना के गठन हुआ है? तेलंगाना के गद्दारों को शासकों के रूप में नियुक्त करने का क्या मतलब है?”

रेवंत ने यह भी आरोप लगाया कि वेंकटरामी रेड्डी ने दुब्बाका उपचुनाव के दौरान टीआरएस के लिए मोहरे के रूप में काम किया है। उन्होंने बताया कि आउटर रिंग रोड को अष्टकोण आकार में बदलने के पीछे वेंकटरामी रेड्डी का बहुत बड़ा हाथ है। मगर उस समय वेंकटरामी रेड्डी उस मुकदमे से अलग हो गये। अनेक भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त पूर्व जिलाधीश वेंकटरामी रेड्डी को मुख्यमंत्री केसीआर एमएलसी और उसके बाद मंत्री बनाने के लिए तैयार हो गये है। तेलंगाना की जनता जान चुकी है कि इसके पीछे क्या राज हो सकता है।

(पूर्व जिलाधीश वेंकटरामी रेड्डी)

उन्होंने कहा कि वेंकटरामी रेड्डी ने लगभग सभी मुख्यमंत्रियों को अपने चालाकी से अधीन कर लिया है। संयु्क्त आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्रियों के प्रिय रहे वेंकटरामी रेड्डी को केसीआर ने मेदक जिलाधीश नियुक्त किया। वेंकटरामी रेड्डी के पास मुख्यमंत्रियों के लिए हजारों करोड़ रुपये कमाकर देने का हुनर ​​है। इसीलिए वो सबके करीब और प्रिये हो गये हैं।

रेवंत रेड्डी ने बताया कि वेंकटरामी रेड्डी को केसीआर ने डेक्कन इंफ्रास्ट्रक्चर की जिम्मेदारी सौंपी थी। मगर अब डेक्कन इंफ्रास्ट्रक्चर की जानकारी नहीं मिल रही है। रेवंत ने याद किया कि उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करने वाले वेंकटरामी रेड्डी पर जुर्माना भी लगाया था। इतना ही नहीं हाल ही में किसानों को धान फसल नहीं करने का आदेश दिया। साथ ही धान की फसल करने वालों कड़ी सजा देने की चेतावनी भी दी थी। ऐसे व्यक्ति को केसीआर एमएलसी बनाकर मंत्री बनाने का भी फैसला लिया है।

वेंकटरामी रेड्डी का जिलों के साथ संबंध

वेंकटरामी रेड्डी ने 2002-04 से मेदक संयुक्त जिला ड्यामा पीडी के रूप में कार्य किया। इसके बाद 24 मार्च 2015 से 10 अक्टूबर 2016 तक संयुक्त जिला संयुक्त कलेक्टर के रूप में कार्य किया। तत्पश्चात तेलंगाना राज्य में जिलों के पुनर्विभाजन के बाद यानी 11 अक्टूबर 2016 को सिद्दीपेट के जिला कलेक्टर के रूप में पदभार संभाला। 2018 के आम चुनावों के दौरान 8 महीने के लिए सिरिसिला कलेक्टर के रूप में कार्य किया। फिर उपचुनाव के दौरान सिद्दीपेट कलेक्टर और दुब्बाका के उपचुनाव के दौरान 15 दिनों के लिए संगारेड्डी कलेक्टर के रूप में कार्य किया। बाद में सिद्दीपेट कलेक्टर के रूप में कार्य किया।

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