नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 25 जनवरी को 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधित किया. उन्होंने कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं आप सबको हार्दिक बधाई देती हूं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा है कि देश में एक साथ चुनाव होने से शासन में स्थिरता बढ़ेगी और नीतिगत निर्णयों के कार्यान्वयन में आने वाली बाधाएं दूर होंगी. सरकारों पर वित्तीय बोझ भी काफी कम हो जाएगा. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “एक साथ चुनावों जैसे बड़े सुधारों को लागू करने के लिए बहुत साहसी दृष्टिकोण होना चाहिए.” देश भर में एक साथ चुनाव कार्यक्रमों में एक साथ परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए संसद में पेश किया गया यह विधेयक सुशासन का एक अच्छा उदाहरण है. निष्पक्ष चुनावों से स्थिर शासन संभव है. नीतियों के कार्यान्वयन में आने वाली समस्याओं को रोका जाएगा. संसाधनों की बर्बादी रोकी जा सकती है. राष्ट्रपति ने कहा, “हम वित्तीय बोझ भी कम कर सकते हैं.” उन्होंने कहा कि देश दशकों से ब्रिटिश औपनिवेशिक मानसिकता में फंसा हुआ है और केंद्र सरकार ने उस मानसिकता को बदलने के लिए कड़े कदम उठाए हैं.
द्रौपदी मुर्मु ने कहा, “इस ऐतिहासिक अवसर पर आप सबको संबोधित करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं, आप सबको हार्दिक बधाई देती हूं. आज से 75 वर्ष पहले, 26 जनवरी के दिन ही, भारत गणराज्य का आधार ग्रंथ यानी भारत का संविधान, लागू हुआ था.” राष्ट्रपति ने कहा, “इस वर्ष, हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं. वे ऐसे अग्रणी स्वाधीनता सेनानियों में शामिल हैं जिनकी भूमिका को राष्ट्रीय इतिहास के संदर्भ में अब समुचित महत्व दिया जा रहा है.”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा, “न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता केवल सैद्धांतिक अवधारणाएं नहीं हैं जिनका परिचय हमें आधुनिक युग में प्राप्त हुआ हो. ये जीवन-मूल्य तो सदा से हमारी सभ्यता और संस्कृति का अंग रहे हैं. भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारी संविधान सभा की संरचना में भी दिखाई देता है. उस सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था. सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि संविधान सभा में सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, हंसाबेन मेहता और मालती चौधरी जैसी 15 असाधारण महिलाएं भी शामिल थीं.”
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के किसानों से कड़ी मेहनत की है और देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया है. उन्होंने कहा, “हमारे किसान भाई-बहनों ने कड़ी मेहनत की और हमारे देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया. हमारे मजदूर भाई-बहनों ने अथक परिश्रम करके हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनुफैक्चरिंग सेक्टर का कायाकल्प कर दिया. उनके शानदार प्रदर्शन के बल पर आज भारतीय अर्थ-व्यवस्था विश्व के आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित कर रही है.”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत का आर्थिक विकास दर आसमान छू रहा है. उन्होंने कहा, “हाल के वर्षों में, आर्थिक विकास की दर लगातार ऊंची रही है, जिससे हमारे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, किसानों और मजदूरों के हाथों में अधिक पैसा आया है तथा बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है. साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधारों के बल पर, आने वाले वर्षों में प्रगति की यह रफ्तार बनी रहेगी.” राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम संबोधन में डिजिटल पेमेंट का जिक्र किया. उन्होंने कहा, “डिजिटल भुगतान के कई विकल्पों के साथ-साथ प्रत्यक्ष बेनिफिट ट्रांसफर की प्रणाली ने समावेशन को बढ़ावा दिया है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को फॉर्मल सिस्टम में शामिल किया जा सका है. इसके कारण सिस्टम में अभूतपूर्व पारदर्शिता भी आई है.”
राष्ट्रपति ने कहा, “Indian Penal Code, Criminal Procedure Code और Indian Evidence Act के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का फैसला सर्वाधिक उल्लेखनीय है.” राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, “हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है. इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है. हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने और उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साह-जनक प्रयास किए जा रहे हैं.”
इसरो की हालिया सफलता को लेकर राष्ट्रपति ने कहा, “भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. इस महीने, इसरो ने अपने सफल स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट से देश को एक बार फिर गौरवान्वित किया है. भारत अब विश्व का चौथा देश बन गया है जिसके पास यह क्षमता उपलब्ध है.” राष्ट्रपति ने कहा, “मैं, एक बार फिर, आप सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई देती हूं. देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले हमारे सैनिकों के साथ-साथ सीमाओं के भीतर देश को सुरक्षित रखने वाले पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी में बधाई देती हूं। न्यायपालिका, सिविल सेवाओं और विदेशों में हमारे मिशनों के सदस्यों को भी मेरी बधाई.” (एजेंसियां)
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జమిలితో స్థిరమైన పాలన : రాష్ట్రపతి ద్రౌపది
న్యూఢిల్లీ: 76వ గణతంత్ర దినోత్సవాన్ని పురస్కరించుకుని రాష్ట్రపతి ముర్ము శనివారం దేశ ప్రజలను ఉద్దేశించి ప్రసంగించారు. దేశంలో జమిలి ఎన్నికల నిర్వహణతో పరిపాలనలో స్థిరత్వం పెరుగుతుందని, విధానపరమైన నిర్ణయాల అమలుకు అడ్డంకులు తొలగిపోతాయని రాష్ట్రపతి ద్రౌపది ముర్ము అన్నారు. ప్రభుత్వాలపై ఆర్థిక భారం కూడా గణనీయంగా తగ్గుతుందన్నారు.
‘‘జమిలి ఎన్నికల వంటి భారీ సంస్కరణలు చేపట్టాలంటే ఎంతో ధైర్యంతో కూడిన విజన్ ఉండాలి. దేశమంతటా ఎన్నికల షెడ్యూల్స్ ను ఏకకాలానికి మారేలా చూసేందుకు పార్లమెంట్ లో ప్రవేశపెట్టిన ఈ బిల్లు సుపరిపాలనకు చక్కని ఉదాహరణగా నిలుస్తుంది. జమిలి ఎన్నికలతో స్థిరమైన పాలన సాధ్యమవుతుంది. పాలసీల అమలులో సమస్యలకు అడ్డుకట్ట పడుతుంది. వనరుల వృథాను అరికట్టవచ్చు. ఆర్థిక భారాన్ని కూడా తగ్గించుకోవచ్చు’’ అని రాష్ట్రపతి అన్నారు. దేశం కొన్ని దశాబ్దాలుగా బ్రిటిష్ వలసవాద మనస్తత్వంలోనే మగ్గిపోయిందని, ఆ మైండ్ సెట్ను మార్చేందుకు కేంద్ర ప్రభుత్వం గట్టి చర్యలు తీసుకున్నదని తెలిపారు.
మహిళలు, పిల్లలకు మెరుగైన న్యాయం దక్కేందుకు కొత్త క్రిమినల్ చట్టాలు దోహదం చేస్తాయన్నారు. ‘‘మనం 1947లో స్వాతంత్ర్యాన్ని పొందాం. కానీ చాలాకాలంపాటు మనలో వలసవాద మనస్తత్వ లక్షణాలు అలాగే ఉండిపోయాయి. ఆలస్యంగానైనా ఈ మైండ్ సెంట్ ను మార్చుకుంటున్నాం. అందుకే ఐపీసీ, సీఆర్పీసీ, ఇండియన్ ఎవిడెన్స్ యాక్ట్ల స్థానంలో భారతీయ న్యాయ సంహిత, భారతీయ నాగరిక్ సురక్షా సంహిత, భారతీయ సాక్ష్య అధినియం చట్టాలను తెచ్చుకున్నాం” అని రాష్ట్రపతి పేర్కొన్నారు. పౌరులందరి సంక్షేమం, అభివృద్ధికి కేంద్రం చర్యలు తీసుకుందన్నారు. ప్రయాగ్ రాజ్లో కొనసాగుతున్న మహాకుంభమేళా దేశ నాగరిక వారసత్వం గొప్పతనానికి ప్రతిరూపంగా నిలుస్తోందని రాష్ట్రపతి ముర్ము అన్నారు.
స్వాతంత్ర్యం వచ్చిన తర్వాత గత 75 ఏండ్లలో భారత్ అన్ని రంగాల్లో ఎంతో అభివృద్ధిని సాధించిందని రాష్ట్రపతి అన్నారు. ‘‘మనకు స్వాతంత్ర్యం వచ్చిన సమయంలో దేశంలోని అనేక ప్రాంతాలు తీవ్రమైన పేదరికం, ఆకలితో అలమటించాయి.
కానీ మనపై మనం విశ్వాసంతో ముందుకు సాగాం. దేశమంతా అభివృద్ధి చేసుకుంటూ ఆ పరిస్థితులను మార్చుకున్నాం. రాజ్యాంగం దేశ ప్రజలందరినీ ఒక్క కుటుంబంలా కలిపి ఉంచే సజీవ పత్రం” అని రాష్ట్రపతి అభివర్ణించారు.
మన రాజ్యాంగమే మనందరికీ భారతీయులు అనే సమష్టి గుర్తింపును ఇస్తోందన్నారు. గత కొన్నేండ్లలో వృద్ధి రేటు గణనీయంగా పెరిగిందని, ఫలితంగా రైతులు, కార్మికుల ఆదాయం, ఉపాధి అవకాశాలు అంతే పెరిగాయన్నారు. కాగా, దేశానికి స్వాతంత్ర్యం కోసం ప్రాణత్యాగం చేసిన ఎందరో మహనీయులను మరచిపోరాదని, అందుకే గిరిజన పోరాట యోధుడు బిర్సా ముండా 150వ జయంతి సందర్భంగా ఈ ఏడాదంతా ఉత్సవాలు నిర్వహించుకుంటున్నామని రాష్ట్రపతి తెలిపారు. (ఏజెన్సీలు)