हैदराबाद : केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा तेलंगाना के गुरुकुल विद्यालय के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए 4 से 15 नवंबर तक 491वाँ नवीकरण पाठ्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्घाटन समारोह 4 नवंबर को संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में एमजेपीटीबीसी डब्ल्यूआरईआईएस, मासाबटैंक, हैदराबाद के संयुक्त सचिव, डॉ. जी. तिरूपति उपस्थित थे। साथ ही संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. फत्ताराम नायक, डॉ. दीपेश व्यास, अतिथि प्रवक्ता एवं डॉ. एस. राधा उपस्थित थीं। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अतिथियों के स्वागत में गीत प्रस्तुत करके कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम में कुल 55 (महिला-38, पुरुष-17) प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया।

अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने कहा कि मनुष्य में सीखने की प्रक्रिया गर्भ के समय से ही प्रारंभ हो जाती है। बच्चा जब माँ के पेट में हलचल करता है, तो वह बाह्य वार्तालाप के प्रति अपनी प्रतिक्रिया दे रहा होता है। निरंतर सुनने के बाद भी बोलने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है और बोलने की प्रक्रिया के बाद लिखने के लिए वह प्रतिबद्ध होता है। मातृभाषा की अपेक्षा अन्य भाषा को सीखने में सौ गुना ज्यादा प्रयास करना पड़ता है। मनुष्य के भीतर चौसठ कलाएँ होती हैं। इन कलाओं के माध्यम से ही हम नई-नई भाषाओं का सृजन कर सकते हैं। गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर बताया गया है। जीवन में गुरु का स्थान कोई नहीं ले सकता है।
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मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. जी. तिरूपति ने कहा कि बच्चों को सिखाने से पहले हमें सीखना होगा। कक्षा में भी हमें पाठ की तैयारी करके जाना चाहिए। विषय को रूचिकर बनाकर पढ़ाने से बच्चों में विषय के प्रति रूचि उत्पन्न होती है। जो लोग हिंदी की सेवा कर रहे हैं उनका जीवन धन्य हैं। हिंदी के ज्ञान को बढ़ाने के लिए उसके शब्दकोश को निरंतर बढ़ाते रहना चाहिए जिससे भाषा में पकड़ मजबूत होती है। किसी भी भाषा का जितना मजबूत शब्दकोश होगा उस भाषा पर उतनी ही पकड़ बनेगी।
पाठ्यक्रम संयोजक एवं क्षेत्रीय निदेशक डॉ. फत्ताराम नायक ने कहा कि शिक्षक सच्चे अर्थों में राष्ट्र निर्माता होता है। प्रशिक्षण के दौरान आप यह भूल जाइए कि आप शिक्षक हैं। एक विद्यार्थी के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त करने से आपको बहुत लाभ होगा। प्रशिक्षण के दौरान व्याकरण एवं साहित्य से संबंधित जो भी समस्याएँ हैं। वह दूर की जाएँगी। साथ ही साथ तकनीकी ज्ञान भी दिया जाएगा।
इस अवसर पर डॉ. दीपेश व्यास ने कहा कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से प्रशिक्षण के दौरान अगर प्रतिभागी अध्यापक शत प्रतिशत उपस्थित रहेंगे तो निश्चित ही वह इसका लाभ उठा पाएँगे। भाषा साहित्य एवं व्याकरण के अलावा भी उनके अंदर छुपे हुए कौशलों को भी यहाँ निखारा एवं सँवारा जाएगा। जिससे वह अपने विद्यार्थियों को नई-नई विधियों से ज्ञान दे सकते हैं।
इस कार्यक्रम का सफल संचालन श्री शेख मस्तान वली ने किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. एस. राधा ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस पाठ्यक्रम में तकनीकी सहयोग सजग तिवारी ने दिया। अंत में राष्ट्रगान के साथ उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ।
