विशेष लेख : गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व का संदेश, लोभ लालच के लिए संग्रह बुरी आदत है

सतगुरु नानक प्रगटया
मिटी धुंध जग चानन होया
कल तारण गुरु नानक आया
ज्यों कर सूरज निकलया
तारे छपे अंधेर पोलावा

आज (05.11.2025) गुरु नानक देव जी का जन्म दिन है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरू नानक देव जी का प्रकाश उत्सव / प्रकाश पर्व मनाया जाता है। इनका जन्म सन 1469 में राय भोई की तलवंडी (वर्तमान ननकाना साहिब, पंजाब, पाकिस्तान) माता तृप्ता और कृषक पिता कल्याण चंद (मेहता कालू जी) के घर हुआ था।

गुरू नानक का विवाह सन् 1485 में बटाला निवासी कन्या सुलखनी से हुआ। इनके दो पुत्र श्री चंद जी और श्री लक्ष्मीचंद जी थे। गुरु नानक जी सिखों प्रथम गुरू है। गुरु नानक जी की जयंती गुरुपूरब या प्रकाश पर्व सिख समुदाय में मनाया जाने वाला सबसे सम्मानित और महत्वपूर्ण दिन है। इनके अनुयाई इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानक शाह से संबोधित करते हैं। लद्दाख व तिब्बत में इन्हें नानक लामा भी कहर जाता है।

गुरु नानक जी दार्शनिक, योगी, गृहस्थ धर्म , सुधारक, समाज सुधारक, कवि, देशभक्त और विश्व बंधु …अनेक गुण अपने आप में समेटे हुए थे।

“अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बन्दे
एक नूर ते सब जग उपज्या, कुदरत के सब बंद”

सभी इंसान उस ईश्वर के नूर से ही जन्मे हैं। इसलिए कोई बड़ा छोटा नहीं, कोई आम या खास नहीं। सब बराबर हैं। (“लंगर” की प्रथा गुरू नानक देव जी ने जात – पात को समाप्त करने सबको समान दृष्टि से देखने की दिशा में क़दम उठाते हुए शुरु की थी)

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बाल्यावस्था में ही गुरू जी में प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। सांसारिक विषयों से उदासीन रहने लगे। इनका पढ़ने लिखने में मन नहीं लगता था। महज़ 7- 8 की उम्र में स्कूल छूट गया क्योंकि भगवत प्राप्ति के संबंध में इनके प्रश्नों के आगे अध्यापक (पंडित हरदयाल, मौलवी कुतुबुद्दीन) हार मान गए तथा इन्हें सम्मान पूर्वक घर छोड़ आए। जिसके बाद अधिक समय में वे आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे (हालांकि गुरु नानक देव जी के पिता ने इन्हें कृषि, व्यापार की कोशिश की लेकिन सभी प्रयास निष्फल हुए।

सुल्तानपुर गवर्नर दौलत खाँ के मोदी खाने में भी लगाए गए, लेकिन प्रयास सफ़ल नहीं हुआ) बचपन में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी, जिन्हें देखकर गांव वाले इन्हें दिव्य आत्मा मानने लगे। नानक जी में सर्वप्रथम श्रद्धा रखने वाले उनके गांव के शासक राय बुलार और उनकी बहन नानकी थी। गुरु नानक जी ने कहा कि सांसारिक मामलों में इतना भी मत उलझो कि आप ईश्वर के नाम को भूल जाओ।

गुरू नानक जी ने फैली हुई कुरीतियों, अंधविश्वासों का सदा विरोध किया। उनके दर्शन सूफियों जैसे थे। साथ ही उन्होंने तत्कालीन राजनीति, धार्मिक और सामाजिक पर भी नज़र डाली। संत साहित्य में नानक जी उन संतों की श्रेणी में हैं जिन्होंने नारी को बड़प्पन दिया है। गुरुनानक जी के उपदेशों का सार यही है कि ईश्वर एक है। उसकी उपासना हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए है।

गुरु नानक जी अपने चार साथी मरदाना, लहना, बाला और रामदास के साथ तीर्थ यात्रा पर निकल गए थे। ये सभी घूम घूम कर उपदेश देते थे। गुरु जी ने तीन यात्रा चक्र 1521 तक पूरे किए। इनानक जाता नमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य स्थान शामिल हैं। इन यात्राओं को पंजाबी में उदासियां कहा जाता है।

गुरु नानक जी की शिक्षाएं

  1. परमपिता परमात्मा एक है।
    (एक पिता एक्स के हम वारिक)
  2. सदैव एक ही ईश्वर की आराधना करो।
    (बिन तुम होर जे मांगना सर दुखा के दुख।
    देहि नाम संतोखिया उतरे मन की भूख)
  3. ईश्वर सब जगह और हर प्राणी में विद्यमान है।
    (सोच विचार करे मत मन में, जिसने ढूंढा उसने पाया
    नानक भक्तन के पद परसे, निस दिन राम चरन चित्त लाया)
  4. ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
  5. ईमानदारी और मेहनत से पेट भरना चाहिए।
  6. बुरा कार्य कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
  7. हमेशा खुश रहना चाहिए, ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा याचना करें।
  8. मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रूरतमंद की सहायता करें।
  9. सभी को समान नजरिए से देखें। स्त्री पुरुष समान है।
  10. भोजन शरीर के लिए आवश्यक है। परन्तु लोभ लालच के लिए संग्रह करने की आदत बुरी है।

दर्शन सिंह
मौलाली हैदराबाद

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