अच्छी पहल: सुप्रीम कोर्ट में मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार पर याचिका दाखिल, एक्सपर्ट बॉडी का गठन पर विचार

हैदराबाद: मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार बांटने का वादा करने या बांटने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह सोच रहा है किमुफ्त उपहार बांटने के मुद्दे को के लिए एक एक्सपर्ट बॉडी का गठन किया जाये जो मामले में अपना सुझाव दे सके। सुप्रीम कोर्ट ने तमाम पक्षकारों से कहा है कि वह एक्सपर्ट बॉडी के गठन के बारे में अपना सुझाव पेश करें ताकि मामले में विचार हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी इस बारे में बात नहीं करती है। क्योंकि सभी पार्टियां मतदाताओं को मुफ्त उपहार का ऑफर करना चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमणा की खंडपीठ ने कहा कि वह मन बना रही है कि इस मामले में एक्सपर्ट बॉडी का गठन हो जिसमें नीति आयोग, फाइनांस कमीशन, लॉ कमीशन, आरबीआई, सत्ता धारी पार्टी के सदस्य और विरोधी दल के सदस्य शामिल हों। यह बॉडी मुफ्त उपहार के मामले में सुझाव पेश करें।

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी दाखिल कर केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग को प्रतिवादी बनाया है। याचिका में कहा गया है कि पब्लिक फंड से चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार देने का वादा करने या मुफ्त उपहार बांटना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के खिलाफ है। यह वोटरों को प्रभावित करने और लुभाने का प्रयास है। इससे चुनाव प्रक्रिया प्रदूषित होती है।

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि इससे चुनाव मैदान में एक समान अवसर के सिद्धांत प्रभावित होते हैं। राजनीतिक पार्टियों द्वारा मुफ्त उपहार देने और वादा करना वोटरों को लुभाने का प्रयास है और यह एक तरह की रिश्वत है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तरह से किए गए मुफ्त उपहार के वादे को रिश्वत की श्रेणी में माना जाए। क्योंकि इससे वोटर प्रभावित होते हैं। चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह सुनिश्चित करें कि राजनीतिक पार्टियां इस तरह के मुफ्त उपहार के वादे न करें या वितरण न करें।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी इस पर बात नहीं करना चाहती है। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल से सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुझाव देने को कहा। सिब्बल इस मामले में किसी भी पक्षकार के वकील नहीं हैं। सिब्बल ने जब कहा कि मामले में संसद में डिबेट होना चाहिए। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि मिस्टर सिब्बल क्या आप समझते हैं कि संसद में इस पर बहस होगी? कौन इस मामले में डिबेट करेगा? कोई राजनीतिक पार्टी मुफ्त उपहार मामले का विरोध नहीं करेगा क्योंकि सभी पार्टी मुफ्त उपहार बांटना चाहती हैं।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विकास सिंह ने दलील दी कि मुफ्त उपहार के कारण पब्लिक मनी का इस्तेमाल हो रहा है। राशि कहां से आएगा इस बारे में जवाबदेही तय होना चाहिए। वहीं केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोकलुभावन मुफ्त उपहार बांटने का वादा या बांटा जाना मतदाताओँ को प्रभावित करता है। अगर इसे रेग्युलेट नहीं किया गया तो इससे देश की आर्थिक स्थिति बदतर हो सकती है। तब एनवी रमणा ने कहा कि लेकिन चुनाव आयोग ने तो हाथ खड़े कर दिए हैं। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में दोबारा चुनाव आयोग को विचार के लिए कहा जा सकता है। तब चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मॉडल कोड में गाइडलाइंस बनाए जाने को कहा है।

इसी क्रम में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि मिड डे मील, गरीबों को राशन और फ्री बिजली आदि की सुविधाएं वेलफेयर का काम है और इस तरह इस मामले में एकतरफा रोक भी नहीं हो सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम बिना तमाम हित धारकों के सुझाव के आदेश नहीं करेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम गाइडलाइंस जारी नहीं करने जा रहे हैं, बल्कि मामले में हित धारकों के सुझाव जरूरी है। आखिर में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को मामले में फैसला लेना होगा। रिपोर्ट उन्हीं को दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और चुनाव आयोग यह नहीं कह सकते हैं कि वह कुछ नहीं कर सकते। (एजेंसियां)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Recent Comments

    Archives

    Categories

    Meta

    'तेलंगाना समाचार' में आपके विज्ञापन के लिए संपर्क करें

    X