Uttar Pradesh: रोजगार, बच्चों की शिक्षा और आत्मसम्मान की लड़ाई है धोबीघाट बचाने की लड़ाई

बड़े हैरत की बात है कि जिसने दुनिया को साफ रहने की तमीज सिखाई आज उसे एक अदद धोबीघाट को बचाने (जहां वह मेहनत करके अपनी आजीविका चला सके) के लिए क्रमिक अनशन करना पड़ रहा है। जिसने कपड़े धुलने के लिए सर्वदा पर्यावरण के अनुकूल रहने वाला अद्भुत और अतुलनीय साबुन खोजा उससे ही उनकी रोजी-रोटी छीनी जा रही है। विकास के नाम पर पूरे देशभर में धोबीघाटों की जमीनों पर कंक्रीट के जंगल खड़ा करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। कपड़ो के धुलाई वाले खतरनाक रसायनों को बनाने वाली कंपनियों को कम दर पर बिजली, जमीन, ऋण, सब्सिडी आदि देकर उनका सहयोग किया जा रहा है और जिस दर से आबादी बढ़ी उस दरस अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से युक्त धोबीघाट न बनवाकर केवल धोबियों को ही नदियों के प्रदूषण का दोषी मानकर उन्हें उनके आजीविका वाले साधनों/धोबीघाटों से वंचित किया जा रहा है, ऐसा पूरे देश मे चल रहा है।

साथियों! आप सब अवगत होंगे कि मम्फोर्डगंज, प्रयागराज (उ. प्र.) में लाला लाजपतराय रोड पर स्थित धोबीघाट जिसे मम्फोर्डगंज या लाला लाजपतराय धोबीघाट के नाम से जाना जाता है, का निर्माण राज्यसभा सांसद माननीय चुन्नीलाल चौधरी जी ने सांसद निधि से 2000-2001 में कराया था। जिसके कुछ हिस्से को सड़क के चौड़ीकरण के कारण वर्षों पहले तोड़ दिया गया था बावजूद इसके वहां पर काम करने वाले लोग शांतिपूर्वक अपना काम करते रहे।

परंतु इधर फिर से प्रशासन ने सौंदर्यीकरण/सड़क चौड़ीकरण के नाम पर मम्फोर्डगंज धोबीघाट को demolish करने/तोड़ने की नोटिस जारी कर दी है जिससे वहां पर काम करने वाले लोगों के समक्ष आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। जबकि प्रशासन को यह चाहिए कि पहले अन्यत्र एक नया (आधुनिक सुविधाओं से युक्त) धोबीघाट का निर्माण कराए और मम्फोर्डगंज धोबीघाट पर काम करने वाले लोगों को सौंपे तब मम्फोर्डगंज धोबीघाट को तोड़ने की कार्रवाई शुरू करे। बिना उन्हें नया धोबीघाट उपलब्ध कराए इस घाट को तोड़ना वहां पर काम करने वाले लोगों और उनके परिवार वालों को न केवल मूलभूत सुविधाओं से वंचित करना है अपितु उनके संवैधानिक अधिकारों और मानवाधिकार का भी उल्लंघन है।

प्रशासन का यह कृत्य बेहद निंदनीय है। जब प्रशासन को अन्य राज्यों की तर्ज पर उन्हें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से युक्त धोबीघाट बनवाकर देना चाहिए तब वह धोबियों को विस्थापित कर उन्हें रोजगार, शिक्षा और आत्मसम्मान से वंचित कर रही है, क्योंकि इससे उनके बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित होगी और उनका जीवन भी।

घाट तोड़ने की खबर धोबी समुदाय के लोग सकते में है और जिला रजक सुधार सभा, इलाहाबाद के तमाम पदाधिकारियों की अगुआई में क्रमिक अनशन पर बैठे हुए हैं। सनद रहे कि वे प्रयागराज जो कि उनका भी अपना शहर है, के विकास, सौंदर्यीकरण, सड़कों के चौड़ीकरण के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं हैं अपितु वे उन्हें बिना पुनर्वासित किए धोबीघाट को तोड़े जाने के खिलाफ हैं।

समुदाय के जिम्मेदार लोगों, समुदाय के माननीयों, नगरवासियों और प्रयागराज के महापौर, विधायकों और सांसदों आपसे विनम्र अनुरोध है कि जिन लोगों ने ग्लेशियरों को पिघला देने वाली गर्मी, घनघोर बरसात और हाड़ कंपा देने वाली कड़ाके की ठंडी की परवाह न करते हुए नगरवासियों को स्वस्थ रखने में कोई चूक न करते हुए आपके कपड़ों को साफ सुथरा बनाया, चमकाया और परिसज्जित कर आपको सुसज्जित और सभ्य दिखने लायक बनाया, आजादी की लड़ाई तक में आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा, ईमानदारी से मेहनत कर अपनी आजीविका चला रहा है, अपने बच्चों को शिक्षा दिला रहा है, आत्मसम्मान की जिंदगी जीना चाहता है तो उसमें खलल न डालें और धोबीघाट को टूटने से बचाकर धोबियों के रोजगार, शिक्षा और आत्मसम्मान की इस लड़ाई (जो कि सामाजिक न्याय की भी लड़ाई है) में उनका साथ दें, जिससे उनके अधिकारों की रक्षा हो सके। अन्यथा की स्थिति में शहर भर के लोग गंदा कपड़ा पहनने को बाध्य होंगे।

– लेखक डॉ नरेन्द्र दिवाकर (9839675023)

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