केंद्रीय हिंदी संस्थान: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के हिंदी अध्यापकों के लिए नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह संपन्न

हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र पर महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के हिंदी अध्यापकों के लिए 453वाँ नवीकरण पाठ्यक्रम 14 से 11 नवंबर तक क्षेत्रीय निदेशक डॉ गंगाधर वानोडे के नेतृत्व में आयोजित किया गया। डॉ गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र इस नवीकरण पाठ्यक्रम के संयोजक हैं। उन्होंने पूर्व परीक्षण के द्वारा अध्यापकों के स्तर की जाँच की। इस पाठ्यक्रम में कुल 28 पुरुष प्रतिभागियों ने नियमित कक्षा में उपस्थित होकर भाग लिया।

इस पाठ्यक्रम का उद्घाटन 15 किया गया। उद्धाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रुप में केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल आगरा के माननीय मंडल सदस्य, वरिष्ठ पत्रकार तथा भाषाकर्मी राहुल देव उपस्थित थे। उन्होंने अपने वक्तव्य में प्रतिभागियों को मार्गदर्शन किया। इस पाठ्यक्रम की विधिवत कक्षाएँ 15 नवंबर से संचालित की गई। इस पाठ्यक्रम में डॉ गंगाधर वानोडे, क्षेत्रीय निदेशक ने भाषा विज्ञान के अंतर्गत ध्वनि विचार, उच्चारण, लेखन, व्यावहारिक हिंदी संरचना, एवं भाषा परिमार्जन के साथ-साथ ध्वनि विज्ञान, व्याकरण, पुस्तक पाठ, अभ्यास चर्चा, मौखिक अभिव्यक्ति, वाचन, लेखन आदि विषयों पर प्रकाश डाला।

डॉ कामेश्वरी ने व्याकरण तथा उसके विविध पक्ष, डॉ पी आर घनाते ने हिंदी भाषा का उद्भव विकास एवं भारतीय संस्कृति, डॉ साईनाथ चपले ने हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, पाठ्यपुस्तक चर्चा/विश्लेषण, हिंदी शिक्षण में प्रौद्योगिकी का प्रयोग, हिंदी में रोजगार की संभावनाएँ, प्रयोजनमूलक हिंदी एवं सृजनात्मक लेखन, सी. पी. सिंह ने शिक्षा मनोविज्ञान, पाठयोजना, भाषा कौशल, भाषा शिक्षण एवं साहित्य शिक्षण, डॉ. अनीता गांगुली ने वाक्य संरचना, संधि तथा समास आदि विषयों की जानकारी दी तथा समस्याओं का समाधान स्मार्ट बोर्ड तथा श्यामपट्ट पर लिखकर किया। प्रो विष्णु सरवदे ने साहित्य शिक्षण एवं प्रो माणिक्यांबा ‘मणि’ ने भाषा शिक्षण विषय पर अपने विचार रखें।

24 नवंबर को ‘पर परीक्षण’ लिया गया। पर परीक्षण का परिणाम 25 नवंबर को घोषित किया गया। पर परीक्षण के आधार पर प्रथम पुरस्कार श्री संजय बारकू शिंदे, द्वितीय पुरस्कार श्री मंगेश भालचंद्र म्हात्रे तथा तृतीय पुरस्कार डॉ भाईदास रघुनाथ पाटील को प्राप्त हुआ। इस दौरान प्रतिभागियों द्वारा हस्तलिखित पत्रिका ‘रायगढ़ की धरोहर’ की रचना की गई, जिसका लोकार्पण समापन समारोह में अतिथियों द्वारा किया गया। 25 नवंबर को अपराह्न में नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह संपन्न हुआ। समापन समारोह की अध्यक्षता अतिथि प्रवक्ता डॉ. साईनाथ चपले ने की। मुख्य अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त प्रो शुभदा वांजपे, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद, अतिथि अध्यापक डॉ सी कामेश्वरी, श्री चंद्र प्रताप सिंह, केंद्र के सभी सदस्य एवं हिंदी अध्यापक प्रतिभागी उपस्थित थे।

प्रतिभागियों ने स्वागत गीत द्वारा अतिथियों का स्वागत किया। रायगढ़ जिले कि हिंदी प्रतिभागी श्री विजय गोपाळराव दरेकर एवं श्री बाळासाहेब चंद्रकांत सोळसे ने पाठ्यक्रम के दौरान किए गए अध्ययन के संबंध में विस्तार से अपने मंतव्य व्यक्त किए। इस दौरान उनके द्वारा देशभक्ति गीत, लोक गीत, भजन एवं भाषण की प्रस्तुति दी गई। प्रो शुभदा वांजपे ने अपने वक्तव्य में कहा- अध्यापकों को पाठ्यपुस्तक के पाठ्यक्रम के साथ-साथ साहित्य में भी अद्यतन रहना चाहिए तथा प्रतिभागी अध्यापकों को आशीर्वचन दिया। डॉ सी कामेश्वरी ने प्रतिभागी अध्यापकों के जिज्ञासाओं के प्रति स्वरचित कविता का पाठ किया तथा प्रतिभागी अध्यापकों को आशीर्वचन दिया।

श्री सी पी सिंह ने भी कहा कि छात्रों को पढ़ाते समय उनको जीवन जीने की कला भी सिखाएँ इसके साथ-साथ छात्रों को विवेक और वैरागी का भाव भी पढ़ाना चाहिए। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. साईनाथ चपले ने कहा कि इस पाठ्यक्रम में जो ज्ञानार्जन किया है वह अपने अध्यापन में उसका लाभ उठाएँगे। इसके साथ ही प्रतिभागी अध्यापकों को नई तकनीकी एवं साहित्य से संबंधित अद्यतन जानकारी प्राप्त कर अपनी क्षमता को बढ़ाना चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में संस्थान की वरिष्ठ आशुलिपिक डॉ एस राधा ने उपस्थित सभी माहानुभवों तथा प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। समापन समारोह का संचालन हिंदी अध्यापक संजय बारकू शिंदे ने किया। धन्यवाद ज्ञापन एवं आभार श्री मल्लिकार्जुन दोडमनी ने किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।

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