हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के द्वारा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, खैरताबाद, हैदराबाद के बीएड् महाविद्यालय के छात्रों के लिए 16 से 28 अक्टूबर तक ‘12वाँ हिंदी भाषा संचेतना शिविर’ का आयोजन किया जा रहा है। जिसका उद्घाटन समारोह दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने की।
मुख्य अतिथि उस्मानिया विश्वविद्यालय की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शुभदा वांजपे तथा सम्मानित अतिथि के रूप में केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक प्रो. वी. रा. जगन्नाथन जी उपस्थित थे। इस अवसर पर पाठ्यक्रम संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे, बीएड् महाविद्यालय के प्राचार्य सी.एन. मुगुटकर, वित्त प्रबंधक डी. किशोर बाबू एवं पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक मंच पर उपस्थित थे। इस हिंदी भाषा संचेतना शिविर में कुल 98 (महिला-59, पुरुष-39) बीएड् के छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण कराया।
सर्वप्रथम माँ शारदे के समक्ष मंचस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सरस्वती वंदना महाविद्यालय की बीएड् छात्राओं द्वारा की गई। अतिथियों का शॉल एवं पुष्पगुच्छ द्वारा स्वागत क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे द्वारा किया गया। शब्द सुमनों द्वारा स्वागत एवं परिचय डॉ. फत्ताराम नायक ने दिया। इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने कहा कि इस भाषा संचेतना शिविर में मूल रूप से भाषा पर बातचीत की जाएगी। इसके जरिए आपके भीतर भाषाई कौशल का विकास होगा ही होगा साथ ही यह शिविर आपके व्यक्तित्व विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अपने यहाँ शिविर का आयोजन करने हेतु आपने दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के सभी प्रबंधन समिति, प्राचार्य तथा शिक्षकों का आभार व्यक्त किया। मुख्य अतिथि प्रो. शुभदा वांजपे ने कहा कि हिंदी विश्वभाषा के रूप में आसीन है। दक्षता ज्ञानवर्धन और कौशल विकास में ऐसे कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
सम्मानित अतिथि के रूप में प्रो. वी. रा. जगन्नाथन ने कहा कि हिंदी के क्षेत्र में विश्व में क्या कुछ हो रहा है इसकी जानकारी इस शिविर के माध्यम से दी जाएगी। भाषा विज्ञान के क्षेत्र में हम विदेशों का पल्ला क्यों पकड़े रहें, हमें अपनी विरासत के संबंध में अपना ज्ञान खुद रखना चाहिए। हम मानक भाषा और मानक पाठ्यक्रम कैसे बनाए उस कौशल को विकसित करना चाहिए। साथ ही आपने कहा कि प्रोद्यौगिकी ने हर जानकारी हमें सहज व सुलभ उपलब्ध करवाई है। हमें अपने भाषाई कौशल को निखारने के लिए उसका उपयोग करना चाहिए।
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बीएड् महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सी. एन. मुगुटकर ने कहा कि जब तक आपकी भाषा परिपूर्ण नहीं हैं। आप दूसरे ज्ञान में परिपूर्ण नहीं हो सकते। भाषा में होने वाले नवाचारों से हमें समय-समय पर जागरूक होना चाहिए। अपने विद्यार्थियों के लिए ‘हिंदी भाषा संचेतना शिविर’ आयोजित करने के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान का आभार प्रकट किया। पाठ्यक्रम संयोजक क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने कहा कि हिंदी भाषा संचेतना शिविर के आयोजन का उद्देश्य हिंदी के वर्तनी व उच्चारण को सुधारना है। मनुष्य को हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए। साथ ही इस संचेतना शिविर के उद्देश्यों एवं रूपरेखा पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर छात्र सुस्मिता ने अपनी अपेक्षाएँ रखते हुए कहा कि मानक हिंदी की पहचान किस प्रकार की जाए वचन की पहचान, हिंदी उच्चारण संबंधी त्रुटिया हमारी प्रमुख समस्या है। हमें आशा है कि इस शिविर के माध्यम से उनका निराकरण होगा। छात्र मनीषा ने कहा कि हिंदी उच्चारण की त्रुटियाँ संयुक्ताक्षर एवं मात्रा लेखन की त्रुटियाँ तथा उससे उच्चारण संबंधी त्रुटियों जैसी समस्याओं का समाधान होगा। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. एस. राधा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शेख जुबेर अहमद ने दिया। डॉ. संदीप कुमार ने प्रशासनिक एवं लेखकीय कार्य तथा सजग तिवारी ने तकनीकी सहयोग दिया।