హైదరాబాద్: ఉస్మానియా యూనివర్సిటీ మరియు స్వాతంత్య్ర సమరయోధుడు పండిట్ గంగారామ్ మెమోరియల్ ఫోరం ఆధ్వర్యంలో హైదరాబాద్ విమోచన దినోత్సవం సందర్భంగా మహర్షి దేవ్ దయానంద్ సరస్వతి ద్విశత జయంతి, అమృత మహోత్సవం సందర్భంగా ‘హైదరాబాద్ విముక్తి ఉద్యమ యోధులు మరియు భారతీయ భాషల స్వాతంత్ర్య సమరయోధులు’ అనే అంశంపై ఒకరోజు అంతర్జాతీయ సదస్సు ఉస్మానియా యూనివర్సిటీ కె ఆర్ట్స్ కాలేజీలో జరిగింది. అంతర్జాతీయ సెమినార్లో వక్తల వాయిస్ తో ఆర్ట్స్ కళాశాల ప్రతిధ్వనించింది. నిజాం నిరంకుశ పాలనలో, హైదరాబాద్ విమోచన ఉద్యమంలో పాల్గొన్న స్వాతంత్య్ర సమరయోధులను స్మరించుకుని నివాళులర్పించారు.
हैदराबाद : उस्मानिया विश्वविद्यालय एवं स्वतंत्रता सेनानी पंडित गंगाराम स्मारक मंच के तत्वावधान में महर्षि देव दयानंद सरस्वती की द्विशताब्दी जयंती तथा हैदराबाद मुक्ति दिवस के अमृत महोत्सव वर्ष के उपलक्ष में ‘हैदराबाद मुक्ति आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतीय भाषाएं’ विषयक एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी उस्मानिया विश्वविद्यालय के आर्ट्स कॉलेज में आयोजित की गई। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं की वाणी से आर्ट्स कॉलेज गूंज उठा। उन्होंने निजाम के निरंकुश शासन और हैदराबाद मुक्ति आंदोलन में भाग ले चुके स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया और श्रद्धासुमन अर्पित किये।
संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर चिंता गणेश (अध्यक्ष सामाजिक विज्ञान विभाग एवं आचार्य, आर्ट्स कॉलेज, उस्मानिया विश्वविद्यालय) के कर कमलों से दीप प्रज्वलन तथा संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा वेद मंत्रों से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। व्यास पीठ पर मुख्य अतिथि डॉ महेंद्र होषाल, प्राचार्य, होम्योपैथिक महाविद्यालय महाराष्ट्र तथा विशिष्ट अतिथि श्रीमती प्रतिभा गांधी और श्रीमती रश्मि द्विवेदी (दोनों बहने टोरंटो कनाडा) विराजमान थे। इस समारोह के आधारभूत व्याख्यान के लिए प्रोफेसर टी केशवनारायण वेदालंकार, पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग एवं पूर्व प्राचार्य आर्ट्स कॉलेज उस्मानिया विश्वविद्यालय ने की।
अध्यक्ष स्वतंत्रता सेनानी पंडित गंगाराम स्मारक मंच भक्तराम ने समारोह को पंडित गंगाराम वानप्रस्थी जी के विस्तृत जीवन के इतिहास के पन्नों में ना आने के, गुमनाम होने के, दुख के और पीड़ा को बताया। इन्होंने इस कार्य में अनेक ऐसे गुमनाम सेनानियों के लिए भी कुछ न कुछ निरंतर प्रयत्न करते रहने का आश्वासन दिया। साथ ही पण्डित गंगाराम जी पर शीघ्र ही जीवनी प्रकाशित करने के लिए संकल्प लिया। इसके अलावा प्राप्त शोध पत्रों को भी पुस्तक रूप में प्रकाशित करने की जानकारी दी।
उद्घाटन समारोह के पश्चात प्रथम सत्र आरंभ हुआ। इसकी अध्यक्षता डॉक्टर माया देवी वाघमारे अध्यक्ष हिंदी विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय और संचालन डॉक्टर संगीता व्यास हिंदी विभाग उस्मानिया विश्वविद्यालय ने की। शोधपत्र श्री प्रदीप देवीशंकर भट्ट( हिंदी) श्रीमती लता गवलीकर (हिंदी) श्रीमती वनमाला मुक्कावार (मराठी) डॉक्टर शेष बाबू (हिंदी ) श्री रुचिर भारती (हिंदी) डॉक्टर संजय तोंड़रकर (मराठी ) ने प्रस्तुत किया। इस समारोह में मुख्य वक्ता डॉ चंद्रदेव कवडे और डॉ सुरभि दत्त रहे हैं।
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर केशवनारायण वेदालंकार और संचालन डॉ अजय ने किया। शोधपत्र वक्ता डॉक्टर जे आत्माराम (हिंदी) खादीवाले संगीता शिवाजीराव, श्री अशोक कुमार श्रीवास्तव (हिंदी) श्रीमती विभाग भारती (हिंदी )श्रीमती सुधा ठाकुर ,(हिंदी) डॉक्टर मुक्तावाणी (संस्कृत) श्री प्रदीप देवी शंकर भट्ट ने प्रस्तुति दी। इस सत्र के मुख्य वक्ता डॉक्टर कसीरेड्डी वेंकटरेड्डी, पूर्व अध्यक्ष, तेलुगू विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय और संचालन डॉक्टर चंद्रशेखर लोखंडे लातूर महाराष्ट्र रहे हैं।
मध्यान्ह में भोजन अवकाश के पश्चात तीसरे सत्र की शुरुआत हुई। इसकी अध्यक्षता डॉ नम्रता बागड़े और संचालन डॉक्टर सुमेधा आर्य ने किया। शोध पत्र श्रीमती सुषमा देवी (हिंदी), श्री विजय कुमार तिवारी (हिंदी) श्री सुपोषपाणि आर्य (हिंदी) श्रीमती रंजना पाटिल (हिंदी) डॉक्टर संतोष ,(संस्कृत) रविंद्र रामदेव (मराठी) डॉक्टर तुकाराम बोले (मराठी) ने कहा। इस सत्र में डॉ महेंद्र गौशाल मुख्य व्यक्ता रहे।
चतुर्थ व अन्तिम सत्र की अध्यक्षता डॉक्टर विद्यानंद आर्य और संचालन डॉक्टर गोपाल कृष्ण ने किया। इस सत्र में शोधपत्र प्रस्तुतकर्ता राज नारायण अवस्थी (हिन्दी) सदाशिव गाड़े, मनीषा आर्य, (हिन्दी) के श्याम सुंदर (हिन्दी) श्रीमती मैत्रेयी, श्रीमती सुचित्रा विनोद कुमार, कुमार भरत मुनि एवं प्रशान्त आर्य रहे हैं। मुख्य वक्ता डॉ अन्नदानं सुब्रह्मण्यम शास्त्री और अनिल कुमार रहे हैं।
दिन भर में चले चारों सत्र के पश्चात समापन समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर सी मुरलीकृष्ण, अध्यक्ष, कला संकाय उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद द्वारा किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉक्टर चंद्रदेव कवड़े, सेवानिवृत्त आचार्य अध्यक्ष हिंदी प्रचार सभा एवं विशिष्ट अतिथि डॉ महेन्द्र गोशाल तथा डॉ चन्द्रशेखर लोखंडे रहे।
इस कार्यक्रम में तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त महाराष्ट्र और कर्नाटक के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कई शिक्षण संस्थाओं ने भी अपने प्रतिनिधियों को समारोह में भाग लेने के लिए भेजा। आर्य समाज और कई संगठनों ने भी भाग लिया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में लगभग 250 लोगों ने भाग लिया।
मुख्य रूप स केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक गंगाधर वानोडे, सूत्रधार की संस्थापिक सरिता सुराणा, दिगंबर कवि निखिलेश्वर, कवि और लेखक सुहास भटनागर, प्रदीपशरणभट्ट, डी गोपाल, संदेश भरद्वाज, राजनारायण, प्रदीप जाजू, धर्मतेजा, मीरा और अन्य उपस्थित थे।
इस दौरान उदगीर से आये श्यामलाल स्मारक शिक्षण संस्था महाराष्ट्र की ओर से विशिष्ट व्यक्तियों का सम्मान भी किया गया। अंत में शांति पाठ और राष्ट्रगान के साथ अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी का समापन हुआ।