Big News: BBC कार्यालय पर IT के छापे, एक संवाददाता ने ‘तेलंगाना समाचार’ के साथ जताया यह भरोसा

हैदराबाद : ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) कार्यालय पर आयकर विभाग ने दिल्ली और मुंबई स्थित बीबीसी कार्यालय पर छापा मारा गया। यह छापा तीन तक जारी रहा। इस दौरान बीबीसी के दफ्तर को सील कर दिया गया। सभी कर्मचारियों के फोन जब्त कर घर भेज दिया। बीबीसी के लंदन हेडक्वार्टर को भी छापे की जानकारी दे दी गई। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर प्रतिबंध लगाने के करीब एक महीने से कम समय में यह अभियान शुरू हो गया। तीन हफ्ते पहले ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में हुए दंगों पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की थी।

इस घटनाक्रम पर ‘तेलंगाना समाचार’ ने बीबीसी के एक संवाददाता से संपर्क किया। हमारे सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि बीबीसी ‘न लाभ न नुकसान’ की संस्था है। इस संस्था में सभी कर्मचारी है। अर्थात कोई मालिक नहीं है। इस संस्था में एक-एक पैसा का हिसाब स्पष्ट होता है। कर चुराने या गड़बड़ी करने का सवाल ही नहीं है। एक नहीं बारह महीने खोजने पर भी आयकर विभाग यानी सरकार को इस छापे से कुछ भी मिलने वाला नहीं है। केवल समय बर्बाद होगा। उल्टे वो ही बदनाम होंगे। बीबीसी निर्मल है और आगे भी रहेगी।

तेलंगाना समाचार ने अगला सवाल किया कि क्या इसका मतलब (चुनाव के मद्देनजर) यह निकाला जा सकता है कि ‘जब गीदड़ की मौत आती है तो शहर की ओर भागता’ है। उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया कि इस सरकार में सच्चाई सहन करने की शक्ति नष्ट हो रही है। इससे पहले भी सच्चाई लिखने और प्रसारित करने वाले अनेक मीडिया को परेशान किया है। इस दौरान संवाददाता ने चार-पांच मीडिया के नाम भी बताये जिस पर छापे गये यानी परेशान किया गया है।

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गौरतलब है कि बीबीसी के कार्यालय पर छापेमारी को दुनिया के अधिकतर समाचार पत्र और न्यूज़ चैनल ने प्रमुखता से प्रकाशित और प्रसारित किया है। दुनिया की प्रतिष्ठित समाचार पत्र द वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयार्क टाइम्स, समाचार कंपनी सीएनएन, द गार्डियन, द इंडिपेंडेंट, पाकिस्तानी अखबार द डॉन, मिनट मिरर, जापान का प्रमुख अख़बार यूमिउरी शिंबुन और अन्य अखबारों ने लिखा है-

“बीबीसी पर छापा भारत में प्रेस की आजादी पर हमला है। मोदी सरकार ने उसे (डॉक्यूमेंट्री) बैन कर दिया था और विश्वविद्यालयों में स्क्रीनिंग के साथ-साथ तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उसके क्लिप को ब्लॉक करने का प्रयास किया। इसके बाद बीबीसी के ऑफिस में छापेमारी हुई है। साल 2014 में मोदी युग की शुरुआत से ही भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले होते रहे हैं। यह रेड बीबीसी द्वारा प्रसारित डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण रोकने के कुछ दिन बाद हुई है। इसमें देश के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ उनके व्यवहार की आलोचना की गई थी।

मोदी ने अपने अधीन भारतीय अधिकारियों का इस्तेमाल कर अक्सर स्वतंत्र मीडिया संगठनों, मानवाधिकार समूहों और थिंक टैक के खिलाफ इस तरह के रेड का इस्तेमाल किया है। नागरिक अधिकार समूहों ने बार-बार प्रेस की घटती आजादी पर चिंता व्यक्त की है। कई बार पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को लंबे समय तक के लिए जेल में डाल दिया गया है और वह भारत की जटिल न्यायपालिका और अदालती मामलों में फंस चुके हैं। आलोचना के प्रति सत्तारूढ़ पार्टी की बढ़ती प्रक्रिया भारत की उभरती हुई ताकत के विपरीत है। जबकि मोदी अक्सर वैश्विक मंच पर दक्षिण एशियाई देशों के लीडर के रूप में भारत का दावा करते हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सरकार के इस कदम को आलोचकों ने प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। जबकि मोदी के समर्थक उनके बचाव में उतर आए हैं।

मोदी सरकार ने उस समय ब्रिटिश पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टिंग की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि डॉक्यूमेंट्री एक प्रचार का टुकड़ा है जो निरंतर औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता को मोदी के कार्यकाल में नुकसान उठाना पड़ा है। सरकार के इस कदम को पत्रकारों के साथ साथ विपक्षी दलों ने भी प्रतिशोध की भावना और अघोषित आपातकाल के रूप में वर्णित किया है। इस छापे ने भारत में सेंसरशिप की आशंका बढ़ा दी है। 2002 के घातक गुजरात दंगों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों को लेकर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली कंपनी बीबीसी के दिल्ली कार्यालय पर भारतीय टैक्स अधिकारियों ने छापा मारा। भारत के नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और विपक्षी दलों ने बीबीसी पर छापे की निंदा की और इसे मीडिया पर हमला बताया”

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