हैदराबाद : दिवाली के मौके पर आयोजित सदर उत्सव के लिए हैदराबाद महानगर तैयार है। आयोजकों ने बताया कि सदर उत्सव शुक्रवार से शुरू होगा। काचीगुडा, नारायणगुड़ा, खैरताबाद, सैदाबाद, बोइनपल्ली, ईस्ट मररेडपल्ली, चप्पल बाजार, मधुरापुरी, कारवान, नारसिंगी, ओल्ड सिटी और शहर के अन्य हिस्सों में आयोजन की बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई है।
शाहरुख और लव्राणा खास आकर्षक
उन्होंने आगे बताया कि इस बार सदर में खैरताबाद का शाहरुख (30 करोड़ रुपये), लव्राणा (25 करोड़ रुपये), नारायणगुड़ा का (16) किंग और सरताज (भैंसा) विशेष आकर्षण हैं। हर साल नारायणगुडा में होने वाले सदर उत्सव मुख्य आकर्षण रहता था। इस बार उससे ज्यादा खैरताबाद में आयोजित सदर उत्सव की तैयारी की गई है। इस सदर उत्सव को देखने के लिए हजारों लोगों के आने की संभावना है।
पंजाब और हरियाणा से विशेष भैंसो
हैदराबाद शहर में सदर उत्सव के लिए पंजाब और हरियाणा से बड़े-बड़े भैंसें मंगवाई गई हैं। सदर पर्व को देखते हुए इन भैंसों को पहले ही शहर में लाया गया है। इन भैसों को फिटनेस बनाए रखने के लिए कुछ महीनों से दाना, गानुगा, हरा घास, कुडिती पिलाया जा रहा है। शहर के मौसम को ध्यान में रखते हुए हर दिन दर्जनों सेब, सूखे फल, बदन में गर्मी के लिए साप्ताहिक दो बार जॉनी वॉकर और रेड लेबल अल्कोहल का सेवन करवाया गया। इन भैंसाओं को स्विमिंग पूल में नहाने के बाद अरंडी के तेल से मालिश किया जाता है। इन कामों की देखरेख के लिए खास लोग होते हैं। इन के रखरखाव के लिए हर दिन 10,000 रुपये तक खर्च आता है। सदर उत्सव के एक सप्ताह पहले ही सजाया जाता है।
हरियाणा से भैंसा
भैंसा पर उगे बालों को हटाकर काला और चमकदार बनाया जाता है। अखिल भारतीय यादव संघ के महासचिव और टीआरएस के पूर्व प्रदेश सचिव एड्ला हरिबाबू यादव ने बताया कि इस बार हरियाणा से मुशीराबाद के लिए खास भैंसा मंगवाया गया। 16 करोड़ रुपये का यह भैंसा मुख्य आकर्षक रहेगा। इस महीने की 6 तारीख को होने वाले सदर उत्सव में भैंसा को प्रदर्शित किया जाएगा। इसी तरह खैरताबाद के दूधवाला डेयरी के प्रबंधक दोड्ला लक्ष्मण यादव, मधु यादव और चंदू यादव ने 30 करोड़ और 25 करोड़ रुपये से खरीदकर दो भैंसा लेकर आये हैं। इन भैंसा सदर उत्सव के लिए तैयार किया गया हैं।
1946 में शुरू सदर
आपको बता दें कि चौधरी मालय्या यादव ने 1946 में हैदराबाद में पहली बार सदर समारोह शुरू किया। निजाम काल के दौरान गोल्ला और कुरुमा समुदाय के लोग पशु संपदा में अधिक रुचि रखते थे। उनकी ओर से पशुओं को प्रदर्शित किया गया कार्यक्रम ही सदर उत्सव है। सदर उत्सव के दौरान भैंसों की कलाबाजी को देखकर बच्चे और बूढ़े काफी प्रभावित होते हैं। इस उत्सव में यादव समुदाय के लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।