अमरावती (आंध्र प्रदेश) : कोरोना के कारण कई परिवारों की जिंदगी उजड़ रही है। अनेक लोग अपने जीवनसाथी, माता-पिता और बेटों को खो जाने के कारण अनाथ हो रहे हैं। पूर्वी गोदावरी जिले के राजमंड्री में इसी प्रकार की एक घटना प्रकाश में आई है। कोरोना के कारण एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। इसके चलते बालक अनाथ हो गया। राजनगरम के पास गैट कॉलेज के सामने ब्रिड्जी काउंट निवासी सुधीर रॉयल और श्वेता दंपती, सुधीर की मां और सास व ससूर की कोरोना से मौत हो गई।
परिवार के सभी लोगों को खो चुके सधीर का बेटा मेडिचर्ला साई सत्य सहर्ष (12) अनाथ हो गया। कल तक वह मां-बाप, नानी, दादी और दादा के साथ हंसते-खेलते दिन बीता रहा था। कोरोना के कारण वे सब दूर हो गये। साई सत्य सहर्ष राजमंड्री में एक निजी स्कूल में सातवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है। परिवार के पांच सदस्यों की मौत हो जाने की बात का उसे पता नहीं चलने दिया गया। साई सत्य सहर्ष के मामा उसे बता रहा है कि सभी का अस्पताल में इलाज जारी है।
कोरोना वायरस संक्रमित होने के बाद इलाज के लिए ये सभी सुभद्रा अस्पताल में भर्ती हुए थे। वहां पर इलाज के बाद भी कोई लाभ नहीं हुआ। मगर अस्पताल प्रबंधन ने करीब 28 लाख रुपये बिल बनाया। स्थानीय लोगों ने इस बारे में राजमंड्री के सांसद मार्गनी भरत राम को बताया। सांसद शनिवार को बालक को सांत्वना देने के लिए उनके घर गये। सांसद भरत ने मामा की देखरेख रह रहे साई सत्य सहर्ष के बारे में जानकारी ली।
इस अवसर पर सांसद ने मीडिया से कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ही घर में पांच लोगों की कोरोना से मौत हो गई। इलाज के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने पर भी बालक अनाथ हो गया। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री से भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने को आग्रह करेंगे।
कोरोना के इस संकट की घड़़ी में अस्पताल प्रबंधन का रवैया बहुत ही दर्दनाक है। पता चला है कि पीड़ितों ने कर्ज लेकर अस्पताल का बिल भुगतान किया है। बिल भुगतान की रकम वापस करने के लिए अस्पताल प्रबंधन से बात करेंगे और सरकार की ओर से भी पीड़ित परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने याद दिलाया कि सीएम जगन ने कोरोना के दौरान अपने माता-पिता को खो चुके और अनाथ हो गए बच्चों के लिए पहले ही 10 लाख रुपये दिये जाने की घोषणा की है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यदि शिक्षा के लिए आवश्यक हो तो बालक को केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश दिलाएंगे, यदि वह सहमत हो तो उसे इस शैक्षणिक वर्ष में विद्यालय में शामिल करने की व्यवस्था करेंगे।