हिंदी कविता में शरद ऋतु का वर्णन, ले यह सीख

हिंदी कविता में शरद ऋतु का वर्णन कई रूपों में मिलता है, जैसे कि एक शांत और निर्मल मौसम है, जिसमें स्वच्छ आकाश और चांदनी होती है। शरद ऋतु को अक्सर फसल, उत्सव और प्रकृति की सुंदरता के समय के रूप में किया जाता है; जिसमें कास के फूल खिलते हैं, तालाबों का जल साफ और शांत होता है। कविगण इस मौसम में खंजन पक्षियों का आगमन और। त्योहारों का उल्लास भी दर्शाते हैं।

स्वच्छ आकाश और चांदनी:

वर्षा के बाद वातावरण साफ हो जाता है, आकाश नीला और निर्मल हो जाता है, और चांदनी शीतल व मन भावन होती है।

कास के फूल:

शरद ऋतु में पूरी धरती कास के फूलों से ढक जाती है, जो वर्षा ऋतु के समापन और शरद ऋतु के आगमन का प्रतीक है।

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शांत और निर्मल जल:

चांदनी रात में झीलें कमल और कुमुदिनी से सजी होती है। नदियों और तालाबों का जल साफ और शांत हो जाता है, जो संतों के निर्मल हृदय के सामान है।

खंजन पक्षी:

शरद ऋतु को खंजन पक्षियों के आगमन का समय माना जाता है, जो समय पाकर प्रकट होने वाले सुंदर सुकृत ( पुण्य) की तरह है।

फसलों का मौसम:

इसे फसल या अन्न का मौसम भी कहा जाता है। कवि की दृष्टि से शरद ऋतु में प्रचुरता और समृद्धि होती है। जैसे कि खेतों में पका अनाज और फलों से लदे पेड़। शरद ऋतु में फसल विषेशकर धान की फसल से लहलहाने का समय है।

त्योहारों का आगमन:

यह दुर्गापूजा और दीपावली जैसे त्योहारों का मौसम है, जो लोगों के जीवन में उल्लास और उमंग लाते हैं।

अन्य पक्षी:

शरद ऋतु में भोरें और अन्य पक्षी मधुर गीत गाते हैं। चकवे लंबी रात देखकर दुःखी होते हैं।

मानवीकरण:

कई कवियों ने शरद ऋतु का मानवीकरण किया है। उसे एक स्त्री देवी या किसी व्यक्ति रूप में चित्रित किया है। कवि शरद ऋतु के आगमन को एक कोमल और मनोहर घटना के रूप में देखते हैं। आलोक धन्वा की कविता में , शरद को चमकीली साईकिल पर घंटी बजाते हुए आते दिखाया गया है। वह अपने चमकीले इशारों से बच्चों को बुलाता है और आकाश इतना मुलायम बना देता है कि पतंगें ऊंचाई तक उड़ सके। यह वर्णन ऋतु के आगमन की चपलता और ताज़गी को दर्शाता है।

जायसी ने ” पद्मावत” में शरद ऋतु का वर्णन किया है, जिसमें उन्होंने पूर्णिमा के चंद्रमा जैसी पद्मावती के मुख की छवि को शरद के चांद से जोड़ा है। तुलसीदास ने रामचरितमानस में शरद ऋतु का वर्णन करते हुए लिखा है “वरषा बिगत सरद रितु आई लक्षमन देखहु परम सुहाई”

वसंत की तुलना:

शरद ऋतु की तुलना वसंत से भी की जाती है। जहां प्रफुल्लित फूल और फल होते हैं, वहीं शरद में परिपक्वता और शांत और सुंदर होती है। कुछ कवि शरद ऋतु के सौंदर्य की तुलना अन्य ऋतुओं या मानवीय गुणों से करते हैं, जैसे कि निर्मल आकाश को भगवद्भक्त से और शांत जल को संतों के ह्रदय से तुलना की गई है।

दर्शन सिंह
मौलाली हैदराबाद

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