छठ पूजा/छठ पर्व इस साल 25 से 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। यह त्यौहार हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है। भारत के कई हिस्सों में जैसे बिहार , झारखंड, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा और असम में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही छठ पर्व को मॉरिशस और नेपाल में भी मनाया जाता है।
छठ पूजा में सूर्य उपासना के साथ साथ छठी मैया जो सूर्य देव की मानस बहन के रूप में जानी जाती है, उनकी भी पूजा होती है। छठी मैया बच्चों की रक्षा करने वाली और परिवार में आरोग्य देने वाली देवी के नाम से जानी जाती है। इस वजह से सूर्य देव को खुश करने के साथ साथ छठी मैया की भी पूजा होती है। सूर्य देव ने हमारी धरती पर यह जो जीवन दिया है, उसको धन्यवाद करते हैं।
छठ पूजा साल में दो बार मनाई जाती है। पहली बार चैत्री छठ पूजा और दूसरी बार कार्तिकी छठ पूजा। चैत्री छठ पूजा चैत्र मास के छठ दिन मनाई जाती है और दूसरी जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाई जाती है। छठ पूजा मनाने के पीछे धार्मिक कारण ही नहीं बल्कि उसके पीछे वैज्ञानिक सिद्धांत भी हैं और बड़े बड़े बैज्ञानिकों ने माना है कि छठ पूजा इंसानों के लिए अच्छी और सेहत मंद है।
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छठ पूजा के पीछे बहुत सारे धार्मिक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। माना जाता है इस छठ पूजा की शुरुआत राजा राम के सम से चली आ रही है। जब भगवान राम और सीता मैया चौदह वर्ष के वनवास के बाद वापस लौटे थे तब उन्होंने यज्ञ करने की सोची, जिसमें महर्षि ऋषि मुनि ने सीता मैया को सूर्य देव की पूजा और आराधना करने के लिए कहा गया। उस दिन सीता मैया ने उपवास रखें और सूर्य देव की आराधना भी की। तभी से छठ पूजा की शुरुआत हुई है।
यही नहीं दूसरी कहानी भी जुड़ी हुई है। महाभारत में जब पांडव अपना राज पाठ सब कुछ हार चुके थे और वनवास हुआ था, तब द्रौपदी ने कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष के छठ से चार दिन सूर्य उपासना की और उपवास किए। उसके बाद उन्हें राजपाट वापस मिला और तब से लेकर आज तक छठ पूजा चली आ रही है।
छठ पर्व त्योहार में चार दिन होते हैं–
नहाए – खाए
खरना
डूबते सूर्य को अर्ध्य
उगते हुए सूर्य को अर्घ्य / पूजा का समापन
नहाए – खाए: छठ पूजा का पहला दिन होता है। इस दिन नहाकर स्वच्छ कपड़े पहनते हैं और अपने मन को साफ रखकर घर में स्त्रियां परिवार के लिए खाना बनाती हैं और इस दिन लौकी का बड़ा महत्व होता है।
खरना: छठ पूजा का यह दूसरा दिन होता है। इस दिन को पूरे दिन स्त्रियां उपवास रखती हैं और शाम को घाट पर सूर्य देव की पूजा करती हैं। छठ पूजा विधि के बाद प्रसाद में खीर बनाई जाती है और उस खीर को ग्रहण करते हैं।
डूबते सूर्य को अर्ध्य : तीसरा दिन होता है डूबते सूर्य को अर्ध्य देना। पूरे भारत में हिंदू धर्म में उगते सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। लेकिन छठ पर्व के दौरान उगते सूर्य की नहीं डूबते हुए सूर्य की पूजा जाती है। पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और साथ ही शाम को तालाब / नदी के घाट पर डूबते सूर्य की पूजा और अर्ध्य देने के लिए जाते हैं।
उगते हुए सूर्य को अर्ध्य/ छठ पूजा का समापन: चौथे दिन छठ पूजा का समापन होता है। इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और वहां पर छठ पूजा की पूर्णाहुति होती है, प्रसाद वितरण किया जाता है।
छठ पूजा व्रत कठिन व्रतों में से एक है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार सच्चे मन और श्रद्धा के साथ छठ पूजा व्रत करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए स्त्री और पुरुषों दोनों के द्वारा छठ पूजा व्रत किया जाता है।

दर्शन सिंह (94409 13631)
मौलाली हैदराबाद
