बिहार समाज सेवा संघ : छठ पूजा की धूमधाम, यह है मान्यता और व्रत की रूप रेखा

हर साल की तरह इस साल भी छठ पूजा तेलंगाना में धुम धाम से मनाया जा रहा है। इस पुजा को सफल बनाने में पिछले कुछ सालों से तेलंगाना सरकार बहुत बड़ा योगदान देता आ रहा है। विश्वास है कि इस साल भी सरकार की ओर से वह परंपरा जारी रहेगी। लोक आस्था का महा पर्व छठ पुजा है। छठ के पर्व को आस्था का महा पर्व माना गया है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठी मैया की पूजा की जाती है। मान्यता है कि छठ पूजा करने वाले भक्तों को सुख-समृद्धि, धन, वैभव, यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

संतानों की दीर्घायु

कहा जाता है कि जो महिलाएं यह व्रत को रखती हैं, उनकी संतानों की दीर्घायु और सुख समृद्धि प्राप्त होती है। इसके साथ यह व्रत करने से निरोगी जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है। छठ पर्व भारत के कुछ कठिन पर्वों में से एक है जो चार दिनों तक चलता है। इस पर्व के दौरान 36 घंटे निर्जला व्रत रख कर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। यह व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए भी किया जाता है। महिलाओं के साथ पुरुष भी यह व्रत को करते हैं।

कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय होता है। इसके बाद दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत सम्पूर्ण हो जाता है। उसके बाद अन ग्रहण किया जाता है। आइए जानते है कब से शुरू हो रहा है छठ पर्व और नहाय-खाए और खरना की तिथि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठी मैया की पूजा की जाती है।

छठ पूजा का प्रथम दिन नहाए-खाए:

28 अक्टूबर, 2022 शुक्रवार कार्तिक शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी तिथि को छठ महापर्व कि पहली परंपरा का निर्वाह किया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाए-खाए के रूप में मनाया जाता है। इस परंपरा के अनुसार सबसे पहले घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के अन्य सभी सदस्य व्रती सदस्यों के भोजन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं। नियम के अनुसार, इस दिन अरवा चावल, लौकी की सब्जी और चना दाल ग्रहण किया जाता है और खाने में सिर्फ सेंधा नमक और गाय का घी का इस्तेमाल किया जाता है। छठ पूजा का द्वितीय दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठी मैया की पूजा की जाती हैं।

छठ पूजा का द्वितीय दिन

खरना- 29 अक्टूबर 2022, शनिवार दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं और शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना के प्रसाद के रूप में गन्ना के रस या गुड़ में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का और घी के साथ चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। खीर ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का व्रत रखा जाता है। खरना तिथि पर तन और मन के शुद्धिकरण पर ध्यान दिया जाता है।

छठी मैया की पूजा

छठ पूजा का तृतीय दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठी मैया की पूजा की जाती है छठ पूजा का तृतीय दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य 30 अक्टूबर, 2022 रविवार कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा का मुख्य दिन माना जाता है। सायंकाल को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप में तरह तरह के फल और घी में बना ठेकुआ सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर जाते हैं। सभी छठव्रती तालाब या नदी किनारे सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठी मैया की पूजा की जाती है।

छठ पूजा की तिथि

कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि प्रारंभ 30 अक्टूबर, 2022 सुबह 5.49 बजे कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि समाप्त 31 अक्टूबर 2022, सुबह 3.27 बजे सूर्यास्त का समय सायं 5.37 बजे पर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठी मैया की पूजा की जाती है।

छठ पूजा का चौथा दिन

उगते सूर्य को अर्घ्य- 31 अक्टूबर, 2022 सोमवार चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदय मान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले भक्त पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के बाद लोग प्रसाद का सेवन करके व्रत का पुर्ण करते हैं। सूर्योदय का समय प्रातः 6.31 बजे है।

– लेखक राजू ओझा राष्ट्रीय चेयरमैन बिहार समाज सेवा संघ

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