दीपावली संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है। दीप + आवली। दीप अर्थात दीपक और आवली अर्थात श्रृंखला। इसका मतलब हुआ दीपकों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति। प्रत्येक समाज त्योहारों के माध्यम से अपनी खुशी एक साथ प्रकट करता है। देश के प्रमुख त्योहार होली, रक्षाबंधन, दशहरा और दीपावली है। इसमें दीपावली सबसे प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार के आते ही मन मयूर नाच उठता है। यह त्योहार दीपों का पर्व होने से हम सभी का मन आलोकित करता है।
यह त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है। कहते है भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दिये जलाकर उनका स्वागत किया था। श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध इसी दिन किया था। इस दिन भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी है। इसी दिन सिख लोग बंदी छोड़ दिवस मनाते हैं। सिखों के छठे गुरु हरगोविंद साहिब जी को 52 राजाओं के साथ ग्वालियर किले से रिहा किया गया था। इन सभी ते सम्मान और उत्सव के रूप में हम दीपावली का त्योहार मनाते हैं।
इस त्योहार के आने के कईं दिन पहले से ही घरों की लिपाई – पुताई – सजावट प्रारंभ हो जाती है। नए कपड़े बनवाए जाते हैं। मिठाइयां बनाई जाती हैं। वर्षों के बाद की गंदगी भव्य आकर्षण, सफाई और स्वच्छता में बदल जाती है। लक्ष्मी जी के आगमन में चमक दमक की जाती है। यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस से भाई दूज तक त्योहार चलता है। धनतेरस के दिन व्यापारी अपने बही खाते नए बनाते हैं। अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान अच्छा माना जाता है। अमावस्या के दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
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खीर बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। नए कपड़े पहने जाते हैं। फुलझड़ी, पटाखे छोड़े जाते हैं। असंख्य दीपों की रंग बिरंगी रोशनियां मन को मोह लेती हैं। दुकानों, बाजारों और घरों की सजावट दर्शनीय रहती है। अगला दिन परस्पर भेंट का दिन होता है। एक दूसरे को गले लगा कर दीपावली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। लोग छोटे बड़े, अमीर गरीब का भेद भूलकर आपस में मिलजुल कर यह त्योहार मनाते हैं।
दीपावली का त्योहार सभी के जीवन ख़ुशी प्रदान करता है। नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। हां, एक बात और इस खुशी के मौके पर पटाखे सावधानी पूर्वक छोड़ना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कार्य व व्यवहार से किसी का दिल न दुखे, तभी दीपावली त्योहार मनाना सार्थक होगा।

दर्शन सिंह
मौलाली हैदराबाद
