कादम्बिनी क्लब की 390वीं मासिक गोष्ठी एवं पुस्तक ‘प्रेम के गीत’ लोकार्पित, किताब पर इन वक्ताओं की तारीफ

क्यू आर कोड की पहली पुस्तक

क्यू आर कोड की वजह से अब यह किताब बोलती भी है

हैदराबाद : कादम्बिनी क्लब हैदराबाद एवं केंद्रिय हिन्दी संस्थान बोइनपल्ली के संयुक्त तत्वावधान में क्लब की 390वीं मासिक गोष्ठी एवं कवयित्री मोहिनी गुप्ता के प्रथम काव्य संग्रह ‘प्रेम के गीत’ का लोकार्पण संपन्न हुआ। प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए क्लब अध्यक्षा डॉ अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मुथा ने बताया कि प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ अहिल्या मिश्र ने की। प्रो. ऋषभदेव शर्मा (मुख्य अतिथि), डॉ चंद्रा मुखर्जी (विशिष्ट अतिथि), प्रो. गंगाधर कनोडे (विशिष्ट अतिथि), मोहिनी गुप्ता (प्रेम के मोती के रचनाकार) मंचासीन हुए। सत्र का सफल संचालन करते हुए शिल्पी भटनागर ने मंचासीन अतिथियों के कर कमलों से दीप प्रज्वलन हेतु उन्हें आमंत्रित किया। मोहिनी गुप्ता ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी।

डॉ अहिल्या मिश्र ने शब्द कुसुमों से उपस्थित साहित्यकारों का स्वागत करते हुए कहा कि कादम्बनी की यह 31वें वर्ष की यात्रा-चल रही है। इस दृढ़ता के पीछे आप सभी का स्नेह है। आज मोहिनी गुप्ता हस्ताक्षरीत साहित्यकार बन गई हैं इसका हमें आनंद हो रहा है। आज की गोष्ठी की और अनंदोत्सव की नायिका मोहिनी गुप्ता है। महिलाएं निश्चित ही अपने घर-बाहर की जिम्मेदारियों का वहन करते हुए साहित्य और लेखन में अग्रसर हो रही हैं। यह अत्यंत सराहनीय बात है। संचासीन आतथियों का शाल माला द्वारा स्वागत किया गया। इसमें गुप्ता परिवार एवम् क्लब के सदस्यों का सहयोग रहा है।

“प्रेम के मोती” काव्यसंग्रह का परिचय देते हुए डॉ सुरभि दत्त ने अपने संबोधन में कहा कि इसमें 11 स्वरबध्द रचनाएं हैं। 165 पृष्ठों में समाहित इस काव्य संग्रह का मुखपृष्ठ आकर्षित करता है। कविताओं को माता-पिता तुल्य आशीर्वाद है। समाज की गतिविधियों को कवयित्री भिन्न नहीं रखती हैं। उन्होंने रचनाओं को रचा ही नहीं बल्कि जीया भी है। रचनाएं समय और समाज दोनों को चुनौती देती हैं। इस पुस्तक में लेटेस्ट डिजिटल तकनीक क्यू आर कोड का प्रयोग किया गया है जो कि किसी अन्य पुस्तक में आज तक देखने को नहीं मिला।

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मुख्य अतिथि प्रो ऋषभदेव शर्मा व मंचासीन अतिथियों के करकमलों से ‘प्रेम के मोती’ का लोकार्पण तालियों की गूंज में हुआ। प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि डॉ अहिल्या मिश्र का स्थान सुमेरु की तरह है। मैं अपनी ओर से कवयित्री मोहिनी गुप्ता का आभिनंदन करता हूँ। मोहिनी बचपन से ही लिखती आ रही हैं। कोरोना काल का धन्यवाद जिसने लेखन-सृजन के लिए मोहिनी जैसे कई रचनाकारों को प्रेरित किया है। जड़-चेतन के प्रति प्रेम का भाव ये कविताएं हैं। युग और समाज के साथ जुड़ी हुई हैं मोहिनी। मेरे लिए शिल्प नहीं कथ्य भाव महत्वपूर्ण हैं। क्यू आर कोड का प्रयोग असाधारण प्रयोग है। मोहिनी गुप्ता का भविष्य उज्ज्वल है।

डॉ चंद्रा मुखर्जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ये काव्य संग्रह शब्दों का मेल नहीं, अनुभवों का सार है। कविता अनुभवों को एक दूसरे से जोड़ती है। वह एक पुल का कार्य करती है। समाज की समस्याओं का यह एक दस्तावेज है। वर्तमान समय में जटिल मुद्दों पर प्रभाव डालती हैं ये रचनाएं। मोहिनी गुप्ता ने भाव व्यक्त करते हुए बताया कि परिवार का सपोर्ट महत्वपूर्ण होता है महिलाओं को अग्रसर करने में। जब मन में भाव उठा लिख दिया। बचपन से लेखन करती रही लेकिन कोरोना के समय में लेखन विधा तीव्रता से आगे बढ़ी। डॉ अहिल्या मिश्र की प्रेरणा रही कि यह पुस्तक निकल पाई। क्यू आर कोड की वजह से अब यह किताब बोलती भी है। आशा है सभी इस पुस्तक को पसंद करेंगे। उनकी पुत्री वेदिका गुप्ता ने क्यू आर कोड का प्रयोग करके सभा को बताया। तत्पश्चात कादम्बिनी क्लब एवं अन्य संस्थाओं द्वारा मोहिनी गुप्ता का सम्मान किया गया।

इस अवसर पर पुष्पक साहित्यिकी (अक्टूबर – दिसंबर 2024) अंक का मंचासीन अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया। डॉ मिश्र ने त्रैमासिक पत्रिका का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि भावों का बवंडर भीतर उठता है तब काव्य की रचना होती है। कविता अनायास सोच के समझ के नहीं लिखी जातीं। कवयित्री की कलम अक्षय है। इंदु गुप्ता ने कहा कि मोहिनी ने सारी जिम्मेदारियों का निरवाह करते हुए साहित्य में कदम रखा। हमारा आशीर्वाद सदा उसके साथ रहेगा। डॉ शिवानी गुप्ता ने प्रथम सत्र का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम की व्यवस्था में मोहिनी एवं संदीप गुप्ता का महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा।

दूसरे सत्र में कविगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ पूर्णिमा शर्मा ने की। इंदु गुप्ता, प्रो. गंगाधर वानोडे, डॉ सुषमा देवी, शिल्पी भटनागर, डॉ आशा मिश्रा ‘मुक्ता’ मंचासीन हुईं। श्रीपूनम जोधपुरी, भावना पुरोहित, डॉ मुमताज सुल्ताना, तृप्ति मिश्रा, गीता अग्रवाल, केपी. अग्रवाल, विनीता शर्मा, डॉ राजीव सिंह, भगवती अग्रवाल, शिल्पी भटनागर, डॉ आशा मिश्रा मुक्ता डॉ सुषमा देवी, मोहिनी गुप्ता, सुनीता लुल्ला, प्रो ऋषभ देव शर्मा, सीताराम माने, पुरुषोत्तम कडेल, रेखा अग्रवाल, प्रियंका पांडे और प्रो गंगाधर वानोडे ने भी काव्य पाठ किया। मीना मुथा ने सत्र का संचालन किया।

डॉ पूर्णिमा शर्मा ने अध्यक्षीय काव्य पाठ किया और अपनी टिप्पणी में कहा कि सभी रचनाकारों की रचनाएँ सुनी। सभी इसी तरह लिखती रहें और आगे बढ़ें। गीत, गजल, मुक्तक, दोहे, हायकू, नज़्म आदि विधाएँ स्वागतार्थ रही। प्रो. पूर्णिमा शर्मा का गुप्ता परिवार ने क्लब की ओर से सम्मान किया। मीना मुथा को महिला नवजीवन मंडल की अध्यक्ष बनने की उपलब्धि हेतु क्लब की ओर से बधाई दी गई। प्रो वानोडे एवं राजीव सिंह ने मोहिनी गुप्ता का सम्मान किया।

डॉ अवधेश कुमार गुप्ता डॉ सुचित्रा मित्तल, रवि वैद, शैलेंद्र कुमार, आर्यन गुप्ता, सुनील बिश्नोई, पायल बैद, जी परमेश्वर, ज्योति गुरवारा, डॉ रमा द्विवेदी, रमेश गोयल, सर्वेश कुमार, रूपम सिंह, एच एस साबू, निवेदिता, तृप्ति पभाती, प्रीती गुप्ता, ज्योती नारायण, डॉ स्वाती गुप्ता, प्रदीप गुप्ता, जे.के. मिश्रा, डॉ सौरभ सुमन, किरण भटनागर, प्रवीण आदि की उपस्थिति रही। गीता अग्रवाल ने सत्र का धन्यवाद दिया।

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