‘प्रेम के मोती’ हैदराबाद की बेहद लाड़ली और चर्चित कवयित्री मोहिनी गुप्ता की अत्यंत रमणीय काव्यकृति। गीत के धागों और छंदों की रोशनी से बुनी गई मोहक संरचना। एक ऐसा कविता संकलन जहाँ दिल फुसफुसाहटों-सरगोशियों में बोलता है, देर तक गूँजती रहने वाली धुनों में झूमता है और सधे हुए पद-संचार में थिरकता है। इस संकलन के पृष्ठों में मानवीय अनुभव की मधुर रागिनी आत्मा के भीतर मौजूद असीम गहराइयों और अनंत धुनों की अनुगूँज के साथ समाई हुई है। यही वजह है कि ये अभिव्यक्तियाँ पाठकों को अपने साथ मोहिनी के सम्मोहन में बहा ले जाने में समर्थ हैं।
पहली नज़र में तुमसे प्यार,
अब है तो है…
यहाँ राष्ट्र एक गूँजती प्रार्थना बन जाता है – उस भूमि के लिए एक कोमल लोरी, जो हम सभी को पालने में झुलाती है। यहाँ मातृत्व सुगंधित छंदों में खिलता है। माँ का प्यार धूप में चूमने वाली वह गर्माहट है, जो पोषण और मार्गदर्शन करती है। यहाँ सहज बतियाती गज़लों में प्रकट होता है प्रेमपात्र के साथ एक फुसफुसाता हुआ संवाद, जो यौवन की रोमांच भरी लीलाओं का आयोजन करता है।
आचमन ये तुम्हारा,
मेरे गीत का…
लेकिन यह कोई अलौकिक समूहगान नहीं है। इन गीतों के भीतर कवयित्री की निजी हँसी के बुलबुले और आँसू चमकते हैं। इनमें एकांत प्रेमानुभूतियों की विविध मनोदशाओं के रंग एक साथ जीवंत हो उठते हैं। प्रथम दर्शन की शर्मीली लाली से लेकर संपूर्ण समर्पण के पगले जुनून तक प्रत्येक रचना व्यग्रता, लालसा और तृप्ति की पूरी सृष्टि को बार बार रचती है- एक जैसे उल्लास और विस्मय के साथ।
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प्यार में फिर समर्पण,
मेरा देखना…
इन गीतात्मक अभिव्यक्तियों में माता-पिता और संतान समेत तमाम पारिवारिक और सामाजिक रिश्ते अपने अंतरंग को खोलते हैं, तो राग-विराग तथा संयोग-वियोग के शब्दचित्र मन को बाँधे रखते हैं। समर्पण, निष्ठा और आत्मदान के परिदृश्य को चित्रित करती कुछ रचनाएँ तो पाठक को औदात्य के उच्च शिखर का भी दर्शन कराती हैं।
पानी को भी देखके,
अंगार करे…
कवयित्री मोहिनी मानव हृदय की धड़कनों के बीच स्त्री से लेकर प्रकृति तक के सौंदर्य का संगीत सुनती और सुनाती हैं। चाँदनी और फूलों की रज से सजी काव्यनायिका इन छंदों में संजीवनी फूँकती है। उसकी सुंदरता दुनिया का अपना प्रतिबिंब है। कवयित्री के रचे इस निजी लोक में सपनों के फूल महकते हैं, कामनाएँ किलोल करती हैं और आत्मा चरम सुख की खोज में रमती है।
कितनी स्वतंत्र थी,
कितनी हूँ…
लेकिन यह सिर्फ सुंदरता का जश्न नहीं है। इन कविताओं के ताने-बाने में नैतिक मूल्यों और पवित्रता से सुवासित तथा अँधेरे से अछूते जीवन की चाहत भी बुनी हुई है। स्त्रीमन की चाहतों, संघर्ष के सामने उसकी अटूट ताकत और जीवन के तूफानों से निपटने में उसके अटूट आत्म-विश्वास के प्रमाण भी आपको इन पृष्ठों पर अंकित मिलेंगे।
मन की कस्तूरी है ये,
मोल न लगाइए…
तो आइए, मोहिनी के मोहक गीतों की इस रोमानी दुनिया में आपका स्वागत है। ये छंद आपकी अपनी गीतात्मक यात्रा के साथी बनें, आपको याद दिलाएँ कि हममें से प्रत्येक के भीतर गाए जाने की प्रतीक्षा कर रही रागिनियों का एक पूरा संसार बसता है।
इन दिनों लिख रही हूँ,
मैं तुमको ही बस…
इन्हीं शब्दों के साथ कवयित्री को हार्दिक शुभकामनाएँ कि उनकी यह रचना उन्हें साहित्य जगत में प्रभूत यश और मान दिलाए!
नोट- कादंबिनी क्लब और केंद्रीय हिंदी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में कवियित्री मोहिनी गुप्ता की प्रथम काव्य कृति ‘प्रेम के मोती’ का लोकार्पण कार्यक्रम 19 जनवरी को केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद में सुबह 1130 बजे से होगा। यह कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित होगा। प्रथम सत्र में पुस्तक लोकार्पण एवं द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा।
इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर चंद्रा मुखर्जी (प्रिंसिपल इंदिरा प्रियदर्शिनी वूमेन कॉलेज नामपल्ली हैदराबाद) शामिल होगी। इनके अलावा मुख्य अतिथि प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा (वरिष्ठ साहित्यकार, समीक्षक, लेखक), विशेष अतिथि प्रो. गंगाधर वानोडे (निर्देशक केंद्रीय हिंदी संस्थान), कादंबिनी क्लब अध्यक्षा डॉ अहिल्या मिश्रा (वरिष्ठ साहित्यकार एवं लेखक), पुस्तक परिचय डॉक्टर सुरभि दत्त (एसोसिएट प्रोफेसर हिंदी महाविद्यालय), प्रथम सत्र संचालन श्रीमती शिल्पी भटनागर, सत्र अध्यक्षता डॉ अहिल्या मिश्रा और प्रथम सत्र धन्यवाद ज्ञापन डॉ शिवानी गुप्ता के रूप भागे लेंगे।
साथ ही द्वितीय सत्र की द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो ऋषभ देव शर्मा और संचालन श्रीमती मीना मुथा करेंगे। कार्यक्रम के आयोजकों ने महानगर के साहित्यकारों, लेखकों और कवियों से आग्रह किया है कि वे कार्यक्रम के दोनों सत्रों में भाग लेकर सफल बनायें।