बच्चों के सर्वोत्तम हित और कल्याण को हर स्तर पर सर्वोपरि महत्व का मामला मानता है पॉक्सो एक्ट: पूर्णिमा प्रांजल

श्री बाबू सिंह लॉ कॉलेज में डीएलएसए कौशाम्बी द्वारा विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन

कौशाम्बी (डॉ नरेन्द्र दिवाकर की रिपोर्ट) : 6 सितंबर को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में श्री बाबू सिंह लॉ कॉलेज सयारां, सिराथू कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) में ‘बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, बच्चों के अधिकार और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त सेवाएं’ विषय पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में पूर्णिमा प्रांजल, अपर जिला जज/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जनपद न्यायालय कौशाम्बी ने कहा बच्चे देश की अमूल्य धरोहर और देश का भविष्य हैं इसलिए इन्हें संवारने का प्रयास सभी को करना चाहिए।

इसीलिए बच्चों के हितों और कल्याण की रक्षा के लिए यौन उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी के अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के लिए यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम 2012 लागू किया गया। यह अधिनियम अठारह वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को बच्चा (बालक एवं बालिका दोनों शामिल) मानता है और बच्चे के सर्वोत्तम हित एवं कल्याण को हर स्तर पर सर्वोपरि महत्व का मामला मानता है, ताकि बच्चे का स्वस्थ शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित हो सके। इस अधिनियम में लिंग के आधार पर भेदभाव किए बिना पीड़ित को चिकित्सकीय सहायता और पुनर्वास के लिये मुआवजा प्रदान करने का भी प्रावधान है। गंभीर प्रकृति के बाल यौन उत्पीड़न पर मृत्युदण्ड तक की सजा का भी प्रावधान संशोधन के जरिए किया गया।

भारतीय संविधान के भाग तीन और चार में दिए गए मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक तत्वों, बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम, किशोर न्याय देखभाल एवं संरक्षण अधिनियम, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम, एंटी ट्रैफिकिंग एक्ट, बाल कल्याण समिति, एंटी रैगिंग एक्ट तथा भारतीय न्याय संहिता (पूर्व में भारतीय दण्ड संहिता), कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (पूर्व में दण्ड प्रकिया संहिता) की धारा 125 के तहत उपलब्ध भरण पोषण के उपबंधों सहित अन्य अधिनियमों में बालकों से संबंधित तमाम प्रावधानों, पीड़ित क्षतिपूर्ति व विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं, तहसील स्तर पर स्थापित लीगल एड फ्रन्ट ऑफिस और वैकल्पिक विवाद समाधान पद्धति की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी प्रदान की।

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इस दौरान बालकों की जिज्ञासाओं का भी समाधान सचिव महोदया के द्वारा किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रदीप त्रिपाठी, सहायक प्राध्यापक जितेन्द्र सिंह परमार, सुधाकर त्यागी, रूबीना सिद्दीकी, सोनी मौर्य, देशराज प्रजापति, अभिजीत यादव, हरी मोहन मौर्य, पंकज कुमार, पी. एल. वी. कृष्णा कपूर सहित सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी और शिक्षक व कर्मचारी उपस्थित रहे।

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