‘शब्द अमृता’ साझा संकलन के साथ आठ पुस्तकों का भव्य लोकार्पण, इन वक्ताओं ने डाला किताबों पर प्रकाश

हैदराबाद : काव्य-धारा साहित्यिक समूह व काव्य-धारा प्रकाशन का छठा वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन हिन्दी प्रचार सभा, नामपल्ली के सभागार में भव्य रूप से सम्पन्न हुआ। अत्यंत वृहद आयोजन की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक डॉ गंगाधर वानोड़े ने की। मुख्य अतिथि का दायित्व निर्वहन हैदराबाद के सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्तित्व प्रो ऋषभदेव शर्मा ने किया। परम विशिष्ट अतिथि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर और चित्रकार विज्ञान व्रत रहे हैं। विशेष अतिथि के रूप में शोभायमान मध्य प्रदेश के सुप्रतिष्ठित साहित्यकार विजय बागरी ने भाग लिया।

कार्यक्रम का आरम्भ पूरनपुर (पीलीभीत) उत्तर प्रदेश से पधारी समाज सेविका, कवित्री संगीता सिंघल की मधुर कंठ से हुआ। कार्यक्रम का सफल संचालन गीता अग्रवाल एवं वर्षा शर्मा ने किया। काव्य-धारा की अध्यक्षा सुनीता लुल्ला ने सभी मंचस्थ अतिथियों, शहर के बाहर से आए हुए कवियों एवं स्थानीय प्रबुद्ध जनों का स्वागत किया। सभी अतिथियों को शॉल, माला और स्मृति चिह्न भेंट करके सम्मान किया गया। इसी कड़ी में काव्य धारा के संपादक मंडल सत्य प्रसन्न, ब्रजेश शर्मा, डॉ भागिया ख़ामोश और सुनीता लुल्ला का भी यथावत् स्वागत, सम्मान किया गया। गर्व की बात है कि इस दौरान काव्यधारा प्रकाशन के वार्षिक साझा संकलन के साथ आठ और पुस्तकों का लोकार्पण हुआ

स्वागत समापन के सम्पन्न होते ही पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। जिसमें विज्ञान व्रत (नोएडा) के दो ग़ज़ल संग्रह ‘सोचना मुझको पड़ा’ और ‘आपसे रिश्ता रहा’ का लोकार्पण मंचस्थ अतिथियों द्वारा किया गया। तत्पश्चात काव्यधारा की सूत्रधार सुनीता लुल्ला ‘बात है नज़्म की’, गीता अग्रवाल का ग़ज़ल संग्रह ‘चिराग़ जलता रहे’, डॉ संजीव धानुका का ग़ज़ल संग्रह ‘मेरे साथ चल’, डॉ ऋता शुक्ला का काव्य संग्रह ‘सुधियों के जमघट’, दर्शन लीलानी का ‘ सुख भी तेरे खुशियाँ तेरी’ और मनोरमा शर्मा ‘मनु’ का काव्य संग्रह ‘जीवन के उस पार’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्र के संचालन का दायित्व हैदराबाद के सुयोग्य और सुस्थापित युवा कवि डॉ राजीव सिंह ने सम्भाला।

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काव्य-धारा के छठे साझा-संकलन 2024 के ‘शब्द अमृता’ का लोकार्पण करतल ध्वनि के मध्य हुआ। इस संकलन में देश के विभिन्न प्रान्तों के 54 कवियों की रचनाएँ संकलित हैं। यह अपने आपमें एक मिसाल है। साझा संकलन के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए सत्य प्रसन्न, ब्रजेश शर्मा, डॉ ख़ामोश और सुनीता लुल्ला ने संपादन के विभिन्न प्रकल्पों के बारे में जानकारी दी। साझा-संकलन में सम्मिलित सभी कवियों को शॉल, माला और स्मृति चिह्न भेंट किए गए। प्रथम सत्र का धन्यवाद ज्ञापन सुषमा सिंह के द्वारा दिया गया।

दोपहर के भोजनोपरांत द्वितीय सत्र शुभारंभ किया गया। जिसका संचालन मध्य प्रदेश के सुस्थापित युवा कवि राजकुमार महोबिया और हैदराबाद की स्टार संचालिका सुश्री वर्षा शर्मा ने किया। इस सत्र में स्थानीय एवं विभिन्न प्रांतो से आए हुए कवियों ने अपनी रचनाओं से सभागार को मधुर गूंज से भर दिया। इस अवसर पर वेणुगोपाल भट्टड़, केवल कोठारी (चेन्नई) डॉ संजीव धानुका, गीता अग्रवाल, के पी अग्रवाल, मनोरमा शर्मा, सी पी दायमा, उर्मिला पुरोहित, उमा सोनी, शिल्पी भटनागर, मोहिनी गुप्ता, रफ़िया नौशीन, ताजम्मुल फातिमा, ज्योति नारायण, उमेश यादव, दर्शन सिंह, उमेश श्रीवास्तव, संगीता सिंघल, सुनीला गुप्ता, साधना गर्ग, भारती अग्रवाल, नूपुर अग्रवाल, पूजा महेश, मंजू भारद्वाज, राजकुमार महोबिया, बृजेश त्रिवेदी, अजय कुमार पांडे, डॉ राजीव सिंह, शिव प्रसाद, दर्शन सिंह, ब्रजेश शर्मा, सुनीता लुल्ला, सत्य प्रसन्न, डॉ भागिया ख़ामोश, ममता जायसवाल और अन्य ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियां दी। काव्य पाठ का अंत सुदीर्घ काव्य पाठ तालियों की गड़गड़ाहट के साथ विज्ञान व्रत, विजय बागरी ‘विजय’, प्रो ऋषभदेव शर्मा देखरेख में संपन्न हुआ।

डॉ गंगाधर वानोड़े ने अध्यक्षीय वक्तव्य में साझा संकलनों की उपयोगिता और इस प्रकार के साहित्यिक आयोजन की गरिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन साहित्य चेतना के लिए समृद्ध धारक हैं। प्रो ऋषभदेव शर्मा ने सभी कवियों के उत्साह का अभिनंदन करते हुए सद्य प्रकाशित पुस्तकों और कवियों के साहित्य समर्पण की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

अंत में धन्यवाद ज्ञापन सुनीता लुल्ला ने अत्यंत भावुक मन से अभ्यर्थना भाव से प्रस्तुत किया। एक प्रांजल और संवेदनशील कथन। डॉ गंगाधर वानोड़े, प्रो ऋषभदेव जी शर्मा, विजय बागरी ‘ विजय’ विज्ञान व्रत की गरिमामय उपस्थिति को असंख्य धन्यवाद किये। यह एक विस्तृत धन्यवाद का दायरा रहा जिसमें श्रुतिकांत भारती, (हिन्दी प्रचार सभा) सहित, हैदराबाद के कवि एवं देश के विभिन्न प्रांतों से आये कवियों के बीच ही समाप्त नहीं हुआ बल्कि काव्यधारा टीम गीता अग्रवाल, वर्षा शर्मा, डॉ ऋता शुक्ला, डॉ राजीव सिंह, डॉ सुषमा देवी और अनेकानेक कवियों के योगदान को धन्यवाद दिया। काव्य-धारा परिवार की यह 2024 के दिन की सफल ऐतिहासिक अविस्मरणीय यात्रा, सितारों भरा पटाक्षेप और आशा के सुनहरे नव स्वप्नों को साकार होने का दम भरते हुए काव्य धारा का अविरल चलता रहेगा सफर रहा है।

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