विशेष लेख : नव वर्ष चैत्र नवरात्रि, जानें देवी के प्रमुख मंदिर

चैत्र नवरात्र के दिन परम पिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। हिंदू लोग इसी को नव वर्ष मानते हैं और धूमधाम से मनाते हैं। इस अवसर पर देवी मां की पूजा अर्चना की जाती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर भगवान राम ने वानरराज बाली का वध करके वहां की प्रजा को मुक्ति दिलाई। जिसकी खुशी में प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज फहराए थे। और आज भी केसरिया झंडा लगाकर देवी मां का स्वागत किया जाता है। इस अवसर पर हवन करने का विधान है और देवी मां की स्तुति की जाती है। चैत्र माह में आने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्र कहते है। इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व 30 मार्च से शुरू हो रहा है।

हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। मां दुर्गा को सुख, समृद्धि और धन की देवी माना जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि मां दुर्गा जिससे भी प्रसन्न होती हैं। उस पर खास कृपा करती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मातारानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन माता- शैलपुत्री, दूसरे दिन- ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन- चंद्रघंटा, चौथे दिन- कूष्मांडा, पांचवें दिन- स्कंदमाता, छठवें दिन- कात्यायनी, सातवें दिन- कालरात्रि, आठवें दिन- मां महागौरी और नौवें दिन मां- सिद्धिदात्री की पूजा की जाती हैं।

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कलश स्थापना के लिए सबसे पहले मां दुर्गा की तस्वीर के सामने अखंड ज्योति या दीपक जलाया जाता है। कलश पर कलावा बांध कर स्वास्तिक बनाते है और कलश में थोड़ा गंगा जल डालकर पानी भर दिया जाता है। इसके बाद कलश में साबुत सुपारी, अक्षत और दक्षिणा डाल देते हैं। फिर कलश के ऊपर आम या अशोक के 5 पत्ते लगाकर और कलश को बंद करके उसके ढक्कन के ऊपर अनाज भर दिया जाता है। अब नारियल को लाल चुनरी से लपेटकर अनाज भरे ढक्कन के ऊपर रखा जाता है। सभी देवी और देवता को याद करके और माता के समक्ष नौ दिनों का व्रत करने का संकल्प लेकर विधि विधान से पूजा करने की तैयारी करते हैं।

इस अवसर पर माता रानी के भजन, उनकी कथा गाथा को सुनना, सुनानाऔर मंदिर में जा कर पूजा अर्चना की जानी चाहिए। तथा दान पुण्य करना चाहिए। इस अवसर पर देवी के मंदिर की छटा देखने लायक होती है। अनेक श्रद्धालु इस अवसर पर वैष्णो देवी, पूर्णागिरि, प्रसिद्ध चमत्‍कारी धाम मां पीतांबरा देवी, (मध्‍यप्रदेश), अद्भुत रहस्‍यमयी मां त्रिपुर सुंदरी (बिहार), दुर्गा परमेश्‍वरी मंदिर (मंगलूरू), शक्तिपीठ मां दंतेश्‍वरी मंदिर (छत्‍तीसगढ़), दक्षिणेश्‍वर काली मंदिर (कोलकाता), करणी माता मंदिर (राजस्‍थान), श्रीसंगी कालिका मंदिर (कर्नाटक), नैना देवी मंदिर (नैनीताल), ज्‍वाला देवी (हिमाचल प्रदेश) और अन्य देवियों के दर्शन करने जाते हैं और अपना मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी सभी ऐसा माना जाता है किमुरादें पूरी होती हैं।

मां दुर्गा का मंत्र

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

के पी अग्रवाल हैदराबाद

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